होलिका दहन में कैसे करते है पूजा
भगवन विष्णु ने इस दिन अपने सबसे प्रिय भक्त प्रह्लाद को उनके पिता हिरनकश्यप और उनकी बुआ होलिका के प्रकोप से बचाया था। इसलिए हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है।
Holika Dahan 2023: होली का सभी को बेसब्री से इंतज़ार है। इस त्यौहार में होलिका दहन का खास महत्व है, जिसे इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। भगवान विष्णु ने इस दिन अपने सबसे प्रिय भक्त प्रह्लाद को उनके पिता हिरनकश्यप और उनकी बुआ होलिका के प्रकोप से बचाया था। इसलिए हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है। वहीं इसके अगले दिन रंग भरी धूमधाम से होली खेली जाती है। होलिका दहन की पूजा के लिए भी कई तरह के नियम है, जिसे अपनाकर होलिका की विधि-विधान से पूजा की जाती है और फिर उसका दहन किया जाता है।
Holika Dahan 2023: कब मनायी जाएगी होली

इस साल 2023 में 8 मार्च को होली मनायी जाएगी। वहीं 7 मार्च की रात को होलिका दहन किया जाना है। इस साल होलिका दहन के लिए पूरे 2 घंटे 27 मिनट का ही मुहूर्त है, जो शाम 6:24 मिनट से शुरू होगा और रात 8:51 मिनट तक रहेगा।
होलिका दहन की सामग्री

सबसे पहले जानते हैं कि होलिका दहन में सबसे जरुरी सामग्री क्या लगती है? इस पूजा के लिए आपको गाय के गोबर के बने उपले, फूलों की माला, गंगाजल, साफ़ पानी, पांच प्रकार के अनाज, सूत, अक्षत, बताशे, रोली-मौली, फल इसके साथ ही भोग लगाने के लिए कुछ मिठाई चाहिए।
होलिका दहन पूजा विधान

- होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात को किया जाता है। इसकी पूजा के लिए आपको सुबह जल्दी उठना होगा और नहाकर होलिका का व्रत रखना होगा।
- जिस स्थान पर होलिका जलाई जाती है, उस स्थान को अच्छी तरह से साफ़ करें। फिर सफाई के बाद आप होलिका दहन के लिए सुखी लकड़ी, कांटे, गोबर आदि को होलिका के रूप में रखें।
- फिर गाय का गोबर लें प्रहलाद और होलिका की मूर्तियाँ तैयार करें।
- भगवान और नरसिंह की आराधना के लिए सभी आवश्यक वस्तुओं की तैयार करें।
- रात में मुहूर्त शुरू होते ही पूजा शुरू करें। होलिका को जलाएं, एक-एक करके परिवार के सदस्यों के साथ होलिका के तीन चक्कर लगाएं।
- चक्कर पूरे होने के बाद नरसिंह का नाम लें और अपने हाथ में पांच प्रकार के अनाज लें और इसे अग्नि में चढ़ाएं।
- पवित्र अग्नि के फेरे पूरे करते समय होलिका को ढकने के लिए एक कच्चा सूत लें और फिर अर्घ्य भी दें। पवित्र अग्नि में गाय के गोबर, सूखे चने, जौ, गेहूं आदि डालें।
- होली रंगों के गुलाल को पवित्र अग्नि में डालें और होलिका को जल अर्पित करें।
- इसके बाद आखिरी में जली हुई आग की कुछ राख इकट्ठा करें और इसे अपने घर में रखें। आप इसे छिड़क भी सकते हैं या फिर अपने माथे पर भी इसका टिका लगा सकते हैं।