National Coloring Day: क्या आपने कभी सोचा है कि रंगों के बिना जिंदगी कितनी नीरस, बेरंग, बेजान सी नजर आएगी। सच मानें तो रंग हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। ये हमारी खुशियों, भावनाओं और रचनात्मकता से जुड़े हैं। रंगों के इसी महत्व को समझाने के लिए हर साल 14 सितंबर को नेशनल कलरिंग डे मनाया जाता है। नेशनल कलरिंग डे की शुरुआत साल 2015 में पहली बार जेस शूमेकर गैलोवे ने की थी। गैलोवे का मत था लोगों के पास एक ऐसा खास दिन होना चाहिए, जब उनके जीवन में रंगों की बरसात हो। चलिए जानते हैं क्यों हैं रंग हमारे लिए इतने महत्वपूर्ण-
फिर से जिएं बचपन, रंगों से करें दोस्ती

ये तो सभी को याद होगा कि जब हम बच्चे थे तो हमें रंगों का कितना शौक था। कागज, क्रेयॉन, पेंसिल कलर्स, वाटर कलर्स सबको देखकर हम बहुत ही उत्साहित हो जाते थे। लेकिन समय के साथ साथ रंगों के प्रति हमारा वह लगाव खत्म होता चला जाता है। अगर आप भी एक बार फिर से अपने बचपन को जीना चाहते हैं और नीरस जिंदगी में खुशियों व कल्पना के रंग भरना चाहते हैं तो फिर से रंगों से दोस्ती करना सीख लें। ये आपको बहुत कुछ खास देंगे।
मेंटल हेल्थ के लिए बेहतर

रंग सीधे तौर पर आपकी मेंटल हेल्थ पर पॉजिटिव असर डालते हैं। पेंटिंग करना, किताबों में रंग भरना, स्केच बनाना, आपको मानसिक शांति देगा। इससे न सिर्फ आपका तनाव कम होगा, बल्कि आपकी रचनात्मकता भी बढ़ेगी। कुछ देर के लिए ही सही आप अपने टेंशन से दूर होंगे। रंग भले ही शब्दहीन हैं, लेकिन ये आपकी दिल की बातों और भावों को कागज पर उकेरने का काम बखूबी कर लेंगे। जिससे आपकी मेंटल हेल्थ बेहतर होती है। इसलिए रंगों से दोस्ती करना कभी भी आपके लिए घाटे का सौदा नहीं होगा।
आपकी याददाश्त पर पड़ता है असर
हमारी दुनिया रंगों से भरी है। वैसे तो हर रंग अपने आप में खास और अनोखा है, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार रंग हमारी मेमोरी यानी याददाश्त में रह जाते हैं। अगर आपके चारों ओर लाल रंग ज्यादा रहता है तो नकारात्मक शब्द ज्यादा याद आने की आशंका ज्यादा होती है। वहीं अगर हरा रंग आपके पास ज्यादा है तो आप पॉजिटिव शब्द अधिक याद रखते हैं।
समझें रंगों की भाषा
हर किसी का अपना एक फेवरेट कलर होता है, लेकिन यही रंग आपकी पर्सनैलिटी से जुड़ा होता है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार ब्राइट ब्लू यानी नीला रंग आपके शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक पैटर्न पर सबसे बड़ा सकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे डिप्रेशन भी कम होता है। वहीं हरा रंग हमेशा आपके सकारात्मक भाव को मजबूत करेगा। दूसरी ओर सफेद और पिंक कलर व्यक्ति को शांत रखते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार व्हाइट, ग्रे, ब्लू और ग्रीन कलर न सिर्फ लोगों की रचनात्मकता बढ़ाते हैं, बल्कि उनका वर्ड बेस भी बेहतर करते हैं।
भूख से हो जाता है कनेक्शन

बहुत कम लोग जानते हैं कि रंगों का असर आपकी भूख पर पड़ता है। प्लेट का रंग उस पर मौजूद खाने के रंग से जितना अधिक भिन्न होगा, आप उतना ही कम भोजन परोसेंगे। एक अध्ययन के अनुसार अगर आप रेड प्लेट की जगह व्हाइट प्लेट में खाना खाते हैं तो आप 30 प्रतिशत तक अधिक खाना लेते हैं। यानी आप सफेद प्लेट में खाना अधिक खाते हैं।
ये एक्टिविटी करें नेशनल कलरिंग डे पर
1. आप इस दिन अपने फ्रेंड और फैमिली मेंबर्स के साथ एक कलर फुल पार्टी आ आयोजन कर सकते हैं। एक्टिविटी कलर से जुड़ी हुई रखें।
2. अगर आप पार्टी नहीं करना चाहते तो एक कलरिंग बुक लें और अपनी पसंद से रंगों से उसे भरें। इससे आप रिलेक्स होंगे।
3. आप अपने करीबी दोस्तों, उनके बच्चों या फिर अपने ऑफिस के साथियों को कलर उपहार में दे सकते हैं।
4. अगर आपके पास समय है तो अपना कमरा अपनी पसंद के रंग में रंग दें।
5. कुछ क्रिएटिव करना चाहते हैं तो अपनी किसी पुरानी अलमारी, संदूक, पॉट को फिर से रंग करके नया बनाएं।