Ganesh Chaturthi: प्रथम पूज्य गणेश का जन्म धार्मिक मान्यतानुसार चतुर्थी तिथि के दिन हुआ था, इसलिए इस दिन पूरे भारत में गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और दुखहर्ता भी कहते हैं, क्योंकि गणपति आराधना से सभी विघ्न दूर होते हैं तथा सद्बुद्धि एवं समृद्धि प्राप्त होती है।
श्रावण की पूर्णता जब धरती पर हरियाली का सौंदर्य बिखेर रही होती है, तब मूर्तिकार के घर-आंगन में गणेश प्रतिमाएं आकार लेने लगती हैं। भाद्रपद चतुर्थी को गणपति स्थापना से आरंभ होकर चतुर्दशी को होने वाले विसर्जन तक गणपति विविध रूपों में पूरे देश में विराजमान रहते हैं। उन्हें मोदक तो प्रिय हैं ही, साथ ही, गणपति अकिंचन को भी मान देते हैं, अत: दूर्वा, नैवेद्य भी उन्हें उतने ही प्रिय हैं। गणेशोत्सव जन-जन को एक सूत्र में पिरोता है। अपनी संस्कृति और धर्म का यह अप्रतिम सौंदर्य भी है जो सबको साथ लेकर चलता है।
श्री गणेश हमारी बुद्धि को परिष्कृत एवं परिमार्जित करते हैं और हमारे विघ्नों का समूल नाश करते हैं। गणेश जी का व्रत करने से जीवन में विघ्न दूर होते हैं एवं सदा मंगल होता है। अत: अपने जीवन के सभी प्रकार के विघ्नों के नाश एवं शुचिता व शुभता की प्राप्ति के लिए हमें श्री गणेश की उपासना करनी चाहिए।
प्रथम पूज्य हैं गणेश
- किसी भी देव की आराधना के आरंभ में किसी भी सत्कर्म व अनुष्ठान में, उत्तम-से-उत्तम और साधारण-से-साधारण कार्य में भी भगवान गणपति का स्मरण, उनका विधिवत पूजन किया जाता है। इनकी पूजा के बिना कोई भी मांगलिक कार्य शुरू नहीं किया जाता है। यहां तक कि किसी भी कार्यारंभ के लिए ‘श्री गणेश’ एक मुहावरा बन गया है। शास्त्रों में इनकी पूजा सबसे पहले करने का स्पष्ट आदेश है।
- गणेश जी की पूजा वैदिक और अति प्राचीन काल से की जाती रही है। गणेश जी वैदिक देवता हैं क्योंकि ऋग्वेद-यजुर्वेद आदि में गणपति जी के मंत्रों का स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
- शिव, विष्णु, मां दुर्गा, सूर्यदेव के साथ-साथ गणेश जी का नाम हिन्दू धर्म के पांच प्रमुख देवों (पंच-देव) में शामिल है, जिससे गणपति की महत्ता साफ पता चलती है।
- ‘गण’ का अर्थ है- वर्ग, समूह, समुदाय और ‘ईश’ का अर्थ है- स्वामी। शिवगणों और देवगणों के स्वामी होने के कारण इन्हें ‘गणेश’ कहते हैं।
- शिव जी को गणेश जी का पिता, पार्वती जी को माता, कार्तिकेय (षडानन) को भ्राता, ऋद्धि-सिद्धि (प्रजापति विश्वकर्मा की कन्याएं) को पत्नियां, क्षेम (शुभ ) व लाभ को गणेश जी का पुत्र माना गया है।
- श्री गणेश के बारह प्रसिद्ध नाम शास्त्रों में बताए गए हैं, जो इस प्रकार हैं- 1. सुमुख, 2. एकदंत, 3. कपिल, 4. गजकर्ण, 5. लम्बोदर, 6. विकट, 7. विघ्न विनाशक, 8. विनायक, 9. धूम्रकेतु, 10. गणाध्यक्ष, 11. भालचंद्र, 12. गजानन।
- गणेश जी ने महाभारत का लेखन-कार्य भी किया था। वेदव्यास जब महाभारत की रचना का विचार कर चुके थे तो उन्हें उसे लिखवाने की चिंता हुई। ब्रह्मा जी ने उनसे कहा था कि यह कार्य गणेश जी से करवाया जाए।
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- गणेश चतुर्थी के दिन गाय के घी में सिंदूर मिलाकर दीपक जला लें। फिर इस दीपक को भगवान गणेश के सामने रख दें। श्री गणेश को इस दिन गेंदे का फूल अर्पित करें और गुड़ का भोग लगाएं। शुभ फल की प्राप्ति होगी।
- भगवान गणेश के पूजन के वक्त साफ व हरे रंग का वस्त्र धारण करें। इसके साथ ही भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर को पीले रंग के आसन पर विराजमान करें। इससे भगवान गणेश बेहद प्रसन्न होंगे और आपकी हर समस्या का समाधान होगा।
- श्री गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के मस्तक पर चंदन, सिंदूर व अक्षत का तिलक जरूर करें। इससे भगवान गणेश बेहद प्रसन्न होते हैं और साथ ही आपका भाग्योदय भी होता है।
- सनातन धर्म में गाय को देव पशु माना गया है। मान्यता है कि गाय के अंदर 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है। ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन गाय को हरा चारा खिलाने से ग्रह दोष खत्म हो जाते हैं।
- श्री गणेश चतुर्थी के दिन पांच दूर्वा में ग्यारह गांठें लगा कर इसे किसी लाल कपड़े में बांध दें और फिर भगवान गणेश के सामने रख दें। इसके बाद भगवान गणेश का ध्यान करें। इससे आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
- श्री गणेश चतुर्थी के दिन हरे मूंग का दान करने से बुध देवता प्रसन्न होते हैं। बुध देवता किसी भी जातक की कुंडली में व्यापार और संचार के कारक माने गए हैं। ऐसे में आप अपने कार्य-व्यवसाय में उन्नति के लिए इस उपाय को जरूर अपनाएं। शुभ फल प्राप्त होगा।
