saahasee rabani
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Hindi Story: स्कूल में परीक्षा से पहले बच्चों में तनाव को कम करने के विचार से प्रिंसिपल साहब ने अपने साथियों के साथ विचार-विमर्श करते हुए यह तय किया कि इस बार सभी कक्षाओं के बच्चों में एक हंसी-मज़ाक की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाये। अगले ही दिन सुबह जब स्कूल शुरू हुआ तो एक टीचर ने यह घोषणा की जो कोई बच्चा किसी भी प्रकार की हंसी-मज़ाक की बात सुनाना चाहे वो स्टेज पर आ सकता है। सबसे अधिक हंसाने वाली बात कहने वाले तीन बच्चों को स्कूल की तरफ से पुरस्कार भी दिये जायेंगे।

कुछ ही देर में कई बच्चे चुटकुले, हास्य कविता और अन्य कई किस्से सुनाने लगे। बच्चों की हंसी-ठिठोली के बीच प्रिंसिपल और अन्य टीचर यह देख कर हैरान हो रहे थे कि बच्चों के चेहरे पर जो कई दिन से परीक्षा का तनाव दिखाई दे रहा था वो अचानक कहां गायब हो गया। क्या यह वो ही बच्चे हैं जो क्लास में परीक्षा के डर से सहमे और अधमरे से बैठे रहते हैं। इसी दौरान रबानी की बारी आई तो उसे भी स्टेज पर आकर अपनी बात कहने का मौका दिया गया। रबानी ने एक मजाक सुनाते हुए कहा, ‘एक बार एक चूहे ने एक शेरनी से कहा कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं और तुम से शादी करना चाहता हूं। शेरनी ने गुस्से में गुर्राते हुए कहा कि बड़ा आया है मुझ से शादी करने वाला। पहले जाकर शीशे में अपनी शक्ल तो देख, तुझे अपनी औकात समझ आ जायेगी। चूहे ने कहा कि तू औकात की बात छोड़, तू मेरी हिम्मत तो देख। जो मैंने चूहा होते हुए भी तुझे शादी का इतना बढ़िया ऑफर दिया।’ रबानी के इस मजाक पर सभी बच्चों के साथ अध्यापकगण भी हंस-हंस कर लोट-पोट हो गये।

जब कुछ देर बाद यह प्रतियोगिता खत्म हुई तो टीचरों की आपसी राय लेने के बाद इनाम देने का फैसला किया गया। पहला और दूसरा इनाम बच्चों को देने के बाद रबानी को बुला कर उसे तीसरा पुरस्कार दिया गया। जब सारा कार्यक्रम खत्म हो गया तो रबानी ने सहमी-सी आवाज में अपने टीचर के पास जाकर कहा कि मेरे मज़ाक पर तो सभी लोग बहुत खुश हो रहे थे, फिर भी मुझे तीसरा इनाम क्यूं दिया गया? दूसरे बच्चों के मजाक में ऐसा क्या था जो उन्हें पहला और दूसरा पुरस्कार दिया है। टीचर ने एक पल सोचने के बाद प्यार से रबानी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा कि बेटा वैसे तो यह हंसी-मजाक की प्रतियोगिता सिर्फ आप लोगों के दिलोदिमाग से परीक्षा के डर को कम करने के लिये रखी गई थी। लेकिन तुम बार-बार पूछ रही हो तो मैं तुम्हें बताता हूं कि तुम्हारा मज़ाक दूसरे बच्चों से काफी अच्छा था। फिर भी तुम्हें पहला, दूसरा इनाम न देकर तीसरा इनाम केवल इसलिये दिया गया, क्योंकि जब तुम बोल रही थी तो तुम्हारे अंदर साहस और आत्मविश्वास की कमी झलक रही थी। तुम्हारी आवाज में वो जोश नहीं था जो दूसरे बच्चों में बोलते समय दिखाई दे रहा था।

रबानी ने झट से अपनी इस कमी को स्वीकार करते हुए कहा कि टीचर जी मैं अपने विषय के बारे में जानती तो सब कुछ हूं, लेकिन जब कभी उसे किसी के सामने कहने का समय आता है तो न जाने मेरा मन मेरा साथ क्यूं नहीं देता। मुझे ऐसा प्रतीत होने लगता है कि मेरे अंदर की सारी ताकत खत्म हो गई है और इसी के साथ मेरा विश्वास डोलने लगता है। मेरे हाथ-पावों में कंपन होने लगती है। रबानी ने अपने अंदर थोड़ा भरोसा बनाते हुए टीचर जी से कहा कि मैं भी दूसरे बच्चों की तरह कोशिश करती हूं, लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगती है। मुझे तो अब यह लगने लगा है कि मुझ से यह सब कुछ कभी नहीं हो पायेगा।

टीचर जी ने रबानी की लगन को पहचानते हुए उससे कहा-‘‘मैं यह नहीं कर सकती, खुद से कहने की बजाए स्वयं को समझाओ कि दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। मैं जानता हूं कि तुम पढ़ाई में बहुत अच्छी हो। वैसे तुम्हारे जैसे बच्चे को किताबी कीड़ा भी कहा जाये तो गलत नहीं होगा। परंतु एक बात याद रखो कि एक मिनट में हम अपने जीवन को नहीं बदल सकते, लेकिन एक मिनट में लिया गया निर्णय हमारे जीवन को बदल सकता है। इसलिये जिंदगी में जब कभी भी कोई निर्णय लो वो जल्दबाजी में नहीं, बल्कि बहुत ही सोच-विचार कर लेना चाहिए। बेटा गिर-गिर कर उठने की शक्ति ही हमारे लिये सफलता की राह तैयार करती है। असफल वह व्यक्ति नहीं होता जिसके पास सफल होने के लिये साधन नहीं होते, बल्कि असफल तो वह लोग होते हैं जिसके पास साहस की कमी होती है। तुमने शायद वो कहावत तो जरूर सुनी होगी कि दूध के फटने से वो लोग उदास होते हैं जिन्हें रसगुल्ला बनाना नहीं आता। जिन लोगों की सोच सकारात्मक होती है वो सदा सफल होने के साथ खुश भी रहते हैं। जहां तक साहस की बात है तो यह हमारे अंदर उत्साह को जगाकर हमें जीवन में महान उपलब्धियों के मार्ग पर ले जाता है।

रबानी ने टीचर की हर बात को गंभीरता से समझते हुए उनसे कहा कि आज मुझे यह समझ आ गया है कि साहस एक ऐसी ताकत है जिसके बिना किसी प्रकार की सफलता की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हर सफलता का सबसे पहला रहस्य यही है कि किसी भी परिस्थिति के लिये हमें सदा पूरे साहस के साथ तैयार रहना चाहिये। हमारा साहस ही हमारी सफलता की बुनियाद बनाता है। यदि कोई व्यक्ति अपनी शक्तियों पर भरोसा किये बिना कोई काम करता है तो उसके हाथ केवल निराशा ही लगती है। जबकि अगर कोई पूरे आत्मविश्वास और साहस से कार्य को अंजाम देने की ठान लेते हैं तो उनकी हर कल्पना साकार हो उठती है। टीचर जी की परामर्श सुनकर रबानी तो यह मान गई है कि साहसी व्यक्ति जीवन में निराश होना तो दूर बल्कि चाहे तो हर बाधा को आसानी से हटाते हुए गगन को भी चूम सकता है। रबानी के अंदर साहसिक जज्बे को देखते हुए जौली अंकल उसे आशीर्वाद देते हुए इतना ही कहते हैं कितनों की तकदीर बदलनी है तुम्हें, कितनों को रास्ते पर लाना है तुम्हें। अपने हाथों की लकीरों को मत देखो, रबानी इन लकीरों से बहुत आगे जाना है तुम्हें।

साहस व्यक्ति को उस मंजिल तक ले जाता है जहां वो कभी नहीं गया।

ये कहानी ‘कहानियां जो राह दिखाएं’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं

Kahaniyan Jo Raah Dikhaye : (कहानियां जो राह दिखाएं)