आपका बच्चा कितना है आर्गनाइज़्ड: Parenting Advice
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Parenting Advice: क्या आपका बच्चा आपका कोई कहना नहीं मानता? क्या वह चीजों को मैनेज करके नहीं रखता? क्या आपको अपने बच्चों की हरकतों के लिये शॄमदा होना पड़ता है? अगर ऐसा है तो इसमें गलती आपके बच्चे की नहीं बल्कि आपकी है क्योंकि एक अभिभावक के तौर पर उसे बचपन से ही हर कार्य में दक्ष बनाने का काम आपका ही है।

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यकीनन आज के परिवेश में एक बच्चे की परवरिश करना बेहद ही कठिन हो गया है। हर अभिभावक का यही सपना होता है कि उनका बच्चा अनुशासित, आज्ञाकारी और अपने से बड़ों का सम्मान करने वाला हो लेकिन इसे साकार कुछ ही अभिभावक कर पाते हैं। असल में गौर से सोचा जाये तो बच्चे को अनुशासित, आज्ञाकारी, संस्कारी और एक अच्छा इंसान बनाने के लिये अभिभावक को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जो कि आज के व्यस्त समय में हर अभिभावक के लिये मुश्किल होने के साथ-साथ पेचीदा भी है।
काउंसलर प्रांजलि मल्होत्रा का कहना है कि दरअसल आजकल एक सोच यह भी बन गई है कि मां-बाप सिर्फ यही सोचते हैं कि बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाना, उन्हें मनपसंद खाना, खिलौने इत्यादि चीजें देने से उनकी जिम्मेदारी पूरी हो जाती है। यह वही अभिभावक होते हैं जो शुरू में तो बच्चों को लाड़-प्यार में कुछ भी नहीं सिखाते और बाद में जब बच्चा बड़ा होकर अनुशासनहीन हो जाता है, तो जीवन भर उस पर अनुशासनहीनता को लेकर तंज कसते रहते हैं। आपका बच्चा आज्ञाकारी, अनुशासित और संस्कारी होने के साथ-साथ एक अच्छा इंसान बनें इसके लिये हर अभिभावक को भी आज्ञाकारी, अनुशासित और संस्कारी बनना होगा। यदि आप अभिभावक होकर एक बेहतर इंसान नहीं हैं तो अपने बच्चे से आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं इसलिये बेहद जरूरी है कि आप पहले खुद आज्ञाकारी, अनुशासित और संस्कारी बनें। काउंसलर प्रंाजलि मल्होत्रा बता रही हैं कुछ ऐसे सलाह जिन पर आप गौर करके अपने बच्चे को आज्ञाकारी, अनुशासित व एक बेहतर इंसान बना सकते हैं ताकि भविष्य में आपका बच्चा बड़ा होकर आप की परवरिश पर नाज करे-

सलाह- सबसे पहले तो अपने बच्चे को अनुशासित बनाने के लिये जरुरी है कि आप खुद अनुशासित अभिभावक हो। बहुत से अभिभावक होते हैं जो खुद तो कुछ नहीं करते लेकिन अपने बच्चे से बहुत सारी अपेक्षायें रखते हैं। यदि आप अपने बच्चे को सभी मानकों पर खरा उतरता हुआ देखना चाहते हैं तो पहले आप उनके रोल मॉडल बनिये तब जाकर वो भी आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे। काउंसलर प्रांजलि मल्होत्रा का कहना है कि छोटे बच्चे में सीखने की क्षमता बहुत तेजी से विद्यमान होती है अभिभावक जैसा बर्ताव अपने बच्चे के साथ करते हैं बच्चा भी वैसा ही बर्ताव करता है इसलिये ये बेहद ही जरुरी है कि
बच्चे को अनुशासन का पाठ पढ़ाने से पहले
आप अपने बच्चे की नजर में एक आदर्श अभिभावक बनें।

सलाह- आपने कई अभिभवकों को देखा होगा कि जब वह नौकरी से लौटते है तो जहां बैठे वही शूज़ खोलकर रख दिये, नहाकर टॉवल बिस्तर पर फेक दिया, खाना खाकर प्लेट वहीं छोड़ दी वगैरह-वगैरह और जब यही काम आपके बच्चे करते है तो आपको बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। बच्चे स्कूल से आते ही अपने जूते-बैग इधर-उधर फेंक देते हैं, अपना टीफिन बैग से नहीं निकालते और खाना खाकर अपनी जूठी प्लेट वहीं छोड़ देते हैं। दरअसल देखा जाये तो ये खराब आदतें आपके बच्चे ने आपसे ही सीखी हुई है जब आप खुद ही वेल आर्गनाइज्ड तरीकों से काम नहीं करेंगे तो बच्चा कैसे करेगा। इसलिये आवश्यक है कि पहले आप अपने सभी कामों में वेल आर्गनाइज्ड हो तभी बच्चा भी होगा।

सलाह- निसंदेह एक बच्चे का जीवन के प्रति उसका नजरिया और सोच में उसके माता-पिता की झलक दिखाई देती है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा हर तरह से वेल आर्गनाइज्ड हो तो उसे घर में एक खुशनुमा माहौल दें क्योंकि घर के माहौल और आपके स्वभाव का बच्चे पर सीधा असर पड़ता है। अगर आप आदत में बात-बात पर नुक्ताचीनी करना शुमार है तो आपका बच्चा भी आपसे हर बात पर सवाल-जवाब करेगा जोकि हर मां-बाप के लिये बर्दाश्त से बाहर होता है, इसलिये अपनी सोच को सकारात्मक बनाकर रखिये और साथ ही घर के माहौल को भी खुशनुमा बना कर रखिये।

सलाह- आप चाहते हैं कि आपका बच्चा जब बड़ा होने लगे तो वह घरेलू कामों में आपका हाथ बटाये तो इसके लिये जरुरी है कि हर मां-बाप आपस में मिलकर घर के कामों को पूरा करे क्योंकि वह आपको ही देख कर घर के कामों में हाथ बटाना सिखेगा। कुछ मां-बाप की यह आदत होती है जब बचपन में बच्चे की सीखने की उम्र होती है तो उसे अभी बहुत छोटा है कहकर टाल देते हैं और बाद में जब बच्चा कोई भी काम करने में कतराता है तो उसे जबरन काम करवाने की कोशिश करते हैं लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि बच्चे की इस गलत आदत के आप ही जिम्मेदार है। अगर आप उसे उसकी उम्र के अनुसार घर के छोटे-मोटे कामों को शुरु से ही करवायेंगे तो वह अनुशासन में रहकर काम करेगा और अपनी जिम्मेदारी को भी समझेगा।

सलाह- हम अपने आस-पास ना जाने कितने बच्चों को जो अपने दादा-दादी, नाना-नानी या यूं कह लीजिये कि जो उम्र में उनसे कई गुना बड़े होते हैं, उनके साथ बेहद ही गलत ढ़ग से बर्ताव करते देखते होंगे। बच्चे ना ही उन्हें कोई आदर देते है और ना ही उन्हें कोई सम्मान लेकिन आपको नहीं लगता कि बच्चे के इस स्वभाव के लिये कहीं हद तक हम ही जिम्मेदार हैं। हमने ना जानें अपने बच्चे के सामने कितनी बार अपने मां-बाप पर गुस्सा किया होगा उन पर अपनी झुझलाहट निकाली होगी और इस बात को नजरअंदाज किया होगा कि बच्चा आपको अपने मां-बाप पर गुस्सा करता हुआ देख कर क्या सिखेगा या फिर किस तरह का व्यवहार वह करेगा। बच्चों के सामने भूलकर भी अपने माता-पिता या किसी अन्य रिश्तेदार व दोस्त पर ना चिल्लायें और नाही उनका मजाक बनायें। ये बहुत जरुरी है कि घर के सदस्यों और बच्चों के साथ एक जैसा ही आप व्यवहार करें ताकि बच्चे में आदर करने का भाव जागे। अगर अपने से बड़ों के प्रति आदर-सम्मान रखेंगे तो आपका बच्चा भी निश्चित रुप से ऐसा ही करेगा।

सलाह- बच्चे में हर बात को लेकर अनुशासन हो इसके लिये जरुरी है कि आप अपने धर्म-कर्म से जुड़ी जानकारी उसे धीरे-धीरे बताते रहे। अगर आप सुबह उठकर नहा-धोकर भगवान के सामने पूजा-प्रार्थना करते हैं तो यकीन मानिये बच्चा भी इस संस्कार को बखूबी निभायेगा। वह आपको सुबह उठकर नहाता देख खुद नहाने में आना-कानी नहीं करेगा और पूजा भी करेगा। ये गुण आपसे ही उसे मिलेगा। अगर आप हफ्ते में या महीने में अपने परिवार के साथ मंदिर जाते हैं तो जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होगा उसके अंदर भी भगवान के प्रति आस्था बढ़ेगी।

सलाह- यदि आप चाहते हैं कि बच्चा अनुशासन में रहकर अपनी मांगों को पूरा करवायें तो सबसे पहले आप अपनी बेफिजूल जरुरतों पर लगाम दें। यही नहीं आजकल ज्यादातर अभिभावक कामकाजी होते हैं और बच्चे को उतना समय नहीं दे पाते जितना कि उन्हें देना चाहिये और इस कमी को पूरा करने के लिये उन्हें लक्जरी सुख-सुविधायें और जेब खर्च देकर पूरा करते हैं। अगर आप बचपन में ही बच्चे की आदत को बिगाड़ देंगे तो वह जब बड़ा होगा तो कैसे पैसे के महत्व को समझेगा। इसलिये शुरु से ही उसके जेब खर्चों पर नियंत्रण रखें। अगर आप उसे पैसे के महत्व को समझायेंगे तो वह जरुर समझेगा और उसे बचत करने के फायदों के बारे में भी बतायें। आप भी फिजूलखर्ची ना कर उसे पैसे की बचत कैसे की जाती है इसके बारे में उसे सिखा सकते है।

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Do you express gratitude to others

सलाह- अगर आपके लिये कोई काम करता है तो उसके प्रति जरुर आभार प्रकट करे यह भी एक अनुशासन का पाठ है जिसे हर बच्चे को सीखने की जरुरत होती है। बच्चा आपको देखकर थैंक्यू बोल कर आभार प्रकट करता है। किसी के काम के प्रति आभार प्रकट करने की बात से बच्चा यह समझ पाता है कि आप उनके लिये जो कर रहे हैं वह कितने महत्वपूर्ण काम है। यदि हम ही अपने बच्चे के सामने गैरजिम्मेदार बर्ताव करेंगे तो वह क्या सिखेगा? और सबसे अहम बात की वह ना ही अनुशासन में रह कर आपके साथ व्यवहार करेगा। इसलिये दूसरों के प्रति अपना आभार जरुर व्यक्त करे।

सलाह- जरा सोचिये जब कोई आपकी आजादी में दखलअंदाजी करने लगता है तो आपको कैसा महसूस होता है, घुटन सी होने लगती है ऐसा ही कुछ हमारे बच्चों के साथ होता है। हद से ज्यादा टोका-टोकी से बच्चे अनुशासनहीन हो जाते हैं। कई अभिभावकों को यह लगता है कि वह उम्र में बड़े होने के कारण अपने बच्चे के लिये जो भी निर्णय लेंगे वह सही ही होगा लेकिन ये जरुरी नहीं है। आप अपने बच्चे को पूरी आजादी दें। बच्चे जब धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं तो अपने खाने-पीने, कपड़े, दोस्तों का चयन खुद ही तय करना चाहते हैं ऐसे वक्त में अपने बच्चे को कुछ चीजों को लेकर उसे खुद ही निर्णय करने की पूरी आजादी दें।

सलाह- वाकई में आप चाहते हैं कि आपका बच्चा वेल आर्गनाइज्ड तरीके से हर काम को करे तो जब भी आपका बच्चा कोई गलत बात करे या किसी गलत आदत को अपनायें तो उसे अनदेखा ना करें क्योंकि एक अभिभावक ही है जो सबसे पहले उसे सही और गलत का फर्क समझाता है। यदि बच्चे ने कोई गलती की है तो आप उसका पक्ष लेकर उसे बचाने की कोशिश ना करे बल्कि उन्हें अपनी गलती से सबक लेने दें। ऐसे बच्चे अपनी चीजों व रिश्तों के प्रति जिम्मेदार होते हैं और उसकी कीमत भी करते है।

अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे हर काम को करने और व्यवहार कुशलता में दक्ष हो तो आपको बच्चों के साथ वैसा ही व्यवहार करना होगा जैसा आप उनसे उम्मीद करते हैं। इसके लिये पहले आपको खुद बदलना होगा तभी वह आपके अनुरुप खुद को ढाल पायेंगे।