योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का बहुत ही महत्व है। विधिपूर्वक पूजा पाठ करके श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। साथ ही “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” महामंत्र का जितना ज्यादा हो सके जप करना चाहिए। इस दिन की गई श्रद्धापूर्वक भक्ति से बहुत पुण्य मिलता है। एकादशी को जल और अन्न दान बहुत फलदायी होता है। आइये जानते हैं योगिनी एकादशी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व। और पढ़े-(कष्टों से मुक्ति चाहिए तो ऐसे करें निर्जला एकादशी का व्रत)

 

शुभ मुहूर्त और पारण मुहूर्त 

  • एकादशी 9 जुलाई रात्रि 09.26 बजे समाप्त होगी।
  • व्रत के पारण का समय अगले दिन सुबह 05.33 से 8.15 बजे के बीच है।

 

व्रत की पूजा विधि

 

1. व्रत पूर्ण सात्विक होना चाहिए।

2. योगिनी एकादशी के दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए और निर्जला व्रत ग्रहण करें। फलाहार व्रत ही रखना उत्तम है।

3. श्री रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें।

4. पूरे दिन मन ही मन भगवान विष्णु के नाम का जप करते रहिए।

5. किसी भी रोग से ग्रसित लोगों को एकादशी को भगवान विष्णु की उपासना के साथ ही सुन्दरकाण्ड का भी पाठ करना चाहिए।

6. योगिनी एकादशी को श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा इस महामंत्र का जप करें तथा इसका गायन करें।

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