Lord Hanuman Story: हनुमान जी, जिन्हें बजरंगबली और मारुति के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। शास्त्रों और पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार, हनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त था, जिसके कारण उन्हें चिरंजीवी माना जाता है। रामायण के सुंदरकांड में, हनुमान जी की वीरता, बुद्धि और भक्ति का विस्तृत वर्णन मिलता है। हनुमान जी की पूजा मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से की जाती है। हनुमान जयंती, मंगलवार हनुमान और बजरंगबली जयंती जैसे त्योहार उनके सम्मान में मनाए जाते हैं। भक्त हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाते हैं, हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और उनकी भक्ति में लीन हो जाते हैं।
हनुमान जी, जिन्हें भगवान राम के परम भक्त और कलयुग के देवता के रूप में जाना जाता है, उनका नाम भक्ति और शक्ति का पर्याय बन गया है। हनुमान जी की रामभक्ति अद्वितीय और अतुलनीय है। वे श्री राम के प्रति इतने समर्पित थे कि उन्होंने अपना जीवन ही उनके चरणों में अर्पित कर दिया। रावण से सीता माता को मुक्त कराने के लिए उन्होंने समुद्र लांघा, लंका में आग लगाई और अनेक राक्षसों का वध किया। हनुमान जी अत्यंत बलशाली थे। वे सूर्यदेव के पुत्र होने के कारण तेजस्वी भी थे। अपनी बुद्धि और विवेक के लिए भी वे प्रसिद्ध थे। रावण के दरबार में उन्होंने अपनी विद्वत्ता और तर्क शक्ति का अद्भुत प्रदर्शन किया था। हनुमान जी को भक्तों का रक्षक माना जाता है। वे संकटों से मुक्ति, विद्या प्राप्ति और आरोग्य लाभ के लिए उनकी आराधना करते हैं।
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माता सीता ने दिया था हनुमान जी को अनमोल उपहार
14 वर्ष के कठिन वनवास के बाद भगवान श्री राम अयोध्या लौट आए थे। चारों ओर हर्षोल्लास का माहौल था। राज्याभिषेक की तैयारियां जोरों पर थीं। राज्याभिषेक के बाद, सभी अतिथियों को भेंट-उपहार दिए गए। माता सीता ने अपनी भक्ति और प्रेम का प्रतीक, बहुमूल्य मोतियों का हार हनुमान जी को भेंट स्वरूप दिया। हनुमान जी ने हर्ष के साथ हार स्वीकार किया।
हनुमान जी का विचित्र कृत्य
कुछ देर बाद, हनुमान जी ने एक विचित्र कृत्य किया। उन्होंने हार को अपने दांतों से काटना शुरू कर दिया। सभी दर्शक हतप्रभ थे। लक्ष्मण जी क्रोधित हो गए और उन्होंने हनुमान जी को माता सीता के उपहार का अपमान करने के लिए फटकार लगाई। भगवान राम भी हनुमान जी के कृत्य से हैरान थे। उन्होंने लक्ष्मण जी को शांत किया और कहा कि हनुमान जी ऐसा बिना किसी कारण के नहीं कर सकते।
हनुमान जी का स्पष्टीकरण
हनुमान जी ने विनम्रता से कहा, “हे प्रभु, माता सीता का यह हार मेरे लिए अत्यंत मूल्यवान है। परंतु इन मणि-रत्नों में आपके और माता सीता के दर्शन नहीं होते।” यह सुनकर सभी अवाक रह गए। हनुमान जी ने आगे कहा, “मैंने सोचा कि यदि इन रत्नों में आप दोनों का वास नहीं है, तो ये मेरे लिए निरर्थक हैं।”
लक्ष्मण जी ने क्यों चीरा था सीना
लक्ष्मण जी ने हनुमान जी से पूछा, “यदि आपके लिए राम नाम ही सर्वोपरि है, तो आपके शरीर पर भी तो राम का नाम नहीं है। तो फिर आप इस शरीर को क्यों धारण किए हुए हैं? इसे भी त्याग क्यों नहीं देते?” यह सुनकर हनुमान जी ने तुरंत अपनी छाती को नाखूनों से चीर दिया। सभी दंग रह गए। हनुमान जी के हृदय में भगवान राम और माता सीता की छवि स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी। यह देखकर सभी को हनुमान जी की प्रभु राम के प्रति अटूट भक्ति का प्रमाण मिल गया। इस घटना के बाद दरबार में उपस्थित सभी लोगों ने हनुमान जी से क्षमा मांगी। उन्होंने हनुमान जी की भक्ति और समर्पण को नमन किया।
