Partner Different Parenting Style: बच्चे की परवरिश करना यकीनन एक टफ टास्क है। बच्चे बेहद मासूम होते हैं और अक्सर उन्हें हैंडल करना काफी मुश्किल हो जाता है। लेकिन बच्चे को हैंडल करना तब और भी ज्यादा मुश्किल हो सकता है, जब दोनों पार्टन का पैरेंटिंग स्टाइल अलग हो। हो सकता है कि एक पार्टनर काफी कूल हो और बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखना पसंद करता हो, जबकि दूसरा पार्टनर सख्त व नियमों के साथ चलने वाला हो। ऐसे में बच्चे की परवरिश करते समय अक्सर दोनों पार्टनर के बीच मतभेद हो जाता है। जिससे कहीं ना कहीं बच्चे पर भी नेगेटिव असर पड़ता है।
लेकिन वास्तव में इस स्थिति में आपको थोड़ा समझदारी से हैंडल करने की जरूरत होती है। आप दोनों अपने पैरेंटिंग स्टाइल को बच्चे को संस्कार देने और उसकी दुनिया को आकार देने के दो पूरक तरीकों के रूप में सोचें। हर पैरेंटिंग स्टाइल के अपने कुछ फायदे व नुकसान हैं। आपको माता-पिता के रूप में खुद को बदलने की ज़रूरत नहीं है – बस एक-दूसरे की खूबियों के साथ काम करना सीखें। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि दोनों बच्चों के पैरेंटिंग स्टाइल अलग होने पर आपको बच्चे की परवरिश किस तरह करनी चाहिए-
एक-दूसरे के स्टाइल को समझें

बच्चे की परवरिश करना दोनों पार्टनर की साझा जिम्मेदारी है और उनके बीच किसी तरह की समस्या ना हो, इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले वे दोनों एक-दूसरे के पैरेंटिंग स्टाइल को समझें। अमूमन पेरेंटिंग स्टाइल हमारी खुद की परवरिश, व्यक्तिगत अनुभवों और बच्चों के लिए जो हम सबसे अच्छा समझते हैं, उसे ही अपनाते हैं। लेकिन अगर आप अपने बच्चे के लिए सबसे बेस्ट चुनें, इसके लिए जरूरी है कि आप पहले एक-दूसरे के पैरेंटिंग स्टाइल की ताकत को पहचानें। जब आप दोनों एक-दूसरे के पैरेंटिंग स्टाइल की खूबियों को पहचानते हैं तो इससे आप अपने बच्चे के लिए बेस्ट चुन पाते हैं।
शेयर करें गोल्स

पैरेंटिंग स्टाइल अलग होने के बाद भी आपके बीच किसी तरह का मनमुटाव ना हो, इसके लिए आप अपने पार्टनर के साथ गोल्स शेयर करें। मसलन, आप दोनों अपने बच्चे के लिए क्या चाहते हैं या फिर आप अपने बच्चे के भविष्य को किस तरह देखते हैं। जब आप इस पर बात करते हैं तो इससे बच्चे की परवरिश के लिए एक सही प्लान बनाने में मदद मिलती है। चूंकि आप दोनों ही एक लक्ष्य को लेकर फोकस होते हैं, इसलिए छोटे मतभेद बड़े मुद्दे नहीं बनते हैं। इस स्थिति में अमूमन कपल्स अपने पैरेंटिंग स्टाइल के लेकर अधिक फ्लेक्सिबल हो जाते हैं, क्योंकि वे छोटी-छोटी चीजों से हटकर बड़ी तस्वीर पर फोकस करते हैं।
एक-दूसरे की सीमाओं का सम्मान करें

अगर आप सच में अपने बच्चे की बेहतर तरीके से परवरिश करना चाहते हैं तो यह बेहद जरूरी है कि आप दोनों एक-दूसरे की सीमाओं का सम्मान करें। मसलन, अगर आपका साथी नहीं चाहता है कि बच्चे बहुत ज़्यादा स्क्रीन टाइम देखें, तो ऐसे में आप उसकी इच्छा का सम्मान करें। इसी तरह, अगर दूसरा पार्टनर चाहता है कि बच्चा अपने काम खुद करना सीखें या फिर वह घर के काम में सहारा बने, जिससे वह बचपन से आत्मनिर्भर बन सके तो ऐसे में उसकी इच्छा का सम्मान करें और बच्चे के सामने अपने पार्टनर की बातों का विरोध ना करें।
समझौता करने के लिए रहें तैयार

आपको इस बात को अच्छी तरह समझना चाहिए कि कभी भी बच्चे की परवरिश के लिए एक ही तरीका पूरी तरह से सही नहीं होता। चूंकि हर बच्चा अलग होता है, इसलिए उसे हैंडल करने का तरीका भी अलग होता है। इतना ही नहीं, बच्चे को उम्र के अलग-अलग पड़ावों पर अलग तरह से हैंडल करने की जरूरत हो सकती है। इसलिए, कभी-कभी एक बदलाव के लिए आप एक-दूसरे के तरीके को आज़माने की कोशिश करें। यह कई बार आश्चर्यजनक रूप से प्रभावी हो सकता है। अगर आपका साथी चाहता है कि बच्चे स्कूल के तुरंत बाद होमवर्क करें और आप उन्हें ब्रेक देना पसंद करते हैं, तो मिक्स ट्राई करें। शायद पहले 15 मिनट का ब्रेक, फिर होमवर्क। इस तरह मिलकर काम करने से आप बच्चे को अधिक बेहतर तरीके से मैनेज कर पाते हैं। साथ ही साथ, इसका अच्छा असर भी बच्चे पर पड़ता है, क्योंकि मिक्स पैरेंटिंग स्टाइल अपनाने से बच्चे और दोनों पैरेंट्स की इच्छा पूरी हो जाती है।
बातचीत करने के लिए निकालें समय

कई बार ऐसा होता है कि दोनों पार्टनर बच्चे को अपने तरीके से हैंडल करते हैं और इसलिए कभी-कभी उनका पैरेंटिंग स्टाइल एक-दूसरे पर हावी होने लगता है। इस स्थिति में कहीं ना कहीं उनके पैरेंटिंग गोल्स पर नेगेटिव असर पड़ने लगता है। इसलिए, पेरेंटिंग के बारे में समय-समय पर चेक करने के लिए समय निकालें। आप चाहें तो महीने में एक या दो बार कॉफ़ी पर जा सकते हैं। इससे आप दोनों शेयर कर पाएंगे कि वास्तव में बच्चे के लिए क्या काम कर रहा है, क्या चैलेंजिंग है, और कहां पर आप दोनों को एक बदलाव की जरूरत है। यह एक छोटी सी आदत है, लेकिन इसका काफी गहरा प्रभाव पड़ता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आप दोनों एक टीम की तरह महसूस करते हैं और बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
