Overview:मुंबई ही नहीं, इन जगहों पर भी खास होती है Ganesh Chaturthi, अभी से कर लें घूमने की तैयारी
गणेश चतुर्थी की रौनक सिर्फ मुंबई तक सीमित नहीं है, बल्कि पुणे, हैदराबाद, गोवा, विशाखापत्तनम और विजयवाड़ा जैसे शहरों में भी यह त्योहार बेहद खास अंदाज़ में मनाया जाता है। कहीं सोने-चांदी से सजे गणपति, कहीं 70-90 फीट ऊँची मूर्तियां और कहीं घर-घर की सादगी देखने को मिलती है। हर शहर की अपनी परंपरा और रंग है, जो इस पर्व को और भी खास बना देते हैं।
Ganesh Chaturthi beyond Mumbai: गणेश चतुर्थी का नाम सुनते ही सबसे पहले मुंबई का ख्याल आता है। भीड़-भाड़ वाली गलियों में बप्पा के जयकारे, ढोल-ताशों की आवाज़ और सजते हुए पंडाल—सबकुछ फिल्मी सीन जैसा लगता है। लेकिन सच ये है कि सिर्फ मुंबई ही नहीं, देश के और भी कई शहर ऐसे हैं जहां गणेशोत्सव का रंग देखने लायक होता है।
पुणे, हैदराबाद, गोवा, विशाखापत्तनम और विजयवाड़ा जैसे शहरों में इस त्योहार की अलग ही रौनक होती है। कहीं सोने-चांदी से सजी प्रतिमा दिखाई देगी, तो कहीं मिट्टी से बना 70 फीट ऊँचा गणपति। कहीं पूरा शहर एक पंडाल बन जाता है, तो कहीं घर-घर की सजावट मन मोह लेती है।
अगर आप इस बार बप्पा के दर्शन के साथ-साथ घूमने का भी मन बना रहे हैं, तो सिर्फ मुंबई तक ही रुकना ठीक नहीं होगा। इन शहरों का गणेशोत्सव आपको अलग ही अनुभव देगा। चलिए जानते हैं मुंबई से हटकर कहाँ-कहाँ देखने को मिलती है गणेश चतुर्थी की असली धूम।
पुणे – परंपरा और भक्ति का अनोखा मेल

पुणे को लोग महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी कहते हैं और यहां गणेशोत्सव का अपना ही मज़ा है। असल में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत यहीं से की थी। आज भी पुणे में हर गली-मोहल्ले में पंडाल सजते हैं। यहां का दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर बहुत फेमस है, जहां बप्पा की सोने-चांदी से सजी मूर्ति देखने लायक होती है। त्योहार के दिनों में पुणे की सड़कों पर भीड़ उमड़ जाती है, नाच-गाना, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भजन-कीर्तन से पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।
हैदराबाद – खैरताबाद गणेश की भव्यता

हैदराबाद का खैरताबाद गणेश हर साल चर्चा में रहता है। यहां की गणपति मूर्ति अक्सर 50-60 फीट ऊँची बनाई जाती है और इसे देखने लाखों लोग आते हैं। खास बात ये है कि अब यहां ईको-फ्रेंडली मूर्तियों का चलन भी तेज़ी से बढ़ रहा है। मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से बनी विशाल प्रतिमाएं भक्तों का दिल जीत लेती हैं। विसर्जन के समय तो नज़ारा ऐसा होता है जैसे पूरा शहर सड़कों पर उतर आया हो।
गोवा – घर-घर में सादगी और श्रद्धा
गोवा को हम पार्टी और बीचेस के लिए जानते हैं, लेकिन गणेश चतुर्थी पर यहां का माहौल बिल्कुल अलग होता है। यहां ज्यादातर लोग अपने घरों में गणपति बप्पा की मूर्ति लाते हैं और परिवार के साथ पूजा करते हैं। घरों में सजे छोटे-छोटे पंडाल और भजनों की आवाज़ से पूरा वातावरण भक्ति में रंग जाता है। इस समय गोवा घूमने वालों को यहां की असली पारंपरिक झलक देखने को मिलती है, जो बेहद खास होती है।
विशाखापत्तनम – साड़ियों से सजा 89 फीट का गणेश
इस बार विशाखापत्तनम (विजाग) में गणेशोत्सव कुछ अलग ही देखने को मिलेगा। यहां एक 89 फीट ऊँची गणेश मूर्ति बनाई जा रही है, जिसे एक लाख से ज्यादा साड़ियों से सजाया जाएगा। त्योहार के बाद ये साड़ियाँ ज़रूरतमंदों को बाँट दी जाएंगी। ये आइडिया भक्ति के साथ-साथ समाजसेवा और पर्यावरण का भी संदेश देता है। यहां का गणेशोत्सव कला, आस्था और इंसानियत तीनों का संगम है।
विजयवाड़ा – मिट्टी का 72 फीट ऊँचा गणपति
विजयवाड़ा में भी गणेशोत्सव की धूम अलग ही होती है। यहां दुंडी गणेश सेवा समिति हर साल बड़ी प्रतिमा बनाती है और इस बार 72 फीट की मिट्टी से बनी मूर्ति तैयार की जा रही है। यह पूरी तरह ईको-फ्रेंडली है, ताकि विसर्जन के बाद प्रकृति को कोई नुकसान न हो। भक्त दिन-रात यहां पहुंचते हैं, भजन गाते हैं और त्योहार का आनंद लेते हैं। यह जगह दिखाती है कि आस्था और पर्यावरण का संतुलन कैसे बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष:
तो अब जब आप गणेशोत्सव पर घूमने का सोच रहे हों, तो सिर्फ मुंबई तक ही सीमित मत रहिए। पुणे की संस्कृति, हैदराबाद की भव्यता, गोवा की सादगी, विजाग की अनोखी कला और विजयवाड़ा की मिट्टी वाली मूर्ति—हर जगह का अपना मज़ा है। इस बार बप्पा के दर्शन के साथ थोड़ा सफर भी कीजिए और इन जगहों की अनोखी रौनक का हिस्सा बन जाइए।
