सिंगल पैरेंट होने का मतलब यह होता है कि अब आपके कार्य दोगुने हो जायेंगे, पिता की भी ड्यूटी आपको ही करनी पड़ेगी और मां की भी, इस पूरे अनुभव में आपकी बहुत सी अच्छी यादें बनेंगी तो बहुत सी चीजों से आप बहुत परेशान हो कर हार मानने की भी सोच सकते हैं। लेकिन उसी समय आपको यह याद रखना है कि सिंगल पैरेंट होने के केवल नुकसान ही नहीं हैं बल्कि कुछ लाभ भी हैं जिन्हें केवल आप अकेले महसूस कर पाएंगे। आप अपने बच्चों से इकलौते ही दोगुणा प्यार कर सकते हैं, उन्हें डबल हग कर सकते हैं, और यह सारे कर्तव्य निभा कर आपका मान और खुद पर गर्व भी दोगुना हो जायेगा। तो आज जानते हैं कि एक सिंगल पैरेंट होने के क्या क्या लाभ हैं और कहां कहां आपको लग सकता है कि यह बहुत दुखदाई भी हो सकता है।

लाभ : 

बच्चों की परवरिश को लेकर सारे निर्णय आप ही करेंगे: अगर आप एक सिंगल पैरेंट हैं तो बच्चों की सारी जिम्मेदारी आप के कंधों पर ही आ जाएगी। लेकिन अच्छी बात यह है कि आप अपने बच्चों के भले के लिए खुद ही सारे निर्णय ले सकते हैं। शुरुआत में आप इस काम को लेकर थोड़े नेगेटिव हो सकते हैं लेकिन बाद में आपको लगेगा कि आपने अपने बच्चों के लिए बहुत अच्छा निर्णय लिया है और इस परवरिश में किसी का हस्तक्षेप भी नहीं है जिससे बच्चे बिगड़ सकें।

फाइनेंस मैनेज करना: अगर आप एक सिंगल पैरेंट हैं तो आप ही यह निर्णय करेंगे कि आप अपने पैसे अपने ऊपर और अपने बच्चों के ऊपर किस प्रकार खर्च कर सकते हैं। इसमें किसी अन्य या दूसरे पार्टनर का हस्तक्षेप नहीं हो पाएगा जिससे आप अपनी और अपने बच्चों की जरूरत और शौक दोनों पूरे कर पाओगे। इसमें आपको लगेगा कि आप बहुत ही स्वतंत्र रूप से निर्णय ले रहे हैं और अगर आपको कोई खर्चा कट करना है तो वह निर्णय भी आप खुद ही कर पाएंगे।

आपका बच्चा अपनी जिम्मेदारियों को समझेगा: एक सिंगल पैरेंट के बच्चे बहुत जिम्मेदार होते हैं क्योंकि उन्होंने शुरू से ही अपने इकलौते पिता या मां को दोगुणा काम करते हुए और उनकी परवरिश करने में आने वाले संघर्ष को देखा है। तो उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का अहसास होता है और वह खुद को अपने पैरों पर खड़े करने में बहुत मेहनत भी करते हैं जो उनके लिए और आपके लिए अच्छा है। 

अविभाजित प्यार और अटेंशन: एक सिंगल पैरेंट अपने बच्चे को सारी अटेंशन और प्यार देता है ताकि उसे दूसरे पैरेंट की कमी महसूस न हो। इस दौरान बच्चे को मां या पिता का अलग अलग प्यार पाने की आवश्यकता नहीं होती है वह समझ लेता है कि उसे अविभाजित प्यार मिल रहा है।

आप किसी अन्य पर निर्भर नहीं रहेंगे: दो पेरेंट्स होने में एक पैरेंट की अपेक्षा हमेशा दूसरे से बढ़ कर होती है और वह सोचता है कि दोनों को एक बैलेंस मेंटेन करना चाहिए अर्थात् एक पार्टनर दूसरे पार्टनर पर निर्भर हो जाता है लेकिन सिंगल पैरेंट के केस में आप किसी पर निर्भर हुए बिना ही सारा काम स्वयं करते हैं।

सिंगल पैरेंट होने की कुछ चुनौती

अपने बच्चों को विभाजन का फायदा उठाते देखना: कई बार ऐसा होता है कि आपके विभाजन से पहले आपके पार्टनर बच्चों को कुछ ऐसी छूट दे देते हैं जिससे वह बिगड़ते हैं और जब आप विभाजित हो जाते हैं तो बच्चे उन्हीं आदतों पर कायम रहते हैं और आपकी बात नही मानते जिससे आपको यह स्थिति हैंडल कर पाने में मुश्किल होती है।

मजबूत बने रहना: विभाजन इमोशनल रूप से बहुत ही अधिक तहस नहस करने वाली स्थिति होती है। इसलिए आप अपने बच्चे के सामने कितनी ही मजबूत बनी रहें लेकिन आपको कभी कभी यह जरूर महसूस होता होगा कि आप कमजोर पड़ रहे हैं।

अपने बच्चे के सामने अपने एक्स के सामने शांत रहना :आपकी अपने एक्स पार्टनर के साथ बहुत सी शिकायते होंगी और आप बहुत सी चीजों के बारे में उनसे बात करना चाहते होंगे लेकिन अपने बच्चे के सामने उनके आगे शांत बने रहना एक बहुत ही चुनौती जैसा काम है।

अकेले ही बच्चे को पालना बहुत मुश्किल काम हो सकता है लेकिन आपको इन चुनौतियों को पार करना है और अपने बच्चे को इस तरह पाल कर दिखाना है कि आपके पार्टनर के साथ मिल कर भी आप इस प्रकार उनकी परवरिश न कर पाए। इसलिए चुनौतियों से ज्यादा आपको जो वरदान मिले हैं उन पर ध्यान देना चाहिए और अपने बच्चे को किसी भी प्रकार की कमी महसूस नहीं होने देनी है।

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