Pre-Marital Test: जिंदगी के अहम मोड़ पर दो अंजान लोग एक नए रिश्ते में बंधने और जीवन भर साथ निभाने की ऐसी ही एक परंपरा है- विवाह। सदियों से शादी दो दिलो का मेल और सात जन्मों का पवित्र बंधन माना जाता रहा है। समय के बदलाव के साथ इस परंपरा में भी काफी कुछ बदला है।
हिन्दू धर्म में वर-वधु की जन्मकुंडली में 36 गुणों के मिलान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती थी और इसे सुखमय वैवाहिक जीवन का आधार माना जाता था। लेकिन कई बार बेमेल विवाह से जीवन भर साथ निभाने की मजबूरी का सामना करना पड़ता था। व्यक्तिगत कमियों या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से मधुर संबंध स्थापित नहीं हो पाते थे। नतीजन उन्हें बांझपन, नपुंसकता जैसे दर्द झेलना पड़ता था। बार-बार गर्भपात या फिर नवजात शिशु में जन्मजात विकारों को पिछले जन्मों के कुकर्मों का फल जैसी सामाजिक प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ता था। लड़का-लड़की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को जानकर एक-दूसरे का मजबूत संबल बन सकते हैं। भविष्य में समुचित उपचार करके या फैमिली प्लानिंग कर बेहतर वैवाहिक जीवन जी सकते हैं। शादी तय करते वक्त परिवारजन अपनी वंश को आगे बढाने के लिए लड़का-लड़की की जन्मकुंडली में 36 गुणों का मिलान के साथ स्वास्थ्य-गुणों के मिलान पर भी बल दें।
प्री-मैरिटल स्क्रीनिंग और काउंसलिंग
शादी की स्टेज पर पहुंचे लड़के-लड़कियों को किसी भी सीनियर डॉक्टर से सलाह लेकर यथासंभव स्क्रीनिंग जरूर करानी चाहिए।
सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन

सबसे पहले यह चैक करना चाहिए कि महिला को 15 साल की उम्र तक सर्वारिक्स और गारडासिल (एचपीवी) वैक्सीन दी गई हो। ये वैक्सीन महिला को सेक्सचुली ट्रांसमीटिड एचपीवी या ह्यूमन पेपीलोमा वायरस के इंफेक्शन से बचाती हैं। इससे बच्चेदानी के मुंह पर होने वाले जानलेवा सर्वाइकल कैंसर का बचाव होता है। अगर वैक्सीन नहीं ली हो तो सेक्स के दौरान महिलाओं को एहतियात बरतनी जरूरी है।
रुबैला वैक्सीन
लड़कियों को बचपन में रुबैला वैक्सीन लगाई जाती है ताकि भविष्य में शादी के बाद गर्भपात होने, शिशु मंदबुद्धि होने जैसी समस्याएं न हों। लेकिन कई लड़कियां यह वैक्सीन नहीं लगवा पातीं। शादी से पहले इसकी पुष्टि के लिए लड़की को रुबैला आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। अगर टेस्ट नेगेटिव आता है, तो लड़की को शादी से पहले रुबैला वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए।
ब्लड ग्रुप कम्पैटिबल टेस्ट
शादी से पहले लड़का-लड़की के ब्लड ग्रुप की जांच भी की जानी चाहिए। लड़की आरएच-नेगेटिव और लड़का आरएच-पॉजीटिव ब्लड ग्रुप का नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे आगे जाकर गर्भावस्था के दौरान गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं, जिससे बचाव के लिए गर्भावस्था से पहले महिला को एंटी-डी का इंजेक्शन लगाना पड़ता है। लेकिन समय पर जांच न हो पाने के कारण लड़की का ब्लड ग्रुप नेगेटिव होने का पता नहीं चल पाता और उसे गर्भावस्था से पहले एंटी-डी का इंजेक्शन नहीं लग पाता, जिसका असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। बच्चे का शारीरिक-मानसिक विकास अवरुद्ध हो सकता है। यहां तक कि बार-बार गर्भपात होने, गर्भ में ही बच्चे की मृत्यु होने या जच्चा-बच्चा दोनों के लिए जानलेवा हो सकता है। इसलिए शादी से पहले अपने साथी का ब्लड ग्रुप जानना बहुत जरूरी है ताकि आगे आने वाली समस्याओं से बचा जा सके।
एचआईवी और सेक्सचुली ट्रांसमीटिड डिजीज (एसटीडी) टेस्ट

समाज में अभिशाप मानी जाने वाली एड्स जैसी सेक्सचुली ट्रांसमीटिड जानलेवा डिजीज के प्रति सचेत होना बेहद जरूरी है। शादी से पहले लड़का-लड़की दोनों को बिना किसी झिझक के एसटीडी टेस्ट करवाना चाहिए। इस टेस्ट के माध्यम से व्यक्ति आगे चलकर होने वाली बीमारियों से बच सकता है। इससे एचआईवी, हैपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, हरपीज, गोनोरिया, सिफलिस जैसी बीमारियों का पता चलता है। ये संक्रमण असुरक्षित यौन संबंध बनाने, ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिये एक-दूसरे से फैलते हैं या आनुवांशिक होते हैं। दोनों में से किसी के पॉजिटिव रिजल्ट आता है तो डॉक्टर के परामर्श या आपसी रजामंदी पर ही रिश्ता कायम करना चाहिए, क्योंकि ऐसा न करने पर होने वाले बच्चा भी संक्रमित हो सकता है और दूसरा साथी भी जानलेवा बीमारियों की चपेट में आ सकता है।
महिलाओं में एग्स की कमी
वैज्ञानिकों के अनुसार हरेक महिला जब पैदा होती है, तो निश्चित एग्स लेकर पैदा होती है। वो चाहे भी तो भी इन्हें बढ़ा नहीं सकती और एक उम्र के बाद उनके पूरे एग्स खत्म हो जाते हैं। जबकि एक पुरुष हर तीन महीने नया सीरम बनाते हैं। इसलिए शादी करवा रहे लड़का-लड़की को अपना फर्टिलिटी टेस्ट जरूर कराना चाहिए। शादी बड़ी उम्र में करने के कारण महिलाओं के एग्स कम हो जाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें गर्भधारण में परेशानी य१ा नवजात शिशु के मंदबुद्धि होने की संभावना रहती है। कई महिलाओं को हार्मोनल बदलावों की वजह से पीसीओडी, ओवरी में सिस्ट होना, ओवेरियन सिस्ट होना या मोटापा जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जिनकी वजह से उनकी ओवरी में एग्स की कमी हो सकती है और इंफर्टिलिटी की समस्या आ सकती है। ऐसी महिलाओं को एएमएच (एंटी मुलेरियन हार्मोनद्ध ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए। इससे उनमें मां बनने की क्षमता का पता लग सकता है यानी उनके शरीर में कितने एग्स हैं और वो कितनी जल्दी बच्चा पैदा कर सकती हैं। टेस्ट से अगर ओवरी में अंडों की संख्या कम होने की पुष्टि हो, तो उन्हें शादी के बाद जल्द ही बच्चे की प्लानिंग कर लेनी चाहिए ताकि आगे जाकर गर्भधारण करने में दिक्कत न हो।
इसी तरह लड़कों के वीर्य में होने वाले शुक्राणुओं की जांच (सीमन एनालिसिस) कराकर देख लेना चाहिए कि लड़के में स्पर्म काउंट कितना है। अगर लड़के का स्पर्म काउंट कम होता है या अच्छी गुणवत्ता वाला नहीं होता। तो इससे या तो महिला गर्भधारण नहीं कर पाती या गर्भ में पल रहे बच्चे का समुचित विकास नहीं हो पाता। ये जानते हुए भी अगर लड़का-लड़की शादी करते हैं, तो आगे होने वाली समस्याओं के लिए वे तैयार रह सकते हैं।
जेनेटिक टेस्ट
ट्राइजोमिक-21 जीन की वजह से गर्भस्थ शिशु में डाउन सिंड्रोम, सेरेब्रल पाल्से, ऑटिज्म, रेट सिंड्रोम जैसी बीमारियां गर्भस्थ शिशु में देखने को मिलती हैं। शिशु यह जीन मां.बाप के अलावा आनुवांशिक रूप से भी प्राप्त कर सकता है। जिसकी वजह से उसका मानसिक विकास ठीक तरह नहीं हो पाता। इसलिए शादी के बंधन में बंधने से पहले लड़का-लड़की को ट्राइजोमिक-21 जीन का जरूर पता लगाना चाहिए ताकि आने वाले बच्चे में किसी तरह के मानसिक विकार की संभावना से बचा जा सके।
ऐसे कई परिवार होते हैं जिनमें लड़के-लड़की में जेनेटिक रूप से या आनुवांशिक बीमारियां आती हैं। इनमें डायबिटीज, थायरॉयड, हाइपरटेंशन, किडनी ए कैंसर, ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों की फैमिली हिस्ट्री हो। इससे भविष्य में होने वाली संतान को भी ये बीमारियां हो सकती हैं। तो शादी से पहले लड़का-लड़की दोनों को मेडिकल चेकअप जरूर कराना चाहिए। ताकि होने वाले बच्चे को किसी प्रकार का खतरा न हो।
मेंटल हैल्थ

डॉक्टर मानते हैं कि 70-75 प्रतिशत मनोभ्रंश (सिजोफेनिया), पैरानॉयड बिहेवियर (पागल व्यवहार) जैसी मानसिक विकार जेनेटिक होते हैं। इसलिए इन विकारों की फैमिली हिस्ट्री हो, तो होने वाले बच्चे में भी इसके होने की संभावना रहती है। इससे बचने के लिए शादी करने जा रहे व्यक्ति को अपने साथी के रिश्तेदारों, पास-पड़ोस या दोस्तों से इसके बारे में जानकारी जरूर लेनी चाहिए। ठ्ठ
डॉ. अंशु जिंदल
(वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ- जिंदल अस्पताल, मेरठ) से बातचीत, पर आधारित)
