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आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बच्चों की देखभाल करना मुश्किल काम है। वर्किंग पेरेंट्स इसमें और भी ज्यादा समस्याएं महसूस करते हैं। ऐसे में कई पेरेंट्स शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से थक जाते हैं।
Parental Burnout Symptoms: पेरेंटिंग एक फुल टाइम जिम्मेदारी है, जिसमें हर माता-पिता को कई सारी भूमिकाएं निभानी होती हैं। अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देने के साथ ही उनकी पढ़ाई पर ध्यान देना, एक्स्ट्रा एक्टिविटी पर फोकस करना, उनकी इच्छाओं को पूरी करने के लिए अपनी हर इच्छा को दबाना, खुद से पहले बच्चों की प्राथमिकताओं के लिए सोचना, बिना थके उनका हर काम करना जैसे अनगिनत काम हर माता-पिता के जिम्मे होते हैं। लेकिन जब इन सभी त्याग, जिम्मेदारियों और थकावट के लिए आपको कोई सराहना नहीं मिलती तो पेरेंट्स थक जाते हैं। उन्हें ये सब निरर्थक लगने लगते हैं। इसी को कहते हैं ‘पेरेंटल बर्नआउट’।
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जानिए क्या है पेरेंटल बर्नआउट

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बच्चों की देखभाल करना मुश्किल काम है। वर्किंग पेरेंट्स इसमें और भी ज्यादा समस्याएं महसूस करते हैं। वहीं अधिकांश पेरेंट्स यही सोचते हैं कि उनका बच्चा हर फील्ड में आगे रहे। इसलिए पढ़ाई के साथ ही वे गेम्स, डांस, सिंगिंग, पेंटिंग जैसी कई क्लासेज में भी बच्चों को लेकर जाते हैं। इन सबके बीच घर के कामों पर भी ध्यान देना जरूरी होता है। ऐसे में पेरेंट्स एक समय बाद थकान महसूस करने लगते हैं। दूसरी ओर बच्चे इन्हें सिर्फ पेरेंट्स की जिम्मेदारी मान बैठते हैं। ऐसे में जब पेरेंट्स की जिम्मेदारी निभाते निभाते माता-पिता शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से थकावट महसूस करने लगे तो ये ‘पेरेंटल बर्नआउट’ की स्थिति में आता है। इस बर्नआउट से पिता से कहीं ज्यादा मां प्रभावित होती है।
बच्चे पर भी होता है असर
आज के पेरेंट्स पर बच्चों को ऑलराउंडर बनाने का प्रेशर भी पेरेंटल बर्नआउट का एक कारण है। सिर्फ पेरेंट्स ही नहीं बच्चे भी इससे प्रभावित होते हैं। इस बर्नआउट के कारण पेरेंट्स और बच्चों की बॉन्डिंग कमजोर होने लगती है। वहीं पेरेंट्स बच्चों को अपना 100 पर्सेंट नहीं दे पाते। ऐसे में बच्चे भी चिड़चिड़े होने लगते हैं, उन्हें जल्दी गुस्सा आने लगाता है, वे बात-बात पर चिल्लाते हैं, कई बार वे अपनी बातें मनवाने के लिए जिद करने लगते हैं। इन सभी के कारण बच्चे निराश होने लगते हैं।
इन तरीकों से करें पेरेंटल बर्नआउट को डील
कुछ तरीके अपनाकर आप पेरेंटल बर्नआउट की समस्या से खुद का बचाव कर सकते हैं। सबसे पहले खुद के लिए समय निकालना सीखें। बच्चों की परवरिश आपकी जिम्मेदारी है, लेकिन इसमें से थोड़ा सा समय खुद के लिए भी निकालें। घर में कुछ नियम बनाएं और उन्हें फॉलो करने के लिए सभी को कहें। इससे काम का बंटवारा होगा और आप अपने आप के लिए समय निकाल पाएंगे। दरअसल, लगातार जिम्मेदारियों के कारण आप पेरेंटल बर्नआउट का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में एक दूसरे की मदद कर इन जिम्मेदारियों को बांटें। अगर आप वर्किंग वूमन हैं तो यह और भी जरूरी हो जाता है। इसलिए परिवार के सभी सदस्यों को ड्यूटी बांटें। इससे आपके काम का बोझ कम होगा। आप लोगों से मिलें, अपनी हॉबी पर ध्यान दें, म्यूजिक सुनें, डांस करें, इन सभी से आप रिलेक्स होंगे।
