Summary: बच्चों को सलीके से सोशल मीडिया का उपयोग सिखाएं
डिजिटल युग में बच्चों को सोशल मीडिया पर सलीके से रहने की शिक्षा देना जरूरी हो गया है।
Social Media Etiquette for Kids: जैसे-जैसे डिजिटल मीडिया का विकास बढ़ रहा है, वैसे-वैसे बच्चों की परवरिश को लेकर माता-पिता की जिम्मेदारियां भी बढ़ रही है। वर्तमान समय में बच्चों का सामाजिक दायरा आसपास, स्कूल या पड़ोसियों तक सीमित नहीं रह गया है। आज बच्चों के सामाजिक दायरे के अंदर सोशल मीडिया भी है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को शिक्षित करें, किस तरह बच्चा सोशल मीडिया पर व्यवहार करें, किन लोगों को बच्चा फॉलो करें, इन सभी बातों की जानकारी देना आज परवरिश के दायरे में ही आता है। आइए इस लेख में जानते हैं आप किस तरह अपने बच्चों को सलीके से सोशल मीडिया का उपयोग सीख सकते हैं।
सोशल मीडिया पर सलीका, क्या अर्थ है

सोशल मीडिया पर सलीके से व्यवहार करना केवल आपकी भाषा या शालीनता तक सीमित नहीं है, इसके अंतर्गत और भी बातें शामिल है। यह बातें हैं,
सोशल मीडिया पर आप किसी की भी निजता का सम्मान करें।
किसी के पोस्ट पर भी अनावश्यक, अपमानजनक या अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें।
बिना जांच के किसी भी फर्जी खबर या पोस्ट को शेयर ना करें।
साइबर बुलिंग से दूर रहे, अगर किसी वजह से बच्चा साइबर बुलिंग का शिकार हो जाए तो माता-पिता को खबर करें।
अपने सोशल मीडिया पोस्ट की प्राइवेसी सेटिंग्स को समझे
बच्चा डिजिटल फुटप्रिंट को समझे। डिजिटल फुटप्रिंट का अर्थ है डिजिटल दुनिया में आप जो भी पोस्ट, लाइक करते हैं, सर्च करते हैं वेबसाइट देखते हैं या फोटो या वीडियो शेयर करते हैं इनका रिकॉर्ड ही डिजिटल फुटप्रिंट कहलाता है।
क्यों जरूरी है डिजिटल परवरिश
आज के डिजिटल समय में आपका बच्चा किसी भी गलत संगत या स्थिति में ना पड़े उसके लिए जरूरी है की माता-पिता अपने बच्चों की डिजिटल परवरिश पर ध्यान दें। आपका बच्चा जानकारी के अभाव में सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट कमेंट द्वारा अपनी ऐसी छवि ना तैयार कर बैठे जो उसके भविष्य में कैरियर या रिश्तो को प्रभावित करें। कहीं बच्चा अपनी लापरवाही या अधूरी जानकारी के कारण किसी प्रकार के धोखाधड़ी या अपराध का शिकार ना बने। इन सबसे अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि माता-पिता बच्चों के अंदर डिजिटल जागरूकता पैदा करें।
डिजिटल परवरिश कैसे करें पेरेंट्स
खुला संवाद: बच्चों के सोशल मीडिया प्रयोग पर खुलकर बात करें। ऑनलाइन उनका व्यवहार कैसे उनके वास्तविक जीवन पर प्रभाव डाल सकता है यह बात उन्हें समझाएं।
डिजिटल नियम बनाएं: बच्चा दिन में कब और कितनी देर सोशल मीडिया का उपयोग कर सकता है, वह किस तरह के पोस्ट कर सकता है, किसे फॉलो कर सकता है, यह सब नियम स्पष्ट रूप से तय किए जाने चाहिए।
डिजिटल एजुकेशन दें: बच्चों को फेक न्यूज़, डिजिटल फुटप्रिंट, साइबर क्राइम, साइबर बुलिंग जैसी डिजिटल समस्याओं के बारे में जागरूक करें तथा उन्हें अपनी प्राइवेसी सैटिंग्स की शिक्षा दें।
साइबरबुलिंग ना करें और ना शिकार बनें : अपने बच्चों को समझाएं साइबरबुलिंग एक अपराध की श्रेणी में आता है तथा हमारे कानून में इसके लिए सजा का प्रावधान है। इसीलिए किसी को भी ऑनलाइन तंग करना गलत है और अगर वे खुद ऐसी स्थिति में हों तो तुरंत हमें बताएं।
स्कूल की भूमिका: स्कूल पाठ्यक्रम में साइबर एथिक्स और साइबर सुरक्षा जैसे विषय शामिल करने चाहिए।
