Bhog Niyam: हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है और भगवान को भोग अर्पित करना एक महत्वपूर्ण कर्मकांड माना जाता है। शास्त्रों में भगवान को भोग लगाने के संबंध में अनेक नियमों का उल्लेख मिलता है, जिनके पालन से पूजा का फल प्राप्त होता है और भगवान प्रसन्न होते हैं। हिंदू धर्म में भक्ति का विशेष स्थान है और पूजा-अर्चना इसके अभिन्न अंग हैं। शास्त्रों में भगवान को भोग लगाने से जुड़े कई नियम बताए गए हैं, जिनमें से एक है भोग लगाते समय पर्दा करना।
भगवान को भोग अर्पित करना एक महत्वपूर्ण कर्मकांड माना जाता है, जो न केवल भगवान को प्रसन्न करता है, बल्कि भक्तों को भी अनेक लाभ प्रदान करता है। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जब भगवान भोग ग्रहण करते हैं, तो वे अकेले नहीं होते हैं। उनके साथ अन्य देवी-देवता भी उस समय उस स्थान पर मौजूद होते हैं।
भगवान को भोग अर्पित करने से उस स्थान पर एक विशेष प्रकार की आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा देवी-देवताओं को आकर्षित करती है और वे उस समय भगवान के साथ उपस्थित रहते हैं। देवी-देवताओं की उपस्थिति भक्तों के लिए आशीर्वाद और अनुग्रह का प्रतीक है। उनका आशीर्वाद भक्तों को जीवन में सफलता, खुशी और समृद्धि प्राप्त करने में सहायता करता है। देवी-देवताओं की उपस्थिति से पूजा स्थल और आसपास के वातावरण में सकारात्मकता का प्रसार होता है। नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण में शांति और पवित्रता का भाव स्थापित होता है। देवी-देवताओं की उपस्थिति भक्तों की भक्ति और समर्पण को दर्शाती है। यह दर्शाता है कि भक्त केवल एक ही भगवान की पूजा नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे समस्त देवी-देवताओं का सम्मान करते हैं और उनकी आराधना करते हैं।
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क्यों लगाया जाता है भोग लगाते समय पर्दा
शास्त्रों में भोग के समय पर्दे का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है। इसका कारण यह है कि जब भक्त भगवान को भोग अर्पित करते हैं, तब एक पवित्र क्षण होता है जब देवी-देवताओं की दिव्य ऊर्जा घर के मंदिर में प्रकट होती है और स्थापित हो जाती है। यह दिव्य ऊर्जा अत्यंत सूक्ष्म और कोमल होती है। यदि भोग के समय पर्दा न लगाया जाए तो आसपास के वातावरण के कंपन और अशांति इस ऊर्जा को विचलित कर सकते हैं। फलस्वरूप, देवी-देवता घर में प्रवेश नहीं कर पाते और भगवान भोग ग्रहण नहीं कर पाते।
शास्त्रों में वर्णित है कि एक निश्चित क्षण होता है जब देवी-देवताओं की दिव्य ऊर्जा घर के मंदिर में प्रकट होती है और सदैव के लिए स्थापित हो जाती है। यह क्षण अत्यंत पवित्र माना जाता है, जब भक्त भगवान को भोग अर्पित करते हैं। मान्यता है कि यदि भोग के समय पर्दा न लगाया जाए तो यह दिव्य ऊर्जा विचलित हो सकती है और देवी-देवता घर में प्रवेश नहीं कर पाते। फलस्वरूप, भगवान भोग ग्रहण नहीं कर पाते और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त नहीं होती। पर्दा लगाने से न केवल वातावरण पवित्र और शांत बनता है, बल्कि यह एकाग्रता और भक्तिभाव भी बढ़ाता है। भक्तों का ध्यान भटकने से रुकता है और वे पूरे मन से भगवान को भोग अर्पित कर पाते हैं। इस प्रकार, शास्त्रों में भोग के समय पर्दे का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है। यह न केवल धार्मिक रीति-रिवाज है, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव को भी गहन बनाता है।
