Mobile Phone Side Effects: मोबाइल फोन आज सभी की जिंदगी का अहम हिस्सा है। इसके बिना रहना अधिकांश लोगों के लिए अब मुश्किल काम है। लोगों का मानना है कि मोबाइल फोन के कारण उनके कई काम बहुत आसान हो गए हैं। इतना ही नहीं इससे तनाव कम होता है। लेकिन इन बातों से उल्ट हाल ही में हुए एक शोध का दावा है कि मोबाइल फोन का ज्यादा उपयोग न सिर्फ आपका तनाव बढ़ा देता है, बल्कि आपका ब्लड प्रेशर भी बढ़ा देता है। इतना ही नहीं मोबाइल की बैटरी कम होने तक से लोग परेशान हो जाते हैं।
दो लाख से ज्यादा लोगों पर हुई स्टडी
यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जो लोग सप्ताह में 30 मिनट से ज्यादा समय तक फोन का इस्तेमाल करते हैं, उनमें हाई ब्लड प्रेशर का खतरा ज्यादा होता है। शोधकर्ता सदर्न मेडिकल यूनिवर्सिटी, ग्वांगझू, चीन के प्रोफेसर जियानहुई किन का कहना है कि मोबाइल और सेहत का आपस में गहरा कनेक्शन है। हम जितना ज्यादा मोबाइल यूज करते हैं, हमारे स्वास्थ्य के लिए यह उतना ही खतरनाक होता है। इस शोध में 2.12 लाख ब्रिटिश नागरिकों के डेटाबेस पर 12 साल तक नजर रखी गई है। शोध में 37 से 73 साल तक के लोगों को शामिल किया गया। जिसके निष्कर्ष के बाद यह बातें सामने आई हैं।
ऐसे बढ़ जाता है बीपी
शोध के अनुसार वीक में 30 से 60 मिनट जो लोग मोबाइल यूज करते हैं, उनमें हाई बीपी का खतरा 8% तक बढ़ जाता है। वहीं जो लोग 1 से 3 घंटे तक के लिए मोबाइल यूज करते हैं उनमें 13%, 4 से 6 घंटे के लिए 16% और छह से अधिक घंटे मोबाइल यूज करने पर यह खतरा 25% तक बढ़ जाता है। शोध के अनुसार जिन लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी अनुवांशिक है और वे सप्ताह में 30 मिनट तक मोबाइल यूज करते हैं तो उनमें यह खतरा 33% तक बढ़ने की आशंका होती है। वहीं जो लोग सप्ताह में तीस मिनट से कम समय के लिए मोबाइल पर बातें करते हैं, उनमें हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बहुत कम होता है। क्योंकि इस दौरान मोबाइल से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी एनर्जी का उत्सर्जन बहुत ही कम मात्रा में होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार मोबाइल फोन रेडियो फ्रीक्वेंसी एनर्जी रिलीज करते हैं, यही कारण है कि ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ता है।
बच्चों के लिए बड़ा खतरा
इस शोध में जो सबसे परेशान करने वाला तथ्य सामने आया वो था बच्चों को लेकर। शोध में सामने आया कि 12 साल तक के 7 प्रतिशत बच्चे मोबाइल यूज करने के कारण हाइपरटेंशन के शिकार थे। मोबाइल फोन का उपयोग करने वालों में, इसका उपयोग न करने वालों के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा तनाव मिला। आपको बता दें कि दुनियाभर में दस साल की उम्र की आबादी के तीन चौथाई बच्चे खुद का मोबाइल फोन यूज कर रहे हैं। वहीं दुनियाभर में 1.3 बिलियन 30 से 79 साल के लोग हाइपरटेंशन का शिकार हैं। जो हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक का मुख्य कारण है।
बैटरी कम होने से एंग्जाइटी
मोबाइल से लोग भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं और मोबाइल की बैटरी कम होने पर भी उन्हें परेशानी हो जाती है। कंपाउंड पॉइंट रिसर्च के सर्वे में सामने आया कि मोबाइल फोन यूजर्स के फोन की बैटरी अगर 20 प्रतिशत या उससे कम होती है तो वे एंग्जाइटी के शिकार हो जाते हैं। 31 से 40 साल के लोग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इतना ही नहीं 65 प्रतिशत लोग बैटरी लो होने पर परेशान हो जाते हैं। वहीं जब मोबाइल की बैटरी 30 से 50 प्रतिशत होती है तो इसी आयु वर्ग के लोग एंग्जाइटी के शिकार हो जाते हैं। 46 प्रतिशत लोग दिन में दो बार अपने फोन को चार्जिंग पर लगाते हैं। कुछ लोग चार्जिंग के दौरान भी अपना फोन छोड़ नहीं पाते हैं। 87 प्रतिशत लोग चार्जिंग के दौरान भी फोन यूज करते हैं। लोगों को मोबाइल की लत इस तरह है कि वे सुबह सबसे पहले उठते ही मोबाइल यूज करते हैं। 40 प्रतिशत लोगों ने स्वीकारा कि वे सुबह उठते ही और सोने से पहले मोबाइल चैक करते हैं।
फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम का खतरा
क्या आपको भी बार-बार यह महसूस होता है कि आपका फोन बज रहा है। क्या आप भी हर थोड़ी देर में मोबाइल के मैसेज चैक करते हैं। अगर हां, तो हो सकता है कि आप फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम के शिकार हो गए हैं। मोबाइल का लगातार या ज्यादा उपयोग करने के कारण लोग इस सिंड्रोम के शिकार हो जाते हैं। वे इमर्जिंग साइकेट्रिक कंडीशन में पहुंच जाते हैं, जिससे उन्हें वो बातें महसूस होती हैं, जो हो ही नहीं रहीं। कई बार इसके कारण आपकी मेमोरी वीक हो सकती है और मूड स्विंग जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
क्यों न आप अपनाएं ‘डिजिटल डिटॉक्स’
जिस तरह से डिटॉक्स ड्रिंक्स और फूड हमारे शरीर के सभी विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालकर शरीर में नई ऊर्जा भर देते हैं। ठीक वैसे ही डिजिटल डिटॉक्स अपनाकर आप न सिर्फ अपने दिमाग को रिलैक्स कर सकते हैं, बल्कि यह आपके लिए सेहतमंद भी होगा। ऐसे में मोबाइल से होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए आप डिजिटल डिटॉक्स अपनाएं। यानी मोबाइल से दूरी बनाएं। दिन में कुछ देर के लिए मोबाइल डाटा बंद रखें। अपना स्क्रीन टाइम निश्चित करें। अगर आपको इसमें परेशानी होती है तो ऐसे कई ऐप्स आते हैं जिन्हें आप यूज कर सकते हैं। कोशिश करें कि मोबाइल देखकर टाइमपास करने की जगह आप परिवार के साथ ज्यादा समय बिताएं। वॉक पर जाएं, योग करें। छोटे बच्चों को खाना खिलाने के लिए अक्सर लोग उन्हें मोबाइल दे देते हैं, जिससे बच्चे आसानी से खाना खा लें। लेकिन यह एक बड़ी गलती है। बच्चों को पांच साल तक की उम्र तक मोबाइल से दूर रखना चाहिए। इससे छोटी उम्र के बच्चों को सिर्फ रिश्तेदारों से बात करने के लिए मोबाइल दें। थोड़ी सी कोशिशों से आप मोबाइल की लत छोड़ सकते हैं।