Cholesterol in Child: क्या आपको लगता है कि कोलेस्ट्रॉल का खतरा केवल बड़ों को होता है, बच्चों को नहीं? तो आप गलत सोच रही हैं। अब बैड कोलेस्ट्रॉल का खतरा बड़ों के साथ बच्चों को भी अपने गिरफ्त में लेने लगा है। आज की बदली हुई लाइफस्टाइल ने बच्चों में भी कोलेस्ट्रॉल का खतरा बढ़ा दिया है। आज हम बच्चों में होने वाले कोलेस्ट्रॉल के खतरे के बारे में ही पढ़ेंगे। लेकिन उससे पहले आपको यह साफ तौर पर समझ लेने कि जरूरत है कि आज के शहरीकरण के दौर में ऐसी कोई बीमारी नहीं रह गई है जिससे बच्चे सेफ हों। जैसे कि पहले डायबीटिज, बड़ों की बीमारी मानी जाती थी लेकिन अब ये बच्चों को भी हो रही है। इसी तरह बैड कोलेस्ट्रॉल भी बच्चों को अपने गिरफ्त में ले रहा है।
क्या है इसकी वजह
21 वीं सदी में जैसे-जैसे दुनिया ने डेवलप करना शुरू किया वैसे-वैसे बच्चों की दुनिया पार्क के बजाय घर में सिकुड़ती गई है। शहरों में कम ही घर ऐसे होते हैं जिनके आगे पार्क होते हैं और वहां बच्चे रोज शाम को खेलने जाते हैं। मां-बाप भी वर्किंग है तो बच्चे को कम समय दे पाते हैं। ऐसे में बच्चों का दिल बहलाने के लिए घर पर ही कई सारे खिलौने, गैजेट्स और टेक्नोलॉजी बच्चों को दे दिए गए हैं जिससे कि उनका मन लगे रहे। ऐसे में बच्चे बाहर जाते नहीं और अपने घर के सोफे में ही बैठकर अपने दोस्तों के साथ वर्चुअली कबड्डी, क्रिकेट और न जाने कई सारे गेम खेल रहे हैं। ऐसे में अगर फिजिकल एक्टिविटी होगी नहीं तो बीमारी तो शरीर में पैदा होगी ही।

महामारी के बाद हालत हुई खराब
महामारी के बाद हालत और अधिक खराब हो गई है। स्कूल जाकर जो एक्टिविटी होती थी वह भी बंद हो गई। ऐसे में पिछले दो सालों में बच्चों के बीमार होने की संभावना और अधिक बढ़ गई है।
क्या कहते हैं शोध
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने 34 साल की उम्र तक के लगभग 3000 लोगों की कोरोनरी अर्टरीज का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि 10-20 वर्ष की उम्र के बच्चों और किशोरों की रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल को एकत्रित करने वाली नलियां पाई गईं। सरल शब्दों में कहें तो 10 वर्ष की उम्र के बच्चों में भी कोलेस्ट्रॉल का खतरा हो सकता है। दरअसल ये नलियां शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के एकत्रित होने का संकेत हैं। इसके पीछे तीन कारण हैं-
1)खराब खानपान
2)मोटापा
3) माता-पिता में कोलेस्ट्रॉल के बढ़े हुए स्तर के कारण आनुवांशिक रूप से बच्चों में इसका बढ़ना।
द अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार 43 प्रतिशत बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में कोलेस्ट्रॉल अधिक पाया जाता है। वहीं 30 साल की उम्र तक हृदयरोग , डायबीटिज और स्ट्रोक की शिकायत हो सकती है अगर बचपन से ही कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल पर ध्यान न दिया जाए।
किस तरह का खानपान बच्चों में बढ़ा रहा कोलेस्ट्रॉल?

वसायुक्ट मीट, फुल फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट (जैसे फुल क्रीम दूध, क्रीम, चीज़ आदि), ज्यादा तला हुआ भोजन, प्रोसेस्ड फूड (जैसे चिप्स, पेस्ट्रीज, बिस्किट), बर्गर, पिज्जा।इन सारी चीजों में सैचुरेटेड और ट्रांस फैट अधिक होता है। रेग्युलर तौर पर इसे खाने से शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है। अब यह कहने की तो जरूरत नहीं है कि आजकल का हर बच्चा बर्गर-पिज्जा, चिप्स आदि तो रोज ही खाता है।
इससे होने वाले नुकसान

कोलेस्ट्रॉल हमारे ब्लड में पाया जाने वाला एक तरह का चिपचिपा लिक्विड होता है। यह ब्लड प्लाजमा के द्वारा ट्रांसपोर्ट होता है। हमारे शरीर में 2 तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं-
1) हाई डेंसिटी लिपोप्रोटींस यानी (HDL) जिसे गुड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं।
2) लो डेंसिटी लिपोप्रोटींस (LDL) जिसे बैड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं।
बैड कोलेस्ट्रॉल आर्टरिज़ में जमा होने लगता है जिससे रक्त वाहिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। शरीर में बल्ड सर्कुलेशन प्रभावित होने लगता है। 20 से 25 साल की उम्र तक में धमनियों में प्लैक जमने लगता है। इसके कारण बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबीटिज और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इस कारण ही वर्तमान में 30 से 35 साल की उम्र में लोगों की हार्ट अटैक की संख्या बढ़ रही है।
क्या करें ?

इस समस्या का केवल एक समाधान है- फीजिकल एक्टिविटी। बचपन तो खाने पीने की उम्र होती है। ऐसे में खानपान पर रोक लगया नहीं जा सकता और लगाना भी नहीं चाहिए। क्योंकि यही उम्र खाने की होती है। लेकिन हां, गलत चीजों(पिज्जा, बर्गर) को खाने से जरूर रोकिए। साथ ही बच्चों की रोजाना लाइफ में फिजिकल एक्टिविटी को शामिल करवाइए। जैसे एक्सरसाइज, रनिंग, साइकलिंग करने के लिए उन्हें प्रेरित करिए। इससे दिल की धड़कनें तेज होती है और शरीर में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता है जिससे कोलेस्ट्रॉल लेवल घटता है। तो इन एक्टिविटी को अपने बच्चे की लाइफ में शामिल करें-
1) उन्हें रोज शाम को एक घंटे के लिए जरूर खेलने भेजें।
2) डांस क्लास या मार्शल आर्ट क्लास ज्वॉयन कराएं। इससे बच्चे एक्टिव होंगे और उनमें एक्स्ट्रा टैलेंट उभर कर सामने आएगा।
3) सुबह खुद भी मॉर्निंग वॉक पर जाएं और बच्चों को भी साथ ले जाएं।
खान पान सही करें

खान पान पर भी आपको ध्यान देने की जरूरत है। कुछ महीनों के लिए बाहर के खाने को पूरी तरह से बंद कर दें। खानपान में फल और हरी सब्जियों को शामिल करना शुरू करें। सेब, अंगूर और खट्टे फलों को खाने में शामिल करें। इन फलों में पेक्टिन नाम का घुलनशील फाइबर पाया जाता है। ये जमे हुए कोलेस्ट्रॉल के ग्रीसीनेस को कम करता है। इसी तरह रोज 50 से 60 ग्राम बादाम, अखरोट और किशमिश बच्चों को खिलाइए। इससे बैड कोलेस्ट्रॉल 5 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
इस बात का ध्यान रखें
दो साल से अधिक उम्र के बच्चों द्वारा ली जाने वाली कुल कैलोरी में फैट की मात्रा 30 प्रतिशत या उससे कम (45 से 65 ग्राम) ही होनी चाहिए। इसलिए आज से चिप्स और चॉकलेट खिलाना पूरी तरह से बंद करें। प्रोटीन वाले प्रोडक्ट बच्चों को अधिक खिलाएं। ये शरीर के विकास में सहायक होते हैं और बच्चों को बीमार नहीं पड़ने देते हैं।
इन उपायों को आज ही अपनाएं, आपके बच्चे कभी बीमार नहीं पड़ेंगे।