कैसे हुआ भगवान श्री गणेश का विवाह, कौन हैं उनकी पत्नियां, जानें पौराणिक कथा: Ganesh Vivah Katha
Ganesh Vivah Katha

Ganesh Vivah Katha: हिंदू धर्म के प्रत्येक शुभ कार्य में भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है। गणेश जी की पूजा के बिना किसी भी कार्य की शुरुआत शुभ नहीं मानी जाती। इसीलिए सभी तरह के मांगलिक आयोजनों को बिना किसी विघ्न के पूरा करने के लिए गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है। पुराणों में भगवान गणेश के जीवन से जुड़ी हुई कई रोचक कथाओं का वर्णन मिलता है। भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इस साल 19 सितम्बर 2023, मंगलवार को गणेशोत्सव मनाया जायेगा।

भगवान गणेश के साथ उनकी दोनो पत्नियों रिद्धि और सिद्धि की पूजा भी अनिवार्य रूप से की जाती है। माना जाता है कि रिद्धि सिद्धि के बिना गणेश जी की पूजा का फल प्राप्त नहीं होता। भगवान गणेश आजीवन ब्रह्मचारी रहना चाहते थे, लेकिन एक श्राप के कारण उन्हें रिद्धि सिद्धि से विवाह करना पड़ा। आज इस लेख से हम आपको बताएंगे कि भगवान गणेश को किसने श्राप दिया था और भगवान गणेश ने रिद्धि सिद्धि से विवाह क्यों किया।

तुलसी देवी ने दिया गणेश जी को श्राप

Ganesh Vivah Katha
Ganesh Vivah Katha Kahani

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि पौराणिक ग्रंथों में भगवान गणेश के विवाह की कथाओं का वर्णन मिलता है। एक कथा के अनुसार, गणेश जी ब्रह्मचर्य नियम का पालन करते थे और हमेशा तपस्या में लीन रहते थे। एक दिन जब गणेश जी तपस्या कर रहे थे तब तुलसी देवी ने गणेश जी को तपस्या करते हुए देखा और तुलसी देवी, गणेश जी के मुख के तेज पर मोहित हो गई। तुलसी देवी ने गणेश के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा लेकिन गणेश जी ने कहा कि वह किसी से भी विवाह नहीं करेंगे और आजीवन ब्रह्मचारी रहेंगे। गणेश जी की इस बात से तुलसी देवी बहुत क्रोधित हुई और उन्होंने भगवान गणेश को श्राप दिया कि उनका विवाह जरूर होगा और उनकी दो पत्नियां होंगी। इसी श्राप के कारण भगवान गणेश का विवाह रिद्धि सिद्धि से हुआ।

ब्रह्मा जी ने करवाया गणेश जी का विवाह

Ganesh Vivah Katha
Ganesh Marriage Katha

पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान गणेश के विचित्र रूप के कारण उनका विवाह नहीं हो रहा था क्योंकि गणेश जी का सिर हाथी का था और उनका पेट बहुत बड़ा था। सभी कन्याएं गणेश जी के रूप को देखकर उनसे विवाह करने से मना कर देती। इसी कारण गणेश जी ने अन्य सभी देवी देवताओं के विवाह में विघ्न डालना शुरू कर दिया। सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से सहायता मांगी। ब्रह्म जी ने अपनी पुत्रियों रिद्धि और सिद्धि को गणेश जी के पास ज्ञान प्राप्त करने के लिए भेजा।

जब भी किसी अन्य देवता के विवाह की बात होती तभी रिद्धि सिद्धि गणेश जी का ध्यान भटका देती। इस कारण सभी देवी देवताओं का विवाह बिना किसी विघ्न के होने लगा। जब गणेश जी को रिद्धि सिद्धि की इस युक्ति के बारे में पता चला तो गणेश जी ने उन्हें दंड देना चाहा लेकिन ब्रह्मा जी ने गणेश जी को रोक दिया। ब्रह्मा जी ने गणेश जी से कहा कि गणेश जी रिद्धि सिद्धि से विवाह कर सकते हैं। इसीलिए भगवान गणेश की दो पत्नियां रिद्धि सिद्धि हुई।

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