Raksha Sutra Rituals: हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है जिसमे अलग अलग पूजा पद्धतियां और रीतियां हैं। मान्यता है कि पूजा-पाठ हो या फिर कोई और मांगलिक कार्य हो, कलाई पर मौली या कलावा अवश्य बांधा जाता है। वेदों और शास्त्रों में जहां रक्षा सूत्र का वर्णन मिलता है, वहीं इससे संबंधित कुछ नियम भी हैं। सनातन धर्म की परंपराओं में जब कभी यज्ञ होता है तो यज्ञ में कलावा बांधने की परंपरा है। इस विषय में कई कथाएं सुनने को मिलती हैं। आइए इस विषय में विस्तार से जानते हैं।
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हिंदू धर्म में कलावा बंधने से जुड़े इन नियमों का पालन करना है जरूरी: Raksha Sutra Rituals

यह है रक्षा सूत्र की कथा
सनातन धर्म में हर प्रथा और परंपरा का या तो कोई शास्त्रीय कारण है या वैज्ञानिक कारण। रक्षा सूत्र ke विषय में भी एक ऐसी ही पौराणिक कथा सुनने को मिलती है। एक बार असुरराज बलि की भगवान वामन ने एक रक्षा सूत्र बांधा था, जिसके कारण राजा बलि अमर हो गए। राजा बलि की रक्षा के लिए बांधा गया यह सूत्र हर किसी की रक्षा करने में सक्षम होता है।
इतने दिनों तक पहन सकते हैं कलावा
कलावे को बांधने के कई नियम हैं, जिनका पालना करने पर ही कलावा आपको फायदा पहुंचाता है। अक्सर जब कभी हमारे कलावा बांधा जाता है तो उसके बाद हम अक्सर कलावे को निकालना भूल जाते हैं । जबकि शास्त्रों में इसका एक विशेष नियम मिलता है। धर्म के जानकर बताते हैं कि शास्त्रों में कलावे को मर्यादाओं में यह बताया गया है कि आप कितने दिनों तक एक कलावा बांध सकते हैं। मान्यता है कि हाथ में कलावा सिर्फ 21 दिन के लिए ही बांधना चाहिए, इसके बाद कलावा बंधे रहना आपके लिए अशुभ सिद्ध हो सकता है। दरअसल 21 दिन के बाद कलावा इसलिए अशुभ हो जाता है क्योंकि उसका रंग उतरने लगता है।
ऐसा कलावा होता अशुभ
अगर आपके कलावे का रंग उतरने लगा है, तो उसको हटा देना चाहिए। दरअसल रंग उतरते कलावे को बांधे रखना बेहद अशुभ है। ऐसे में आप किसी भी अच्छे मुहूर्त में नया कलावा बांध सकते हैं। मान्यता है कि जब कभी कलावा हाथ से उतारा जाता है तो ये आपके सारे संकट और समस्याएं लेकर उतर जाता है। ऐसे कलावे को दोबारा धारण नहीं करना चाहिए बल्कि बहते पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए।
ये हैं मौली या कलावा बांधने के नियम
- शास्त्रीय मर्यादाओं के अनुसार पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को अपने दाएं हाथ में कलावा बांधना सही माना गया है।
- विवाह के बाद स्त्री के बाएं हाथ में कलावा बांधे जाने का विधान है।
- हाथ में कलावा बांधे समय मुट्ठी बंद रखनी चाहिए और उसमे पुष्प या दक्षिणा रखनी चाहिए।
- कलावा बंधवाते समय आपको अपना सिर ढक लेना चाहिए।
- मौली को केवल तीन चक्कर ही लपेटना चाहिए।
