Ekdant Ganesh Katha: प्रथम पूजनीय गणेश जी की आराधना के बिना सनातन धर्म का कोई भी शुभ कार्य सफल नहीं माना जाता है। हर तरह के पूजा पाठ, यज्ञ अनुष्ठान, शादी, मुंडन, नामकरण या अन्य किसी भी तरह के मांगलिक आयोजन में भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है और कार्य सिद्धि की मंगलकामना की जाती है। शास्त्रों में वर्णित हैं कि भगवान गणेश ब्रह्मांड में सबसे अधिक बुद्धिमान, विवेकशील और ज्ञानी हैं। भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इस साल गणेश जन्मोत्सव का पर्व 19 सितंबर 2023, मंगलवार को मनाया जायेगा। भगवान गणेश के विचित्र रूप के कारण उन्हें लंबोदर, गजानन, विघ्नहर्ता और एकदंत आदि नामों से जाना जाता है। भगवान गणेश के इन विचित्र रूपों के पीछे कई पौराणिक कथाओं का उल्लेख मिलता है। आज इस लेख में हम भगवान गणेश के एकदंत कहलाने की कथा के बारे में जानेंगे।
परशुराम जी के फरसे से टूटा गणेश जी का एक दांत

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि गणेश पुराण में भगवान गणेश के एकदंत बनने की रोचक कथा का उल्लेख किया गया है। कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव अपनी ध्यान साधन में मग्न थे और भगवान गणेश को यह जिम्मेदारी मिली कि भगवान शिव के ध्यान में किसी तरह का कोई विघ्न न पड़े। इसलिए वह भगवान शिव के साधन स्थल पर पहरेदारी करने लगे। उसी समय भगवान विष्णु के रूप परशुराम जी भगवान शिव के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पर आए। गणेश जी ने परशुराम जी को भगवान शिव के दर्शनों के लिए नहीं जाने दिया और परशुराम जी को रास्ते में ही रोक कर वापस जाने का आग्रह किया।
गणेश जी के ऐसा कहने से परशुराम जी को बहुत गुस्सा आया और शिव जी के दर्शन पाने के लिए परशुराम जी, गणेश जी से युद्ध करने लगे। गणेश जी ने परशुराम जी को बहुत विनम्रता से टालने की कोशिश की लेकिन अपने क्रोध में आकर परशुराम जी ने भगवान शिव से वरदान स्वरूप मिले फरसे से गणेश जी पर वार कर दिया। अपने पिता के वरदान का मान रखने के लिए गणेश जी ने उस फरसे का वार अपने एक दांत पर ले लिया। परशुराम जी के फरसे के वार के कारण गणेश जी का एक दांत टूट गया।
परशुराम जी ने दिया वरदान

गणेश जी का एक दांत टूटने पर उन्हें बहुत दर्द हुआ और दर्द के कारण माता पार्वती को याद करने लगे। गणेश जी को पीड़ा में देखकर माता पार्वती ने परशुराम जी पर क्रोध किया। माता पार्वती का क्रोध और गणेश जी की पीड़ा देखकर परशुराम जी को अपनी भूल का ज्ञान हुआ और उन्होंने माता पार्वती और गणेश जी से अपने किए की माफी मांगी, साथ ही परशुराम जी ने गणेश जी को अपने ज्ञान, बुद्धि और शक्ति का आशीर्वाद प्रदान किया और यह वरदान भी दिया कि गणेश जी इस संसार में एकदंत के नाम से पूजनीय होंगे। इसी कारण भगवान गणेश एकदंत कहलाए।
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