स्टडी का खुलासा बचपन की यादें धुंधली कर देगा मोबाइल, छह साल की उम्र से पहले न डालें आदत: Mobile Side Effects
Mobile Side Effects

Mobile Side Effects: क्या आप भी उन पेरेंट्स में से हैं जो अपने 6 साल से कम उम्र के बच्चों को खाना खिलाने के लिए, रोने से चुप करवाने के लिए, घर आए मेहमानों को समय देने के लिए या फिर मन लगाने के लिए मोबाइल पर वीडियो दिखाते हैं। अगर हां, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। शोध बताते हैं कि 6 साल से कम उम्र के जो बच्चे स्क्रीन के संपर्क में ज्यादा आते हैं, उनमें चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। इतना ही नहीं मोबाइल यूज नहीं करने वाले बच्चों की तुलना में उनका कंसंट्रेशन यानी एकाग्रता कम होती है।

मेमोरी हो जाती है वीक

शोध बताते हैं कि लगातार स्क्रीन देखने से बच्चों की याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है और उनकी मेमोरी वीक होना शुरू हो जाती है। मोबाइल पर देखे गए वीडियो बच्चों के मन के साथ ही उनके मस्तिष्क पर इतना गहरा असर डालते हैं कि उनकी बचपन की यादें ही धुंधली हो जाती हैं। धीरे-धीरे मोबाइल का एडिशन बच्चों को उनकी रुचियों से भी दूर कर देता है और उन्हें इस बात का पता ही नहीं चलता कि उनकी हॉबीज क्या है। ये सभी समस्याएं आगे चलकर उनके भविष्य के लिए खतरनाक साबित होती हैं।

अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर होने का खतरा

शोध बताते हैं कि स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों में अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर, डिप्रेशन और एडिक्शन जैसी बीमारियां घर कर लेती हैं। इसका असर बच्चे की पर्सनैलिटी पर पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पेरेंट्स बच्चों का शारीरिक, मानसिक और इमोशनल विकास चाहते हैं तो एक निश्चित उम्र के बाद ही उनके हाथ में मोबाइल देना चाहिए।

उम्र के अनुसार दें मोबाइल

विशेषज्ञों के अनुसार अगर बहुत मजबूरी है तो ही बच्चे को मोबाइल दें या फिर उसे मोबाइल के संपर्क में आने दें। 18 महीने से कम उम्र के बच्चों को परिजनों से वीडियो चैट के अलावा स्क्रीन से दूर रखना चाहिए। वहीं 18 से 24 महीने के बच्चों को माता-पिता कभी-कभी एजुकेशनल प्रोग्राम मोबाइल पर दिखा सकते हैं। 2 से 5 साल तक के बच्चों को वीक में एक घंटे गैर शैक्षणिक और वीक में तीन घंटे एजुकेशनल वीडियो दिखाए जा सकते हैं।

बच्चों को मोबाइल से दूर रखना आपकी जिम्मेदारी

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा मोबाइल से दूर रहे तो कुछ आसान तरीकों से आप ऐसा कर सकते हैं।

1. सबसे पहले जरूरी है बच्चों को अपना पूरा समय दें। जब आप उनके साथ होंगे तो उन्हें मोबाइल की जरूरत ही नहीं होगी।

2. बच्चों को डांटने से बचें। इससे बच्चों के दिमाग का सेरेब्रल कॉर्टेक्स हिस्सा निष्क्रिय होने लगता है, जिससे वे लाइफ मैनेजमेंट सीख पाते हैं।

3. ऐसे नहीं है कि आप हमेशा ही बच्चों का मनोरंजन ही करते रहें। कभी-कभी बच्चों को बोर भी होने दीजिए। इससे वे अपनी रुचि को पहचान पाते हैं।

4.  कोशिश करें कि बच्चों को छोटे-छोटे टास्क में बिजी रखें। हर टास्क पूरा करने पर उनकी तारीफ करें और उन्हें शाबाशी दें। इससे उन्हें काम करने का प्रोत्साहन मिलेगा।

5. बच्चों से रोज ढेर सारी बातें करें। उन्हें कहानियां सुनाएं, उनकी फिलिंग्स को जानें। ऐसा करने से ना सिर्फ उनकी भाषा का विकास होगा, बल्कि उनका बौद्धिक विकास भी होगा।

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