दिवाली का त्योहार और वास्तु सुधार: Diwali Vastu Tips
Diwali Vastu Tips

Diwali Vastu Tips: दीपावली के शुभ अवसर पर हम सभी मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर सुख-समृिद्ध की कामना करते हैं फिर भी कुछ लोगों के जीवन में शुभता नहीं आती। ऐसे में यदि अपने घर का वास्तु में थोड़ा सुधार कर लिया जाए तो सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

हर कार्य को करने का एक विशेष दिन, समय, स्थान या मुहूर्त अवश्य होता है, वह हमें फलता है, ऐसा ही एक विशेष समय है दीपावली का। यदि इस दिन कुछ खास उपाय किए जाएं तो उसका अच्छा परिणाम अवश्य मिलता है, जिसके चलते जीवन में खुशहाली और सुख-समृद्धि आती है।

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1. नरकचौदस वाले दिन घर व कार्यस्थल को पानी से धुलवाना चाहिए, नहीं तो कम से कम गीला पोछा अवश्य लगवाना चाहिए, विशेषकर उत्तर-पूर्व दिशा में, क्योंकि यदि सब कुछ वास्तु-अनुसार होने के पश्चात् भी घर तथा कार्यस्थल की ईशान दिशा स्वच्छ नहीं है तो आपको ईश्वर की कृपा दृष्टि से वंचित रहना पड़ सकता है।
2. यदि आपके पास कम काम में आने वाला या कभी-कभी काम में आने वाला या न फेंकने वाला सामान अधिक है तो उसे दक्षिण-पश्चिम की दिशा में इक_ा करके रखें (खुले में यथासंभव न रखें)।
3. घर में सभी मांगलिक चिह्नों जैसे पंचागुलक, स्वास्तिक, ऊं, एक ओंकार, खंडा साहब, आदि है तो उन्हें झाड़- पोंछकर साफ करें या पुन: उकेरित करें।
4. द्वार पर लगे भगवान के चित्रों या मूर्ति आदि को भी साफ करें।
5. मंदिर को साफ करें, हो सके तो कम से कम मंदिर में सफेदी रोगन करायें। भगवान के वस्त्रों को बदलें व नई मालाएं पहनाएं। दीपावली की रात को मंदिर की कम से कम बत्ती जली रहने दें।
6. पूजन स्थल के नीचे किसी प्रकार की दरार न हो। यदि है तो ठीक करवायें अन्यथा लाल या सफेद कपड़ा लकड़ी की चौकी पर बिछाकर उस पर प्रतिमाएं रखें।
7.पूजन के लिए मूर्तियों का मुख पूर्व/पश्चिम दिशा की ओर रखना श्रेष्ठ होता है। यहां विशेषत: यह ध्यान रखें कि चित्रित लक्ष्मी की आकृति का स्वरूप, बैठी हुई लक्ष्मी का होना चाहिए खड़ी हुई लक्ष्मी का नहीं। पूजन ईशान दिशा के कक्ष में करें।
8.पूजन में गणपति के समक्ष, केले, लड्डू तथा जामुन व लक्ष्मी जी को अनार, कमल गट्टे व कमल के फूल तथा अन्य पकवानों का भोग यथा शक्ति लगाएं। पांच मेवा भी प्रसाद स्वरूप अर्पित किए जा सकते हैं।
9. पूजन में यथा शक्ति कु छ नये रुपयों के नोट व चांदी का सिक्का रखें। नये नोटों का पूजन के पश्चात् स्वयं उपयोग किया जा सकता है। लक्ष्मी जी के बाइंर् ओर गणपति स्थापित करें।
10.पूजन में कच्चा दूध अवश्य प्रयोग करें, जिससे गणेश-लक्ष्मी को छींटें देकर स्नान कराया जा सके।
11. दीपावली पूजन के मुख्य दीपक को शुद्ध घी से रात भर जलायें।
12. पूजन के पश्चात् वास्तु देवता जो कि स्थान देवता भी हैं उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि हे देव! यह स्थान हमारे परिवार के लिये कल्याणकारी हो, ऐसा आशीर्वाद हमें प्रदान करें। वास्तु यंत्र को इस दिन स्थापित किया जा सकता है।
13. पूजन के पश्चात् मुख्य कक्ष में, शयन कक्ष में, मंदिर में, तुलसी के पौधे के समीप, आंगन में, शौचालय, रसोई, मुख्य द्वार, स्टोर आदि सभी कमरों में एक-एक दीपक अवश्य रखना चाहिए।
14. दीपावली के दिन-रात को चांदी की कटोरी में मां लक्ष्मी के पूजन स्थान पर कपूर जलाएं। इससे कई आकस्मिक दैहिक, दैविक एवं भौतिक संकटों से मुक्ति मिलती है।

Diwali Vastu Tips-Diwali par sukh-samrddhi ke upaay
Diwali par sukh-samrddhi ke upaay

1.दीपावली के दिन स्फटिक माला लाकर गंगा जल से धोकर, नित्य श्री लक्ष्म्यै नम: का जाप करने से आर्थिक उन्नति होती है।
2. दीपावली के दिन दोपहर के समय हल्दी की गांठों को पीले कपड़े में रखकर, ‘वक्रतुण्डाय हुं’ का 108 बार पाठ करके, तिजोरी में रखने से व्यापार में वृद्धि होती है।
3.दुकान में वृद्धि हेतु दुकान खोलने के बाद सफाई करके श्री यंत्र अथवा लक्ष्मी जी के चित्र के आगे अगरबत्ती जलावें, प्रणाम करें तथा 108 बार मंत्र ‘श्री शुक्ला महाशुक्ले निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नम:’का जाप करें। तत्पश्चात दुकानदारी प्रारंभ करें। इससे ग्राहकों की संख्या एवं बिक्री में वृद्धि होगी।
4. पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें। फिर घर वापिस आ जाएं, पीछे मुड़कर न देखें। लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।

5.दीपावली के दिन प्रात: गन्ने की जड़ को नमस्कार करके घर ले आएं। फिर रात्रि में, लक्ष्मी पूजन के साथ इसकी भी पूजा करें। इससे धन-संपत्ति में वृद्धि होगी।
6. श्यामा तुलसी के चारों ओर उगने वाली घास को पीले वस्त्र में बांधकर, दीपावली के दिन अपने कार्यस्थल में रखने से उन्नति होती है।
7. दीपावली के दिन घर की छत से बेकार का सामान हटाने से आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
8. दीपावली की रात्रि में कच्चा सूत लेकर उसे शुद्ध केसर से रंगकर, अपने कार्य स्थान में रखने से उन्नति होती है।
9.दीपावली के दिन अपने पूर्वजों की याद में 11 लोगों को खाना देने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
10. दीपावली पर श्री महालक्ष्मी पूजन के बाद श्री सूक्तम के 12 पाठ करें तथा एक माला लक्ष्मी मंत्र ‘श्रीं ह्मीं क्लीं श्रीं लक्ष्मीरागच्छागच्छ मम मंदिरे तिष्ठ स्वाहा’की जपें। इसके बाद प्रतिदिन पूजा के समय एक माला जपते रहें। इस प्रयोग से धन संबंधी कठिनाइयां दूर होती है।
11.दीपावली के दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। घर में सुख-शांति स्थापित होती है।

हर घर में पूजा होती है। हर घर में पूजा घर भी होते हैं। पूजा घर को किस रंग से सुशोभित करना चाहिए। यह बहुत कम लोग ही जानते हैं।
1. पूजाघर को सफेद या हल्के पीले रंग से रंगना चाहिए।
2.श्वेत रंग सूर्य के सात रंगों से मिलकर बना होता है। श्वेत रंग, शांति, दानी, सच्चाई, पवित्रता, इत्यादि का प्रतीक माना जाता है।
3. सुबह उगने वाले सूर्य का रंग भी हल्का पीला होता है। इसलिए हल्का पीला रंग पूजा घर में लगाने से परिवार की आध्यात्मिक प्रगति, चित्त शुद्धि, पवित्र भावनाओं का वास होता है।
4. पूजा घर के लिए विशेषत: दीवारों के लिए श्वेत हल्का पीला, क्रीम कलर, हल्का नीला आदि रंग उचित होते हैं।
5. पूजा घर के लिए हल्का नीला रंग शुभ माना जाता है। यह गुरु ग्रह का रंग है। आकाश की अनंतता तथा सागर की विशालता का प्रतीक है।
6. नीला रंग आध्यात्मिक जागृति हेतु अपना प्रभाव दिखलाता है।

प्रत्येक गृह स्वामी अपने सपनों के घर को अपने हिसाब से अपनी सामर्थ्य के अनुसार सजाना चाहता है। परन्तु उनके लिए यह आवश्यक है कि यदि वह घर में सुख-शांति और हंसी-खुशी का माहौल चाहता है तो अपने ग्रह-नक्षत्रों में मेल खाती वस्तुओं से घर सजाएं और यह भी ध्यान रखें कि उसमें प्रयुक्त लकड़ी-रंग इत्यादि वास्तु अनुकूल हो। घर का फर्नीचर, बहेड़ा, पीपल, बरगद तथा करंज की लकड़ी से बने हैं तो घर में अशांति, प्रेतबाधा तथा क्लेश होता है। शयन कक्ष में अशुभ आकृतियां ड्रेगन-सर्प इत्यादि के चित्र यौन जीवन में विसंगति लाते हैं। खिड़कियों के टूटे-फूटे कांच समस्याओं को जन्म देते हैं। अन्दर की तरफ खुलती खिड़कियां ज्यादा अच्छी होती हैं। वास्तु शास्त्री खिड़कियों को वास्तु की आंख कहते हैं। यह ज्ञान प्राप्ति का शक्तिशाली माध्यम है। जिस कमरे में छत न हो उसमें नहीं सोना चाहिए। मकान में सीलन तथा प्रवेश द्वार का उखड़ा रंग दरिद्रता एवम् रोग लाता है। घर के मुख्य द्वार के आसपास कूड़ा-कचरा अशुभ फल देता है। यदि हम घर की आंतरिक सजावट, ग्रहों और नक्षत्रों के हिसाब से करना चाहें तो इसमें रंग धातु तथा सुगन्ध महत्त्वपूर्ण है।
1. अश्वनि, मघा तथा मूल केतु के नक्षत्र हैं। घर के पर्दों तथा बैडशीट का रंग धूम्र या मटमैला हो तो ठीक रहता है। बैठक कक्ष में ड्रैगन का चित्र अला-बला से रक्षा करता है। गुलाब तथा चन्दन की सुगन्ध के साथ घर में एक चन्दन का शो पीस हो तो शक्ति मिलती है। कांसे की प्रतिमा तथा शयन कक्ष में पंच धातु का एक आभूषण अवश्य रहना चाहिए।
2.भरणी, पूर्वा फाल्गुनी तथा पूर्वाषाढ़ा शुक्र के नक्षत्र हैं। श्वेत तथा फिरोजी रंग इसे प्रिय हैं। स्फटिक के शो पीस तथा श्वेत चन्दन की फ्रेम से जड़ी तस्वीरें सुख-सौभाग्य को बढ़ाती हैं। अंग्रेजी रंग तथा कम चटकीले रंगों का भी प्रयोग किया जा सकता है। मछली के आकार के चांदी के पात्र में जल भर कर शयनकक्ष में रखने से सुख मिलता है।
3. कृतिका, उत्तरा, फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा सूर्य के नक्षत्र हैं। हल्का गुलाबी तथा कत्थई रंग का उपयोग उत्तम फल देता है। तांबे की बनी वस्तुएं सजावट के लिए उपयुक्त हैं। काले व गहरे नीले रंगों के उपयोग से बचें।
4. रोहिणी हस्त तथा श्रवण चन्द्रमा के नक्षत्र हैं। घर की सजावट में कलाकृतियां तथा चांदी का प्रयोग साथ ही साथ चादर-पर्दे मोती रंग के हों तो सोने पे सुहागा। चमेली की सुगन्ध राहत देने वाली है।
5. मृगशिरा, चित्रा तथा धनिष्ठा मंगल के नक्षत्र हैं। सिन्दूरी तथा कोकाकोला रंग तथा तांबे से बनी वस्तुएं सजावट के लिए उत्तम हैं। वीरतापूर्ण कारनामों के चित्र मन को प्रसन्न करते हैं।
6. पुर्नवसु, विशाखा तथा पूर्णभाद्रपद गुरु के नक्षत्र हैं। पीला रंग एवं पीतल के शो पीस शांति एवं समृद्धि देते हैं।
7. अश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती बुध के नक्षत्र हैं। हरे तथा हल्के रंगों का उपयोग विवाद से बचाता है।
8. पुष्य अनुराधा एवं उत्तरा भाद्रपद शनि के नक्षत्र हैं। नीला रंग स्वास्थ्य एवं समृद्धि देता है। सजावट में स्टील मिश्रित धातुओं का प्रयोग किया जा सकता है। जामुनी तथा बादली रंग दुर्घटना में रक्षा करता है।
इन कार्यों के साथ-साथ आप धन-सम्पदा की बरकत के लिए इन उपायों को भी आजमा सकते हंै।
क्या करें?
9. अगर आप इलेक्ट्रॉनिक लाइटिंग का प्रयोग करने वाले हैं तो अलग-अलग दिशा हेतु अलग रंगों के लाइट्ïस का प्रयोग करें।
जैसे- दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में है तो लाल और नीले दोनों रंगो का प्रयोग करें। दक्षिण-पूर्व के लिए लाल। उत्तर या उत्तर-पूर्व के लिए लाल और पीले तथा दक्षिण-पूर्व दिशा में लाल लाइटिंग का प्रयोग करें।
10. दक्षिण-पूर्व दिशा में ताजे पानी से भरे बाउल को सौ के नोट पर रखें। इससे व्यापार में वृद्धि होती है।
11. पश्चिम दिशा में गुल्लक रखें तथा दिवाली वाले दिन उसमें पैसे अवश्य डालें।
12. सजावट के लिए मिट्टïी से बने फ्लावर पॉट में पीले फूल रख कर सजाएं तथा उसे दक्षिण-पश्चिम में सजाएं।
13. घर के मुख्य द्वार के पास, पूजा घर तथा अगर घर में तुलसी का पौधा है तो उसके आस-पास रंगोली अवश्य बनाएं।
14.रंगोली में लाल तथा पीले रंग का प्रयोग करना शुभ होता है।
15. आज-कल दिवाली के दिन एक-दूसरे को तरह-तरह के उपहार देने का चलन काफी आम हो चुका है ऐसे में कुछ वस्तुएं ऐसी हैं जिनको अगर उपहार के रूप में दिया जाए तो बहुत शुभ होता है। जैसे-वास्तु पेंटिंग्स, मिठाई, सोना-चांदी, ड्राई फ्रूट्ïस, स्टोन, क्रिस्टल तथा पानी को प्रदर्शित करती पेंटिंग्स इत्यादि।

1. दिवाली के दिन जितना हो सके बुरे कामों से दूर रहें चाहे वो किसी का दिल दुखाना हो या किसी की निंदा-चुंगली करना।
2. घर की सजावट के लिए कभी बाजार से ऐसी रंगोली न खरीदें जिस पर लक्ष्मी जी या गणेश जी की प्रतिमा बनी हो। इसी तरह इस बात का भी ध्यान रखें कि फर्श पर कभी भी ओम या स्वास्तिक जैसे शुभ चिह्नï न बनाएं।
3. किसी को दिवाली का उपहार देने से पहले इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि किसी को चाकू सेट, पटाखे, नकारात्मक तस्वीरें या किसी भी प्रकार का एंटीक पीस न दें।

लक्ष्मी पूजन करते समय वास्तु के निम्नलिखित विधियों तथा उपायों का ध्यान रखने से पूजन अधिक फलदायी होता है-
1.उत्तर दिशा धन व सम्पत्ति की दिशा होती है। इस कारण से पूजा के लिए इस दिशा का चुनाव करें तथा भगवान लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियों को पूजा घर में उत्तर-पूर्व में रखें।
2. इस बात का भी ध्यान रखें कि भगवान की मूर्तियों का मुख दरवाजे के ठीक सामने न हो।
3.पूजा स्थल की सफाई व स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
4. पूजाघर के पूर्व या उत्तर दिशा में पानी से भरे कलश की स्थापना करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
5. शुद्ध देशी घी का दीपक या फिर कपूर अथवा अगरबत्ती जला कर पूजा का प्रारम्भ करें।
6.पूजा के दौरान भगवान गणेश सर्वप्रथम पूजे जाने के अधिकारी होते हैं। तथा उनके बाद नवग्रह फिर मां लक्ष्मी जी का आवाहन प्रारम्भ करें।

1. माता लक्ष्मी की मूर्ति को दूध, दही, घी, गंगाजल तथा शहद से पंचामृत बनाकर उससे स्नान कराएं और उसके बाद उसे गंगाजल से पुन: स्नान करा कर एक साफ कपड़े से पोछ लें फिर मां की मूर्ति की स्थापना कर लें।
2. मां लक्ष्मी की मूर्ति को तिलक लगाएं तथा श्रृंगार की सामाग्री तथा वस्त्र चढ़ाएं।
3. मां के समक्ष धूप व दीप दिखाते हुए उनकी कथा वाचें फिर भोग लगाकर दक्षिणा दें तथा उसके बाद आरती करें।
4. अंत में पुन: मां को पुष्प अर्पण करने का विधान है तथा इसेबाद पूरी श्रद्धा से मां से प्रार्थना करें।