Shahnaz Husain: मैं घर के कभी ना खत्म ना होने वाले काम से बोर हो गई थी। मैं हमेशा से सबसे सुंदर दिखना चाहती थी और लोगों को सुंदर बनाना चाहती थी। इसलिए हर चीज को मैं अच्छे और सुंदर तरीके से करती और धीरे-धीरे मेरा शौक कब मेरा जुनून बन गया, मुझे मालूम ही नहीं चला। इसलिए मैंने ब्यूटीशियन में ही करियर बनाने का फैसला किया।
ये कहना है ब्यूटी क्वीन- शहनाज हुसैन का। इनका कहना सही भी है क्योंकि सुंदर तो हर कोई दिखना चाहता है, तभी तो आईटी सेक्टर के साथ सौंदर्य और ब्यूटी पार्लर का बिजनेस भी साल दर साल नई ऊंचाईयों को छू रहा है। हर साल मार्केट में नये फोन से ज्यादा नये ब्यूटी प्रोडक्ट बाजार में आ रहे हैं। और ये बाज़ार केवल महिलाओं के लिए नहीं है…अब तो पुरुषों के बीच में ही सुंदर लगने की होड़ हो गई है। तभी तो गली-गली में लड़कियों के साथ लड़कों के लिए भी कई सारे ब्यूटी पार्लर खुल गए हैं। सबकी एक ही तमन्ना है- सुंदर लगना।
आप सौंदर्य की जरूरत को इससे ही समझ सकते हैं कि कोरोना काल में भी लोगों ने पीपीई किट पहनकर ब्यूटी पार्लर की राह पकड़ी थी। ये सौंदर्य का ही मार्केट है जिसने महिलाओं को पैरों में खड़ा करना शुरू किया। लोग सुंदर दिखना चाहते हैं और महिलाएं इंडिपेंडेट होना चाहती हैं। दोनों के कॉम्बीनेशन की वजह से गांव में भी महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है। इसका सबसे पहला और सबसे बड़ा उदाहरण है-शहनाज हुसैन।
उद्योगपतियों को अब ब्यूटी मार्केट की वैल्यू पता चल रही है लेकिन शहनाज हुसैन को बहुत पहले ही इसके मार्केट का अंदाजा हो गया था। तभी तो छोटे शहर की लड़की होने के बावजूद आज वह सफल बिजनेस वूमेन बन गईं। वो भी केवल ब्यूटी प्रोडक्ट्स के मार्केट के जरिए।
शहनाज हुसैन वह नाम है जिसे आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है। गांव के लोगों को भी पता है कि शहनाज हुसैन कौन है। इनके ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदना हर किसी की पहली पसंद होती है। लेकिन इस ब्यूटी क्वीन की जिंदगी इतनी आसान नहीं था। यह 16 साल की उम्र में ही मां बन गई थीं। ऐसे में एक आम महिला की क्या स्थिति हो सकती है?
लेकिन शहनाज हुसैन ने इन मुश्किल हालातों के सामने हार नहीं मानी और अपने पिताजी से कुछ पैसे उधार लेकर आज 650 करोड़ की मालकिन बन गई। तो चलिए जानते हैं शहनाज हुसैन का पूरा जीवन और किस तरह से बनीं वो ब्यूटी क्वीन।

15 साल की उम्र में हुई शादी
यह साल 1940 की बात है। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एन. यू. बेग के घर एक लड़की ने जन्म लिया। सुंदर और गोरी सी बच्ची का नाम शहनाज रखा गया। बचपन से ही शहनाज का दिमाग क्रिएटिव चीजों में काफी लगता था। मां-बाप भी बच्ची की क्रिएटिविटी को देखकर खुश होते रहते थे। समय के साथ शहनाज की क्रिएटिविटी बढ़ती गई लेकिन इसके साथ उनकी उम्र भी बढ़ रही थी। 15 वर्ष की हुई तो उनकी शादी करा दी गई। शहनाज को कुछ समझ में नहीं आया।
जहां घर में खूब दुलार-प्यार मिल रहा था अचानक से परिवार संभालने की जिम्मेदारी आ गई। और शादी के एक साल बाद ही एक बच्चा भी हो गया। अब उनका खुद का परिवार था और उनको समझ आ गया कि वह अब बच्ची नहीं है। इस तरह शहनाज चारों तरफ से जिम्मेदारियों में बंधती चली गई।
लेकिन इन जिम्मेदारियों के बीच भी उन्होंने ब्यूटीशियन बनने का सपना छोड़ा नहीं। यह सपना उन्होंने बचपन से देखा था लेकिन कभी किसी को बोला नहीं। केवल ब्यूटिशियन बनने की प्रैक्टिस करने के लिए थोड़ा-थोड़ा समय निकालने लगीं और फिर एक दिन अपने सपने के बारे में अपने पति से बात की। उनके पति को उनका यह सपना अच्छा लगा और उन्हें हर संभव मदद दी। साथ में उनके पिता ने भी उन्हें पूरा सहयोग किया।
लंदन जाकर लिया हर्बल ब्यूटी प्रोडक्ट्स का प्रशिक्षण
एक बार नौकरी के सिलसिले में शहनाज हुसैन के पति इराक गए। उसी समय शहनाज ने लंदन में जाकर ब्यूटीशियन कोर्स किया। शहनाज ने शुरू से ही सोचा था कि उन्हें हर चीज नैचुरल रखनी है। रासायनिक प्रोडक्ट का बिजनेस उन्होंने कभी नहीं सोचा। इसलिए उन्हें काफी समय प्रशिक्षण लेने में लग गया। नैचुरल और हर्बल प्रोडक्ट्स की जानकारी लेने के लिए उन्होंने लगभग 10 सालों तक लंदन, पेरिस, न्यूयॉर्क और कॉपनहेगन के प्रतिष्ठित पॉर्लरों में ट्रेनिंग ली। केवल ट्रेनिंग लेने के लिए उन्होंने वहां के पार्लर में छोटे-मोटे काम भी किए।

पैसे उधार लेकर शुरू किया अपना बिजनेस
ट्रेनिंग पूरी कर शहनाज हुसैन साल 1977 में भारत लौटीं। लेकिन देश लौटने के बाद शहनाज के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपना बिजनेस शुरू कर सके। ऐसे में उन्होंने अपने पिताजी से 36 हजार रुपये उधार लेकर अपना छोटा सा ब्यूटी पार्लर खोला। यह पार्लर उन्होंने अपने दिल्ली स्थित घर में ही खोला था और इसका नाम शहनाज हुसैन हर्बल रखा। पूरी तरह से नैचुरल चीजों से बने होने के कारण लोगों को शहनाज के हर्बल प्रोडक्ट्स काफ़ी पसंद आए।
शुरुआत में तो शहनाज ने केवल स्किन से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए ही प्रोडक्ट्स बेचने शुरू किए। लेकिन लोगों के बीच अपने प्रोडक्ट्स के अच्छे रिस्पॉन्स को देखकर उन्होंने जल्द ही अन्य ब्यूटी से संबंधित समस्याओं जैसे मुहांसे, झाई, त्वचा में नमी की कमी और एलोपेसिया के समाधान के लिए भी प्रोडक्ट्स बाजार में लॉन्च कर दिये। फिर क्या था, पूरे मार्केट में शहनाज के प्रोडक्ट्स की धूम मच गई।
सौन्दर्य विशेषज्ञों के वैश्विक सम्मेलन में भारत का किया प्रतिनिधित्व
यह शहनाज हुसैन की क्रिएटिविटी और काबिलियत का ही कमाल था कि उन्हें पूरी दुनिया में धीरे-धीरे पहचान मिल गई। इस कारण ही शहनाज को अस्सी के दशक में हुए सौन्दर्य विशेषज्ञों के वैश्विक सम्मेलन सिडेस्को में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। शहनाज ने भी मौके का फायदा उठाते हुए सम्मेलन में मौजूद सभी व्यक्तियों को अपने क्रिएटिव आइडियाज़ से मंत्रमुग्ध कर दिया। आप इसे उनकी काबिलियत ही मानेंगे की उन्हें उनके क्रिएटिविटी और बोलने के तरीके के कारण उस सम्मेलन का 1 दिन के लिए अध्यक्ष बनाया गया। तब उन्होंने वहां अपने आयुर्वेद की तरफ लोगों का ध्यान खींचा।
फिर क्या था शहनाज ने सफलता की उड़ान शुरू कर दी।

भारत में बनाया मील का पत्थर
सम्मेलन से भारत लौटने पर शहनाज को हर क्षेत्र के व्यक्तियों ने फोन कर बधाईयां दी। कई इन्वेस्टर मिले और शहनाज ने बड़े लेबल पर अपना प्रोडक्ट लॉन्च कर दिया। उसके बाद तो शहनाज ब्यूटी क्वीन बन गई और आधे से अधिक लोग शहनाज हुसैन के ही प्रोडक्ट्स यूज़ करने लगे। हर्बल और आयुर्वेद प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने के कारण शहनाज को साल 1983 में राजीव गांधी सद्धभावना पुरस्कार और वीमेन ऑफ़ द डिकेड अवार्ड मिला। फिर साल 1985 में इमेज इंडिया अवार्ड 1985 तथा साल 1986 में फिक्की आउटस्टैंडिंग वीमेन ऑफ़ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
तो यह थी शहनाज हुसैन की कहानी जिसने 16 साल की उम्र में मां बनकर भी अपने सपनों की उड़ान भरी।