Dark Patterns in E-Commerce
Dark Patterns in E-Commerce

Dark Patterns in E-Commerce: ऑनलाइन शॉपिंग करते समय हमें कई बार ऐसा लगता है कि हम खुद ही ज्यादा खर्च कर रहे हैं, लेकिन सच यह है कि कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म हमें मनोवैज्ञानिक तरीके से प्रभावित करने के लिए डार्क पैटर्न्स का इस्तेमाल करते हैं। ये रणनीतियाँ हमारे डर, जल्दबाजी, भ्रम और अपराधबोध का फायदा उठाकर हमें ऐसे फैसले लेने पर मजबूर कर देती हैं, जो हमारे हित में नहीं होते। आइए, ऐसे ही कुछ आम डार्क पैटर्न्स को समझते हैं और उनसे बचने के तरीके जानते हैं।

इसमें उपभोक्ताओं को यह महसूस कराया जाता है कि उनके पास बहुत कम समय है, जिससे वे जल्दबाजी में खरीदारी कर लें। उदाहरण:

“बस एक घंटा बचा है! अगर अभी नहीं खरीदा, तो ऑफर खत्म हो जाएगा!”

“50% डिस्काउंट-आज ही का आखिरी मौका!”

कैसे बचें?

अगली बार जब कोई साइट टाइम लिमिट दिखाए, तो गहरी सांस लें और सोचें-क्या यह ऑफर आपके लिए वाकई ज़रूरी है? कई बार यह सिर्फ़ डर पैदा करने या दबाव डालने की ट्रिक होती है।

यह तब होता है जब आपको एक आकर्षक ऑफर दिखाया जाता है, लेकिन जब आप खरीदारी करने जाते हैं, तो पता चलता है कि वह उपलब्ध ही नहीं है और आपको कोई महंगा विकल्प चुनने को कहा जाता है।

“50% छूट!” लेकिन जब खरीदारी करने जाते हैं, तो पता चलता है कि यह ऑफर सिर्फ कुछ ही प्रोडक्ट्स पर है।

सस्ते फोन का विज्ञापन, लेकिन स्टॉक खत्म होने के बाद आपको महंगा मॉडल खरीदने के लिए प्रेरित किया जाता है।

कैसे बचें?

किसी भी डील को लेकर पूरी जानकारी लें और बिना पढ़े ‘अभी खरीदें’ बटन न दबाएं।

यह एक ऐसी ट्रिक है जिसमें उपयोगकर्ताओं को ऐसा महसूस कराया जाता है कि वे गलत फैसला ले रहे हैं, जिससे वे बिना सोचे-समझे कोई सब्सक्रिप्शन या खरीदारी कर लें।

“क्या आप सच में इस शानदार डील को छोड़ना चाहते हैं?”

“नहीं, मैं पैसे बचाना नहीं चाहता” (बटन पर ऐसा लिखा हो!)

कैसे बचें?

ऐसे ट्रिक्स को पहचानें और सिर्फ अपने फायदे के बारे में सोचकर निर्णय लें, न कि अपराधबोध में आकर।

कुछ सेवाएं मुफ्त ट्रायल ऑफर करती हैं, लेकिन ट्रायल खत्म होते ही बिना चेतावनी के पैसे काटने लगती हैं।

“पहले महीने मुफ्त!” लेकिन उसके बाद अपने-आप पेमेंट चालू हो जाती है।

कैंसिल करना इतना मुश्किल बनाया जाता है कि लोग सब्सक्रिप्शन चालू ही रहने देते हैं।

कैसे बचें?

किसी भी मुफ्त ट्रायल के लिए साइन अप करने से पहले नियम व शर्तें पढ़ें और अपने बैंक स्टेटमेंट पर नज़र रखें।

इसमें उपयोगकर्ता की कार्ड में बिना उनकी अनुमति के कोई अतिरिक्त प्रोडक्ट जोड़ा जाता है।

ऑर्डर के साथ ‘डोनेशन’ या कोई और सर्विस अपने-आप जुड़ जाती है।

फूड डिलीवरी ऐप पर “recommended add-ons” पहले से सिलेक्ट होते हैं।

कैसे बचें?

भुगतान करने से पहले ऑर्डर डिटेल्स को ध्यान से चेक करें और जो चीज़ें ज़रूरी न हों, उन्हें हटाएं।

ई-कॉमर्स साइट्स कई बार दिखाती हैं कि किसी प्रोडक्ट की मात्रा बहुत कम है, ताकि उपभोक्ता बिना सोचे-समझे उसे तुरंत खरीद लें।

“सिर्फ 2 बचे हैं-अभी खरीदें!”

“यह डील कुछ ही मिनटों के लिए उपलब्ध है!”

कैसे बचें?

यह जांचें कि यह दावा सही है या नहीं। कई बार यह सिर्फ़ बिक्री बढ़ाने की ट्रिक होती है।

कई बार एक प्रोडक्ट को कम कीमत पर दिखाया जाता है, लेकिन अंतिम भुगतान करते समय कई अतिरिक्त शुल्क जोड़े जाते हैं।

₹299 में जूते दिखाए जाते हैं, लेकिन चेकआउट में डिलीवरी, टैक्स और अन्य शुल्क मिलाकर ₹499 हो जाते हैं।

कैसे बचें?

खरीदारी से पहले कुल खर्च की पूरी जानकारी लें।

कई वेबसाइटें अपने लेआउट और रंगों का उपयोग करके उपभोक्ताओं को किसी खास दिशा में ले जाने की कोशिश करती हैं।

“Subscribe Now” बटन बड़ा और चमकीला होता है, जबकि “No Thanks” विकल्प छोटा और हल्का रंग का होता है।

कैसे बचें?

हमेशा सभी विकल्पों को ध्यान से पढ़ें और जल्दबाजी में फैसला न करें।

कई ऑनलाइन स्टोर कीमतों की तुलना मुश्किल बना देते हैं, जिससे उपभोक्ता महंगे उत्पाद खरीदने पर मजबूर हो जाते हैं।

500ml के बजाय 450ml का पैक बेचना, ताकि ग्राहक सीधे तुलना न कर सके।

कैसे बचें?

यह तब होता है जब किसी सर्विस में साइन अप करना बहुत आसान होता है, लेकिन उससे बाहर निकलना (unsubscribe करना) बहुत मुश्किल बना दिया जाता है।

“अकाउंट डिलीट करें” का विकल्प छुपा हुआ होता है।

कैंसिल करने के लिए कई स्टेप्स पूरे करने पड़ते हैं।

कैसे बचें?

किसी भी सर्विस को जॉइन करने से पहले यह जांचें कि उसे छोड़ना कितना आसान या मुश्किल है।

डार्क पैटर्न्स का मकसद ग्राहक को भ्रमित करके उसे अधिक खर्च करने या मनचाही कार्रवाई करने के लिए मजबूर करना होता है। अब जब आपको इन ट्रिक्स की जानकारी है, तो अगली बार ऑनलाइन शॉपिंग करते समय इनसे सतर्क रहें और स्मार्ट खरीदारी करें!

सोनल शर्मा एक अनुभवी कंटेंट राइटर और पत्रकार हैं, जिन्हें डिजिटल मीडिया, प्रिंट और पीआर में 20 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने दैनिक भास्कर, पत्रिका, नईदुनिया-जागरण, टाइम्स ऑफ इंडिया और द हितवाद जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया...