रॉक कला स्थलों का रहस्य और ख़ास बात
इस जगह को पुरातत्व विभाग ने बहुत अच्छे से संरक्षित किया है और धीरे धीरे पर्यटन के रूप में विकसित करने की दिशा में काम हो रहा है।
Rock art sites of Chambal Valley: चंबल घाटी हमारे देश की सबसे लोकप्रिय घाटियों में आती है और दुनिया भर में अपनी बीहड़ता के लिए जानी जाती है। लेकिन एक और जिस चीज़ ने जो दुनिया भर के पर्यटकों को प्रभावित किया है वह है चंबल घाटी के रॉक कला स्थल जोकी चंबल के पहाड़गढ़ और नरेश्वर में मौजूद है। इस जगह को पुरातत्व विभाग ने बहुत अच्छे से संरक्षित किया है और धीरे धीरे पर्यटन के रूप में विकसित करने की दिशा में काम हो रहा है। इस दिशा में यूनेस्को ने बहुत बड़ा काम करते हुए इसका नाम भारत की अस्थायी सूची में भी डाल दिया है। यही वजह है कि इस जगह के प्रति लोगों की उत्सुकता बढ़ी है और लोग इस जगह के बारे में जानने के लिए यात्राएँ कर रहे हैं।
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चंबल की धरोहर लिखी छाज
लिखी छाज चंबल की एक बहुत ही अनमोल धरोहर है। लेकिन जानकारी के अभाव में देश दुनिया के सैलानियों के लिए रहस्य बनी हुई है। इस जगह पर यदि आप आना चाहते हैं तो आपको बता दूं कि यह जगह मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में आती है। बताया जाता है कि इस जगह पर भीम बेटका जैसे सैकड़ों भित्ति चित्र हैं और यह उतने ही पुराने हैं जितने की भीम बेटका के भित्ति चित्र हैं। इस जगह पर जाकर आप इनको एक्सप्लोर कर सकते हैं। इनके बारे में जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं। आपको यह अनछुई जगह काफी अच्छी लगेगी।
मुरैना का पहाड़गढ़

लिखी छाज ही नहीं बल्कि मुरैना का पहाड़गढ़ भी काफ़ी अच्छा है और सैलानियों को कई ख़ूबसूरत गंतव्य उपलब्ध कराता है। लेकिन इस जगह की प्रसिद्धि बहुत कम होने के कारण बहुत ही कम लोग पहुंच पाते हैं। इस जगह पर जाकर आप एक खोजी यात्री के तौर पर इस जगह के इतिहास का पता लगा सकते हैं। यह एक सम्भावनाओं से भरा एक बहुत ही ख़ूबसूरत स्थल है। इस जगह की यात्रा आपको समृद्ध करने के साथ साथ इस जगह के विकास में भी सहायक होगी।
यूनेस्को में शामिल

मध्य प्रदेश के 6 दर्शनीय स्थलों को यूनेस्को ने अपनी अस्थायी सूची में शामिल किया है। चंबल की लिखी छाज के अलावा इस लिस्ट में ग्वालियर किला, भोजेश्वर महादेव मंदिर, खूनी भंडारा बुरहानपुर और रामनगर, मंडला का गोंड स्मारक और भोजपुर शामिल है। युनेस्को द्वारा लिखी छाज का नाम जोड़ने पर इस बात की सम्भावना जताई जा रही है कि एक पर्यटन स्थल के तौर पर इस जगह का विकास और भी तेज़ी से होगा। चम्बल घाटी के पुरातत्व प्रेमियों को नया स्कोप मिलेगा।
पुरासंपदा का भंडार

यह पूरा क्षेत्र पहाड़गढ़ के नाम से जाना जाता है। यह आदिवासी बाहुल्य होने के साथ पर्यटन के लिहाज से भी भी काफी समृद्ध है। इस जगह पर कई ऐसे दर्शनीय स्थल हैं जो इसे दुनिया के वैश्विक नक़्शे पर लाते हैं। ईश्वरा महादेव, निरार माता, आमक्षिर, बहरारा माता, लिखी छाज, श्यामदेव बाबा मंदिर, देववन स्थान, हीरामन मंदिर और पहाडगढ़ किला जैसी जगह आपकी यात्रा को विविधतापूर्ण बना देती हैं। इस जगह के शैल चित्र 25 हजार साल पुराने हैं जोकि अपने आपमें एक बहुत ही बड़ी और महत्व की बात है।
