International Sudoku Day: पिछले कुछ सालों में भारत में ‘सुडोकू’ का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। आज कुछ लोगों की सुबह सुडोकू के बिना मानों अधूरी है। सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर में इस गेम के लोग दीवाने हैं और इसी दीवानगी को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल 9 सितंबर को इंटरनेशनल सुडोकू डे मनाया जाता है। जी हां, दिमाग के इस गेम या पहेली के सम्मान में यह दिन सेलिब्रेट किया जाता है। चलिए जानते हैं इस माइंड गेम के बारे में ऐसी बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं।
जान लीजिए सुडोकू का असली नाम

दरअसल, सुडोकू का आविष्कार जापान में हुआ। 1984 में दुनियाभर के लोगों ने इसमें रुचि दिखाना शुरू किया। सुडोकू का जनक माकी काजी को कहा जाता है। काजी एक जापानी व्यवसायी थे, जो पहेली बनाने में माहिर थे। यही कारण है कि वे पहेली निर्माता निकोली के अध्यक्ष भी रहे। उन्हीं ने सुडोकू का निर्माण किया। सुडोकू का मूल नाम ‘सुजी-वा-डोकुशिन-नी-कागिरू’ था, जिसका अर्थ है ‘संख्या एकल होनी चाहिए, एक कुंवारा।’ यह पहेली लोगों को इतनी पसंद आई कि धीरे—धीरे यह दुनिया की सबसे लोकप्रिय पेंसिल पहेली बन गई। इसे पेपर्स में जगह दी जाने लगी, बुक्स प्रकाशित की जाने लगीं। साल 2013 में द वर्ल्ड प्जल फेडरेशन ने 9 सितंबर को इंटरनेशनल सुडोकू डे मनाने की घोषणा की। इस खास तारीख को 9×9 न्यूमेरिकल ग्रिड स्ट्रक्चर के कारण चुना गया।
दिमाग की बत्ती जला देता है यह गेम
सुडोकू सिर्फ एक पहेली नहीं है, बल्कि यह दिमाग की बत्ती जला देने वाला गेम है। नियमित रूप से इसे खेलने से कई फायदे मिलते हैं। कई स्टडीज बताती हैं कि जो लोग सुडोकू खेलते हैं, उनका मस्तिष्क अधिक सक्रिय रहता है। इतना ही नहीं इससे अल्जाइमर का जोखिम भी कम होता है। विशेषज्ञों के अनुसार जब मस्तिष्क में उत्तेजना अधिक रहती है तो तार्किक सोच भी बढ़ जाती है। इससे आपके कई कार्य आसानी से होते हैं और नंबर्स से डरते नहीं हैं।
आसानी से ले पाते हैं फैसला

सुडोकू एक तरीके से दिमाग की एक्सरसाइज है। इससे आपका दिमाग रिलेक्स होता है और आप आसानी से निर्णय ले पाते हैं। यह आपको समय प्रबंधन भी सिखाता है। सुडोकू को हल करने में आप घंटों बिजी रहते हैं। ऐसे में आप बोरियत के कारण होने वाली कई परेशानियों से भी बच जाते हैं। जब आप इस पहेली से सुलझा लेते हैं तो आप अंदर से खुश होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार जब आप सुडोकू खेलते हैं तो आपकी याददाश्त भी मजबूत होती है। क्योंकि इस गेम में आप संख्याओं से खेलते हैं, जिससे आपका स्मृति कौशल बढ़ता है।
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दिमाग को आलसी नहीं होने देता
कई बार अकेलेपन या परिस्थितियों के कारण हमारा मस्तिष्क सुस्त होने लगता है। हमारे दिमाग में अजीब अजीब विचार आने लगते हैं। इन समस्याओं को भी सुडोकू क्षणिक तौर पर कम करता है। यह आपके दिमाग को सुस्त नहीं होने देता। सिर्फ सुडोकू ही नहीं क्रॉसवर्ड जैसी पहेलियां भी आपके तनाव को दूर करने में मदद करती हैं।