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बेटा होगा या बेटी इसकी संभावना हमेशा 50/50 होती है। लेकिन क्या ऐसा संभव है कि आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन से बेटा होने की संभावना बढ़ सकती है।
Sex Ratio of IVF Babies: हर कपल के लिए माता-पिता बनना सबसे बड़ी खुशी होती है। बेटा होगा या बेटी इसकी संभावना हमेशा 50-50 होती है। लेकिन क्या ऐसा संभव है कि आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन से बेटा होने की संभावना बढ़ सकती है। हाल ही में हुए एक शोध में इस मामले से जुड़ा एक बड़ा खुलासा हुआ है।
समझें आईवीएफ की गणित

वैज्ञानिकों के अनुसार आईवीएफ करवाने वाले कपल्स के बेटा होने की संभावना ज्यादा होती है। इस नए शोध का दावा है कि नर भ्रूण थोड़ा तेजी से विकसित होते हैं। यही कारण है कि उन्हें गर्भ में स्थानांतरित करने के लिए चुनने की संभावना भी ज्यादा होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आईवीएफ के माध्यम से लड़का होने की संभावना 100 में से 56 प्रतिशत तक होती है।
ये दो हैं मुख्य कारण
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से किया गया यह शोध अपने आप में अनोखा है। शोध से जुड़े यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रजनन विशेषज्ञ डॉ. हेलेन ओ’नील का कहना है कि जब आप विकास और गुणवत्ता दोनों पर ध्यान देते हैं तो नर भ्रूणों का चयन होने की संभावना अपने आप बढ़ जाती है। नर भ्रूणों का विकास मादा भ्रूणों के मुकाबले ज्यादा तेज होता है। ऐसे में कम समय में ही उनकी गुणवत्ता बेहतर होने की संभावना बढ़ जाती है।
साइंस की नजर से समझें
डॉ. हेलेन ने बताया कि नर भ्रूणों में एक X और एक Y गुणसूत्र होता है। वहीं मादा भ्रूणों में दो X गुणसूत्र होते हैं। विकास के शुरुआती चरणों में एक X गुणसूत्र बंद हो जाता है। आनुवंशिक संतुलन के लिए यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है लेकिन इसमें ऊर्जा और संसाधन लगते हैं। वहीं आईवीएफ में भ्रूणों का चयन उनके विकास और वृद्धि की गति के आधार पर किया जाता है। इसलिए नर भ्रूणों के चयन की संभावना ज्यादा होती है। क्योंकि गर्भधारण के बाद पहले कुछ दिनों में वे तेजी से बढ़ते हैं।
पहले भी हुए हैं अध्ययन
ऐसा नहीं है कि आईवीएफ से जुड़ा ऐसा शोध पहली बार हुआ है। इससे पहले हुए अध्ययनों में भी सामने आया कि है आईवीएफ से बेटा होने की संभावना ज्यादा होती है। लेकिन पहली बार इसके पीछे के बड़े कारणों का पता चल पाया है। आई पत्रिका में प्रकाशित और न्यू साइंटिस्ट लाइव में प्रस्तुत हुए इस शोध में बताया गया कि आईवीएफ की प्रक्रिया के दौरान नर भ्रूण के जीवित रहने की संभावना ज्यादा होती है।
सैकड़ों भ्रूणों का किया परीक्षण
वैज्ञानिकों ने इस शोध में 1300 भ्रूणों का परीक्षण किया। इनमें से 69 प्रतिशत नर भ्रूणों को अच्छी गुणवत्ता वाला माना गया। वहीं मादा भ्रूणों में यह आंकड़ा 57 प्रतिशत था। हालांकि डॉ. हेलेन ने यह साफ कहा कि भ्रूणों के विकास की गति में अंतर इतना कम है कि इसका उपयोग जानबूझकर नर या मादा भ्रूणों का चयन करने के लिए नहीं किया जा सकता। आपको बता दें कि ब्रिटिश क्लीनिकों में आईवीएफ के दौरान लिंग चयन की भी अनुमति नहीं है। वहीं भारत में भी भ्रूण परीक्षण की अनुमति नहीं है।
