Side effects of frequent hair coloring
Side effects of frequent hair coloring

Overview:बालों की सेहत बिगाड़ रहा है आपका पसंदीदा हेयर कलर

आजकल हेयर कलरिंग फैशन और ज़रूरत दोनों बन चुकी है, लेकिन बार-बार केमिकल वाले हेयर कलर का इस्तेमाल बालों की सेहत बिगाड़ सकता है। अमोनिया और पेरॉक्साइड जैसे रसायन बालों की नमी छीनकर उन्हें रूखा, कमजोर और डैमेज कर देते हैं। लगातार कलरिंग से बाल टूटने, झड़ने और स्कैल्प एलर्जी जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। प्राकृतिक विकल्प चुनकर और सही देखभाल से इन नुकसानों से बचा जा सकता है।

Frequent Hair Coloring Effects: आजकल हेयर कलर करवाना सिर्फ फैशन नहीं, बल्कि ज़रूरत बन गया है—ग्रे बाल छिपाने से लेकर नया लुक पाने तक, हर कोई रंग बदलकर खुद को नए रूप में देखना पसंद करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस खूबसूरत ट्रेंड के पीछे आपके बाल और स्कैल्प को कितना नुकसान हो सकता है? अनेक केमिकल्स जैसे अमोनिया, हाइड्रोजन पेरॉक्साइड, और PPD बालों की क्यूटिकल ओपन करके कलर अंदर तक पहुंचाते हैं, जिससे बाल रूखे, कमजोर और झड़ने लगते हैं I
बार-बार कलर करवाने से स्कैल्प में खुजली, रेड नेस और एलर्जी जैसे रिएक्शन्स भी सामने आ सकते हैं । आगे चलकर ये कमजोर और दोमुंहे बालों का कारण भी बनते हैं I इसके अलावा, कुछ रिसर्च ने हेयर डाई में मौजूद कैमिकल्स को कैंसर से जोड़ा है, जिससे लॉन्ग टर्म हेल्थ रिस्क बढ़ता है ।
इस कंटेन्ट में हम जानेंगे कैसे बार-बार हेयर कलर आपके बाल और हेल्थ के लिए समस्याजनक हो सकता है, और साथ ही जानेंगे कुछ आसान कदम जो आपके बालों की सुरक्षा में मदद कर सकते हैं ।

अमोनिया और पेरॉक्साइड से टूटते बाल

Damaged hair : Result of Regular hair coloring
Damaged hair : Result of Regular hair coloring

हेयर कलर में आमतौर पर अमोनिया और हाइड्रोजन पेरॉक्साइड जैसे तेज केमिकल्स होते हैं। जब इन्हें बालों पर लगाया जाता है, तो ये बाल की ऊपरी परत (क्यूटिकल) ओपन कर देते हैं, जिससे रंग अंदर जा सके। लेकिन इससे बालों की नमी निकल जाती है और वे ड्राइ , हार्ड और लाइफ लेस हो जाते हैं । बार-बार ऐसा होने पर बाल पतले और कमजोर होकर टूटने लगते हैं, और दोमुंहे सिरों की समस्या भी बढ़ जाती है । इसलिए, कलर करवाने के बाद डीप कंडीशनर, हेयर मास्क और सीरम से देखभाल जरूरी है, ताकि बालों की नमी लौटे और वे मजबूत बनें।

खुजली, एलर्जी और सेंसिटिविटी

Hair Dye With Chemicals Directly effects the scalp
Hair Dye With Chemicals Directly effects the scalp

केमिकल हेयर डाई का स्कैल्प पर सीधा असर पड़ता है। कई बार खुजली, रेड नेस, चकत्ते या सूजन जैसे एलर्जी रिएक्शन देखने को मिलते हैं—खासकर PPD और परसल्फेट जैसी चीजों से । ऐसे लक्षण बार-बार कलर करने से और भी बढ़ सकते हैं। पैच-टेस्ट करवाना इसलिए ज़रूरी होता है—थोड़ा सा कलर कान के पीछे लगाकर २४ घंटे तक रेस्पॉन्स देखें । अगर कोई साइन दिखे, तो उसे छोड़ देना चाहिए।

कमज़ोर जड़ें ,बालों का झड़ना और पतलापन

बार-बार हेयर कलर करने से बालों की जड़ों को पोषण ठीक से नही मिल पाता । केमिकल्स स्कैल्प के नैचुरल ऑइल और पोषक तत्व निकाल लेते हैं, जिससे जड़ें कमजोर हो जाती हैं । इससे बाल पतले होकर झड़ने लगते हैं। समय के साथ बालों की डेनसिटी कम हो जाती है, और गंजेपन की समस्या भी हो सकती है । इसलिए बीच-बीच में हेयर स्पा या ऑयलिंग से जड़ों को ताकत देना आपके बालों की हेल्थ मैनटेन रखता है ।

हेल्थ रिलेटेड रिस्क

कुछ रिसर्च बताते हैं कि पर्मानेंट हेयर डाइ में मौजूद कुछ कैमिकल्स हमारी फिजिकल हेल्थ रिस्क को भी इनवाइट कर सकते हैं । हालांकि सारी स्टडीस पक्की नही हैं, पर सावधानी से काम लेना बेहतर है। इसलिए हर्बल, अमोनिया-फ्री या नैचुरल कलर्स को प्राथमिकता देना समझदारी है।

नेचुरल कलर ऑप्शन्स और सावधानी

इसका मतलब यह नहीं कि कलर बिलकुल ही बंद कर देना चाहिए। आप नेचुरल ऑप्शन्स जैसे मेहंदी या अमोनिया-फ्री हर्बल कलर इस्तेमाल कर सकते हैं—जो कम नुकसान पहुंचाते हैं । कलर के बीच कम से कम 3–4 महीने का गैप रखें, और कलर के बाद सल्फेट-फ्री शैम्पू, कंडीशनर, प्रोटीन हेयर मास्क और हॉट ऑयल थेरेपी से बालों की देखभाल करें । छोटे घरेलू उपाय जैसे नारियल तेल, अंडा-मेड मेयोनीज़ मास्क भी बहुत इफेक्टिव माने जाते हैं।

मेरा नाम दिव्या गोयल है। मैंने अर्थशास्त्र (Economics) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और उत्तर प्रदेश के आगरा शहर से हूं। लेखन मेरे लिए सिर्फ एक अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि समाज से संवाद का एक ज़रिया है।मुझे महिला सशक्तिकरण, पारिवारिक...