Importance of Independence Day: पंद्रह अगस्त आने वाली है इन दिनों स्कूलों में जोर-शोर से स्वतंत्रता दिवस की तैयािरयां चल रही हैं। स्कूलों में बड़़े लेवल पर ही नहीं नर्सरी विंग में कोई बच्चा गांधी बनने को तैयार है तो कोई भगतसिंह… लेकिन जरा सोचा है एक पेरेंट होनेे के नाते कि आप अपने बच्चे को उनके जैसा स्कूल के उत्सव में लगने के लिए तैयार कर रहे हैं। लेकिन उनके किरदारों को बच्चों के जेहन में उतार पा रहे हैं आप, सोचने की बात है। किसी के जैसा लगना आसान हो सकता है लेकिन उस किरदार में उतर जाना उतना ही मुशिकल हैं।
और हां काम की बात बच्चे जब इन हीरोज की कहानियों को जानेंगे तो वह अपने स्कूल में भी सिर्फ गांधी, भगतिसंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे लगेंगे नहीं वह उस भावना से ओत-प्रोत होकर अपनी परफॉर्मेंस में भी जान डाल देंगे।
सिर्फ लगना नहीं महसूस करना है

अभिभावक होने के नाते हम सभी चाहते हैं कि हमारा बच्चा जोर-शोर से स्कूल की हर एक्टिविटी में हिस्सा ले। अगर वह महात्मा गांधी बन रहा है तो हम एक ऐनक, धोती और बाजार से एक विग ले आते हैं ताकि बच्चा गांधी जी जैसा लगे। लेकिन अभिभावक होने के नाते जिम्मेदारी है कि वह सिर्फ ड्रेस न पहने, उस किरदार को जिए भी। इसका एक आसान-या तरीका है। आप बच्चे को बताए कि गांधी जी स्वदेशी वस्तुए के हिमायती थे। इसका असर वेशभूषा में भी नजर आता था। उन्होंने खादी को बढ़ावा दिया अपने हाथ से सूत काटकर वह खादी को पहना करते थे। वह एक सादगी पसंद थे, उनका खान-पान उनका ड्रेसिंग स्टाइल उसी को बयां करता था।
उत्सव का उत्साह
आपने और हमने कभी न कभी उन लोगों से आजादी की कहानी सुनी है। हमने अपने कानों से सुना है कि अंग्रेजी हूकूमत कैसी थी। लेकिन याद रहे वक्त का पहिया अब आगे बढ़ चुका है। हमारे और आपकी तरह बच्चे नहीं समझ पाएंगे उस दौर को। क्योंकि वह कहानियां सुनाने वाले वह लोग अब कम ही बचे हैं। बच्चे के आजादी को समझ पाएं इसके लिए हम इस उत्सव को उत्साह के साथ मनाना है। उन्हें बताना है कि लोकतंत्र के मायने क्या हैं? हमारा लोकतंत्र किस तरह से बना? संविधान को बनने में कितना समय लगा?
जब घर में इस उत्सव की तैयािरयां होंगी तभी बच्चे भी समझेंगे इसकी महत्ता को। जब स्वतंत्रता दिवस आने वाला हो तो इस बात का जिक्र घर में होना चाहिए कि एक गुलाम देश को आजाद होने में कितनी मेहनत लगती है। इस आजादी की कीमत कितने लोगों ने अपनी जान देकर चुकाई है। जब आप इसकी महत्ता को समझेंगे तो ही इसकी महत्ता को समझा पाएंगे।
यह सिर्फ एक दिन

अक्सर ऐसा होता है कि लोग पंद्रह अगस्त को एक छुट्टी वाले दिन के तौर लेते हैं। याद रहे कि यह छुट्टी वाला दिन नहीं है। उन लोगों को याद करने का दिन है जिन्होंने अपने खून से आजादी की स्याही बनाई है। इस दिन आप बच्चों के साथ बैठकर लाल किले का ध्वजारोहण का कार्यक्रम देखें। इस दिन सुबह लंबी तानकर न सोएं। जरुरी नहीं है कि हम बॉलीवुड फिल्में देखें, आप बच्चों के साथ आजादी को लेकर कोई डॉक्यूमेंट्री, कोई बुक भी पढ़ सकते हैं। इस तरह की किताबें आप अपने घर की लाइब्रेरी में रखें। इस तरह से यह उत्सव केवल एक दिन की औपचािरकता भर नहीं जीवन का एक गर्व से भरपूर अध्याय बन जाएगा।
जिम्मेदारी आपकी और मेरी है
इस बार जब अपने बच्चे के स्कूल में फ्लैग मेकिंग कंपटीशन के लिए जा रही हूं तो सोच रही हूं कि क्लास में सबसे अच्छा झंडा बनाने का हमारा मकसद नहीं होगा। झंडा बनने के पीछे उन रंगों की, अशोक चक्र की जो महत्ता है वह भी उसे बताउंगी। ताकि कल जब वह बड़ा हो तो बता पाए कि एक हिंदुस्तानी के लिए स्वतंत्रता दिवस के क्या मायने होने चाहिए। हां सुबह नाश्ते में ट्राइकलर से बना हुआ सैंडविच खाते-खाते हम जानेंगे भारत के इस राष्ट्रीय पर्व के बारे में। इस बार मैं तो ऐसा ही कर रही हूं। उम्मीद करती हूं कि मेरी ही तरह आप भी अपने कानों में वो शौर्य की गाथाएं सुनाएंगे जिनकी वजह से हम एक चैन की जिंदगी जी पा रहे हैं।
जय हिंद, जय भारत