E-commerce: भारत में बाजार बदल रहा है और इसके साथ ही बदल रहा है बाजार में खरीद–फरोख्त का तरीका भी। बड़े–बड़े स्टोर्स द्वारा त्योहार के मौकों और वर्षांत पर ‘सेल’ अब तक आम थी। सेल के दौरान कम कीमत पर ब्रांडेड वस्तुएं खरीदने की ललक लोगों को बाजार में सेल की ओर खींचती थी। बड़े–बड़े स्टोर्स में सेल अब भी लगती है लेकिन यह अब सिर्फ त्योहार व वर्षांत पर ही नहीं बल्कि अक्सर लगने लगी है। पर ऑनलाइन कारोबार या ई–कॉमर्स ने इन स्टोर्स के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। स्नैपडील, जाबोंग, माइंत्रा, एमेजोन, अलीबाबा, फ्लिपकार्ट और इनकी ही तरह अन्य बहुत सी ई–कॉमर्स वेबसाइट।
अब आप कुछ भी कहीं से भी खरीद सकते हैं और वह भी घर बैठे–बैठे। समय नहीं है – स्टोर तक नहीं जा सकते हैं, कोई बात नहीं। अपना मोबाइल ऑन कीजिये ऑनलाइन स्टोर्स पर जाइए और ऑर्डर कीजिए अपनी आवश्यकता की कोई भी वस्तु। यहां किराना की वस्तुओं से लेकर कार और घर भी ऑनलाइन बिक रहे हैं।
ऑनलाइन कारोबार या ई–कॉमर्स ऐसा उद्यम है जो बाजार की दिशा और दशा को तेजी से बदल रहा है। यह बाजार फैलता है इंटरनेट और स्मार्टफोन के बूते और भारत में स्मार्टफोन के साथ इसका फैलाव भी तेजी से बढ़ रहा है। बड़े शहर तो बड़े शहर, छोटे शहर और कस्बों में भी लोग अब ऑनलाइन कारोबार से लाभ उठा रहे हैं। ऑनलाइन कारोबार का फायदा यह है कि ग्राहकों को एक ही साथ एक ही जगह मनपसंद ब्राण्डों की सभी वस्तुएँ मिल जाती हैं और इसके लिए उनको अपने मोबाइल, लैपटाप या पीसी के जरिये अपने घर या ऑफिस में बैठे–बैठे ऑर्डर देना होता है। बस, कुछ ही समय में सामान उनके घर पहुँच जाता है। मोबाइल ने तो इस कारोबार को और भी आसान कर दिया है। आप चलते–फिरते–घूमते हुए भी खरीददारी कर सकते हैं।
एक खास बात जो ऑनलाइन बाजार की ओर ग्राहकों को ज्यादा खींच रही है, वह है खरीददारी मिलने वाला भारी डिस्काउंट। ऑनलाइन खरीददारी के लिए आपको चाहिए सिर्फ एक स्मार्ट फोन, पीसी, लैपटॉप या टैब, और एक क्रेडिट कार्ड। और अब तो कैश–ऑन–डिलिवरी का ऑप्शन भी उपलब्ध है – मतलब यह कि सामान मिलने के बाद उसकी कीमत चुकाएं।
ई–कॉमर्स का बढ़ता कारोबार
इस समय देश में 20 करोड़ लोग स्मार्टफोन का प्रयोग कर रहे हैं और इंटरनेट का प्रयोग करने वाले लोगों की संख्या 30 करोड़ है। एक और बात यह है कि इंटरनेट और स्मार्टफोन का प्रयोग करने वाला सबसे बड़ा वर्ग युवाओं का है और यही वर्ग ऑनलाइन शॉपिंग के क्षेत्र में भी काफी सक्रिय है। ई–कॉमर्स पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि युवा देश, बढ़ती आमदनी और इंटरनेट और स्मार्ट फोन के बढ़ते प्रयोग के कारण भारत में ई–कॉमर्स का भविष्य बहुत ही उज्ज्वल है। फिर मल्टीब्रांड रिटेल में विदेशी निवेश से सरकार के पीछे हटने के कारण भी ग्राहक ई–कॉमर्स साइट्स पर ज्यादा जाते हैं जहां उनको एक ही जगह मनचाहे उत्पाद मिल जाते हैं।
भारतीय कंपनियों की दस्तक
ई–कॉमर्स के क्षेत्र में अमरीका की ईबे और एमेजोन, चीन की अलीबाबा और जापान की सॉफ्टबैंक जैसी कंपनियों की धाक तो है ही, ऐसी और भी अनेक विदेशी कंपनियां अच्छा कारोबार कर रही हैं। लेकिन अब इस क्षेत्र में भारत की कंपनियाँ भी पीछे नहीं हैं जो विदेशी कंपनियों को कड़ी चुनौती दे रही हैं। फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, जाबोंग, हाउसिंग, मैजिकब्रिक, माइंट्रा, मेकमाइट्रिप जैसी कंपनियाँ जिस तेजी से आगे बढ़ी हैं उससे इनके भविष्य के बारे में कोई शक नहीं रह गया है। वर्ष 2014 में ऑनलाइन व्यापार का कारोबार 3.5 अरब डॉलर का थो जिसके वर्ष 2015 में बढ़कर दोगुना हो जाने की उम्मीद है।

ऑनलाइन शॉपर्स की बढ़ती संख्या
अब जरा ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले लोगों की संख्या पर नज़र डालें। वर्ष 2014 के दौरान 4 करोड़ लोगों ने ऑनलाइन शॉपिंग के जरिये खरीद–फरोख्त की। 2015 में यह संख्या बढ़कर 6.5 करोड़ तक हो जाने की उम्मीद है। पिछले वर्ष, देश में लोगों ने औसतन 6000 रुपये मूल्य की ऑनलाइन ख़रीदारी की और अनुमान है कि 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 10 हजार हो जाएगा। भारत की जनसंख्या के हिसाब से यह कोई बड़ी संख्या नहीं है पर जिस तेज़ी से यह बढ़ रहा है उससे इस बारे में संदेह नहीं है कि यह पूरे देश को जल्द ही अपनी गिरफ्त में ले लेगा।
डिस्काउंट का आकर्षण
खरीदारी करने वालों के लिए ऑनलाइन साइट्स पर मिलने वाला भारी डिस्काउंट एक बहुत बड़ा आकर्षण है। आप किसी दिन का अखबार देखें तो पूरे पेज के डिस्काउंट वाले अनेक विज्ञापन दिख जाएंगे। कंपनियाँ डिस्काउंट को किसी भी तरह मैनेज करती हो, पर लोगों के लिए तो यह पूरे फायदे का सौदा ही है। ऑनलाइन कारोबार का दूसरा फायदा यह है कि ग्राहकों को दूसरी साइट्स से कीमतों की तुलना करने का अवसर भी मिलता है। मसलन अगर आप फ्लिपकार्ट से कोई वस्तु खरीदना चाहते हैं तो मिनटों में ही आप यह भी जान सकते हैं कि स्नैपडील पर वही वस्तु किस कीमत पर उपलब्ध है या वहां इसपर कितना डिस्काउंट है। यह भी कि कौन सी साइट डिलिवरी मुफ्त और जल्दी करती है या किस साइट पर भुगतान के तरीके आसान हैं और कौन सी कंपनी खरीदी गई वस्तुओं की वापसी आसानी से और जल्दी करती है।
सावधान रहें
ऑनलाइन कारोबार के बहुत सारे फ़ायदों के बीच, कुछ नुकसान भी हैं और कुछ बातों के खतरे भी। इस कारोबार में आप दुकानदार से मुखातिब नहीं होते। दुकानदार इसमें सशरीर कहीं नहीं होता इसलिए ऑनलाइन खरीददारी में सावधानी बरतने की जरूरत है। आप उन्हीं साइट्स पर जाएं जो विश्वसनीय है क्योंकि ऐसा नहीं करने पर आप धोखा खा सकते हैं। आपके क्रेडिट कार्ड की सूचनाएँ चोरी हो सकती हैं, उसका दुरुपयोग हो सकता है और आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। फिर ऑनलाइन खरीददारी में वस्तुओं की डिलिवरी के वक़्त भी सावधान रहने की ज़रूरत है। ऐसा न हो कि आपको पुरानी और खराब वस्तुएं भेज दी जाएं। इसके लिए जरूरी है कि ऑनलाइन कंपनियों की वस्तुओं को खरीदने से पहले ही वापसी की उनकी पॉलिसी को जान लें। ऐसा न हो कि खरीदने के बाद वो खराब वस्तुओं की वापसी से मुकर जाए। इस दृष्टि से कैश–ऑन–डिलिवरी ज्यादा फायदेमंद होती है क्योंकि किसी वस्तु के टूटे–फूटे या खराब या पुरानी होने पर आप उसको लेने से उसी वक्त इनकार कर सकते हैं।
ऑनलाइन कंपनियों का कारोबार
फ्लिपकार्ट की फंडिंग को देखें तो 2014 में इस कंपनी की पूंजी 2.5 अरब डॉलर थी जबकि स्नैपडील की एक अरब डॉलर और जाबोंग की 0.13 अरब डॉलर। कारोबार की दृष्टि से, फ्लिपकार्ट सबसे आगे है और यह आज 11 अरब डॉलर की कंपनी बन गई है जबकि स्नैपडील की वैल्यू 2 अरब डॉलर और जाबोंग की 50 करोड़ डॉलर है।
कारोबार में जबर्दस्त निवेश
यह बाजार असीम संभावनाओं से भरा है और यही कारण है कि रतन टाटा जैसे उद्यमी ने जब स्नैपडील में पैसे लगाने की घोषणा की तो बाजार में इसकी चर्चा तो हुई पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। रतन टाटा द्वारा एक उभरती कंपनी में निवेश करना यह प्रमाणित करता है कि भारत में ई–कॉमर्स पर दांव लगाना घाटे का सौदा नहीं है। फ्लिपकार्ट, एमाजोन दोनों ही नए साल में अपने कारोबार में भारी निवेश की घोषणा कर चुके हैं।
बढ़ रही है कंपनियों की संख्या
वएक अनुमान के अनुसार देश में 2014 के दौरान 1259 नई ऑनलाइन साइट शुरू हुईं। खाद्य तकनीक के क्षेत्र में इस समय 145 ऑनलाइन कंपनियाँ कारोबार कर रही हैं। आज ऐसा कोई सामान नहीं है जो आप ऑनलाइन नहीं खरीद सकते। यहाँ तक कि घर और कार भी। टाटा, रिलायंस और मैजिकब्रिक, 99 एकड़ और हाउसिंग जैसी कंपनियां फ्लैट और प्लॉट तक ऑनलाइन उपलब्ध करा रही हैं। आने वाले दिनों में ग्राहकों को ऑनलाइन मिलने वाले सामान की सूची काफी लंबी होने वाली है।
दिसंबर 2014 में गूगल द्वारा आयोजित ऑनलाइन मेले में विभिन्न कंपनियों को जो ऑर्डर आए उनमें से 80 फीसदी ऑर्डर मोबाइल फोन के माध्यम से आए। यह इस बात की पुष्टि करता है कि आने वाले समय में स्मार्टफोन का बढ़ता प्रयोग इस व्यवसाय की रीढ़ होने जा रहा है। मल्टीब्रांड रिटेल को अनुमति देने में हो रहा विलंब ऑनलाइन कारोबार को और आगे बढ़ा रहा है। इंटरनेट का फैलता संसार, स्मार्टफोन का बढ़ता प्रचलन और ई–कॉमर्स साइट्स पर मिल रहे भारी डिस्काउंट से ग्राहकों को दोनों हाथों में लड्डू मिल रहा है।