Hanuman Ji Facts
Hanuman Ji Facts

Hanuman Ji Facts: हनुमान जयंती का दिन आते ही मन में बजरंगबली की भक्ति का रंग छा जाता है। हर गली-मोहल्ले में जय हनुमान के जयकारे गूंजते हैं, भक्तों की टोली मंदिरों में उमड़ पड़ती है और सिंदूर से रंगे बजरंगबली की प्रतिमा श्रद्धा से निहारती है। लेकिन क्या आप सच में हनुमानजी को उतना जानते हैं, जितना आप सोचते हैं? आइए, कुछ ऐसे अनसुने किस्सों की झलक लेते हैं, जो आपको हैरान भी करेंगे और हनुमानजी के प्रति आपकी भक्ति को और गहरा भी!

बाल हनुमानजी एक बार सूर्य को फल समझकर निगलने दौड़े, लेकिन इंद्रदेव ने गुस्से में उन पर वज्र चला दिया। इससे उनका जबड़ा (संस्कृत में हनु) टेढ़ा हो गया। तब से उनका नाम हनुमान पड़ गया।

हनुमानजी ने अपने नाखूनों से हिमालय की चट्टानों पर एक अद्भुत रामकथा लिखी थी, जो इतनी दिव्य थी कि जब वाल्मीकि ने इसे देखा, तो वे निराश हो गए। अपने गुरुओं का मान रखते हुए, हनुमानजी ने इसे खुद मिटा दिया ताकि वाल्मीकि रामायण का महत्व बना रहे।

हम में से ज़्यादातर लोग यही मानते हैं कि हनुमानजी अकेले थे, लेकिन ब्रह्मांड पुराण के अनुसार, उनके पांच सगे भाई भी थे! उनके नाम थे मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान। हनुमानजी की तरह नहीं, लेकिन वे सभी विवाहित थे और उनका वंश आगे भी बढ़ा।

Hanuman Ji Facts
Lord Hanuman

अंजना को ऋषि के श्राप से मुक्ति मिली, और वे पृथ्वी पर जन्मीं। वे शिव की घनघोर तपस्या करने लगीं, और उनके आशीर्वाद से पवनदेव के जरिए हनुमानजी का जन्म हुआ। यानी हनुमानजी न सिर्फ पवनपुत्र बल्कि शिवजी के अवतार भी हैं!

हनुमानजी ने जब देवी सीता को मांग में सिंदूर भरते देखा, तो जिज्ञासु होकर उन्होंने इसका कारण पूछा। माता सीता ने बताया कि यह श्रीराम की लंबी उम्र के लिए है। बस फिर क्या था! हनुमानजी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर मल लिया। यही वजह है कि वे बजरंग (सिंदूरी रंग) बली (शक्तिशाली) कहलाए।

यह सुनकर चौंक गए? हनुमानजी के पुत्र मकरध्वज का जन्म तब हुआ जब लंका दहन के बाद वे समुद्र में अपनी जलती पूंछ बुझा रहे थे। उनके शरीर के पसीने से एक मछली गर्भवती हो गई और उसी से मकरध्वज का जन्म हुआ।

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Lord Ram and Hanuman

ऋषि विश्वामित्र ने भगवान राम से हनुमानजी को मृत्युदंड देने का आदेश दिया। राम ने अपने बाण छोड़ दिए, लेकिन हनुमानजी राम नाम का जाप करने लगे और सारे बाण बेअसर हो गए। जब ब्रह्मास्त्र भी वापस लौट आया, तब विश्वामित्र को अपनी गलती का एहसास हुआ।

हनुमानजी और महाभारत के बलशाली भीम असल में सौतेले भाई थे, क्योंकि दोनों ही पवनदेव के आशीर्वाद से जन्मे थे। एक बार भीम को अपनी शक्ति का बहुत अहंकार हो गया, तो हनुमानजी ने उन्हें अपनी विशालकाय पूंछ से उनकी ताकत का असली एहसास कराया।

जब श्रीराम पृथ्वी छोड़कर वैकुंठ जाने वाले थे, तब उन्हें पता था कि हनुमानजी उन्हें रोक लेंगे। इसलिए, उन्होंने उन्हें एक कार्य में व्यस्त कर दिया ताकि वे वहां न रहें। हनुमानजी जब लौटे, तब तक सब कुछ बदल चुका था।

रामायण में भगवान राम ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था और कहा था कि जब तक धरती पर श्रीराम का नाम रहेगा, तब तक हनुमानजी जीवित रहेंगे। कई संतों और भक्तों ने अब तक उनके दर्शन की पुष्टि भी की है।

हनुमानजी सिर्फ ताकत और भक्ति के प्रतीक नहीं, बल्कि समर्पण, निस्वार्थ सेवा और अडिग निष्ठा के भी प्रतीक हैं। तो इस हनुमान जयंती पर, सिर्फ जयकारे लगाने से नहीं, बल्कि उनके गुणों को अपनाने से सच्ची श्रद्धा होगी।

राधिका शर्मा को प्रिंट मीडिया, प्रूफ रीडिंग और अनुवाद कार्यों में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी पकड़ रखती हैं। लेखन और पेंटिंग में गहरी रुचि है। लाइफस्टाइल, हेल्थ, कुकिंग, धर्म और महिला विषयों पर काम...