गुस्सा करना बहुत नैचुरल प्रक्रिया है और आपको जानकर अच्छा लगेगा कि ये सेहत के लिए जरूरी भी है, लेकिन तभी तक जब तक कि आप इसे सकारात्मक तरीके से मैनेज कर पाते हैं। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि अक्सर अनियंत्रित गुस्सा न सिर्फ आपके रिश्तों की मधुरता को खत्म कर देता है, बल्कि आपकी भावनात्मक और शारीरिक सेहत को भी बहुत अधिक नुकसान पहुंचाने वाला होता है। 
अगर आपको भी ऐसा गुस्सा आता है कि आप गुस्से में इतना कुछ बोलते हैं कि फिर बाद में उसे याद कर आपको ग्लानि महसूस हो,  तो अपने गुस्से को हमारे बताए इन टिप्स से मैनेज करें। 

1. गिनना शुरू करें

जब भी आपको ऐसा लगे कि आपको गुस्सा आ रहा है तो तुरंत मन ही मन उल्टी गिनती करना शुरू कर दें। उल्टी गिनती करें या सीधी गिनती करें, ऐसा करने से आपका माइंड उस बात से हटने लगेगा जिसपर आपको बहुत गुस्सा आ रहा है। कभी कभी लोग गुस्से में कांपने जैसा महसूस करते हैं, ऐसे में 100 से गिनना शुरू करें क्योंकि लंबी गिनती करते करते धड़कन  सामान्य होने लगेगी और आप बेहतर महसूस करेंगे। 
2. लंबी, गहरी सांसे लें– बहुत तेज़ गुस्से में अक्सर सांस भी बहुत तेज़ चलने लगती है। ऐसे में अगर एक मिनट तक नाक से लंबी, गहरी सांस लेकर मुंह से छोड़ी जाए तो शरीर को आराम मिलता है और गुस्सा शांत होता है।
3. वॉक पर निकल जाएं-  किसी भी तरह का व्यायाम तंत्रिकाओं (नर्व्स) को राहत देता है इसलिए जब भी बहुत गुस्सा आए तुरंत घर के बाहर वॉक पर निकल जाएं।  आप चाहे तो जिम जा सकते हैं, अपने पसंदीदा म्यूज़िक पर डांस कर सकते हैं। 
4. अपने लिए एक मंत्र चुन कर रखें-
फिल्म थ्री इडियट का आल इज़ वेल वाला डायलॉग तो आपको याद ही होगा। जैसे उस फिल्म में आमिर खान किसी भी विपरीत परिस्थिति में खुद को ये बोलते थे कि ऑल इज वेल, उसी तरह से अपने आपको समझाने वाला कोई मंत्र जैसे सब ठीक हो जाएगा, ये बात महत्वपूर्ण नहीं है, रिलैक्स, टेक इट इज़ी खुद को याद दिलाएं। 
5. याद रखें कि आपको बहुत कुछ मिला है– जब चीज़े आपके हिसाब से न हो तो खुद को याद दिलाएं कि आपके पास क्या-क्या है। जब आप अपना फोकस अपने जीवन के बैहतर पक्षों पर डालेंगी तो धीरे-धीरे आपको खुद बेहतर महसृूस होने लगेगा।
6. गुस्सा व्यक्त करें-  कभी-कभी अपने गुस्से को, मन के भड़ास को निकालना भी सेहत के लिए अच्छा होता है। लेकिन झल्लाने, या गुस्से में कुछ भी बोल जाने से कुछ खास हासिल नहीं होता। अपना गुस्सा निकालिए मगर एक समझदार इंसान की तरह ऐसे शब्दों का चयन करिए कि सामने वाले व्यक्ति तक आपकी बात तो पहुंच जाए, लेकिन उसे अनावश्यक दुख न पहुंचे।