कब है साल 2024 में योगिनी एकादशी, जानिए सही तिथि और पूजा का समय: Yogini Ekadashi 2024
Yogini Ekadashi 2024

Yogini Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में आषाढ़ का महीना आध्यात्मिक साधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में सूर्य वृश्चिक राशि में विराजमान होते हैं और धरती पर मानसून का आगमन होता है। मान्यता है कि इस दौरान प्रकृति के साथ-साथ आत्मिक शुद्धिकरण का भी उत्तम अवसर प्राप्त होता है। आषाढ़ मास भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों को ही समर्पित है। इस पवित्र महीने में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। योगिनी एकादशी का वर्णन स्कंद पुराण सहित कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने योगिनी रूप धारण कर दैत्यों का संहार किया था। इस व्रत को रखने वाले भक्तों को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी कहा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

एकादशी तिथि प्रारंभ: 1 जुलाई 2024, सुबह 10:26 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 2 जुलाई 2024, सुबह 8:42 बजे
व्रत का पालन: 2 जुलाई 2024, मंगलवार
व्रत का पारण: 3 जुलाई 2024, बुधवार

Also read: वरुथिनी एकादशी पर इस विधि से करें भगवान विष्‍णु की पूजा, घर में आएगी सुख-समृद्धि: Varuthini Ekadashi 2024

योगिनी एकादशी 2 शुभ योगों में, फल दोगुना

हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी का विशेष महत्व है। इस साल यह और भी खास हो गई है क्योंकि 2 जुलाई 2024 को पड़ने वाली योगिनी एकादशी दो दुर्लभ शुभ योगों – सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग – के साथ मिल रही है। मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्यों की निश्चित रूप से सफलता मिलती है। वहीं त्रिपुष्कर योग में किए गए पूजा-पाठ, दान, यज्ञ आदि शुभ कार्यों का फल तीन गुना तक बढ़ जाता है। इसलिए योगिनी एकादशी का व्रत रखना और इस दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इससे न केवल पापों का नाश होता है बल्कि मोक्ष की प्राप्ति, धन-धान्य की वृद्धि, मनोकामनाओं की पूर्ति और शापों से मुक्ति भी मिल सकती है।

योगिनी एकादशी का महत्त्व

हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी का व्रत अपार महत्व रखता है। आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली ये एकादशी न सिर्फ आध्यात्मिक सफाई का अवसर देती है, बल्कि सौभाग्य और समृद्धि का द्वार भी खोलती है। योगिनी एकादशी का व्रत सभी पापों को धो देता है। जन्मों-जन्मांतर के कर्मों का बोझ हल्का होता है और आत्मा शुद्ध होती है। यह व्रत मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। शुद्ध आत्मा को परमधाम यानी वैकुंठ की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी का व्रत जीवन में सुख-शांति, धन-धान्य और यश-कीर्ति लाता है।

यह व्रत भाग्य को बल देता है और जीवन में सफलता के मार्ग खोलता है। मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करना 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान पुण्य दायक है। इससे दान-पुण्य का फल कई गुना बढ़ जाता है। योगिनी एकादशी का व्रत शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से लाभदायक है। यह व्रत रोगों से मुक्ति, ग्रह दोषों का निवारण, शत्रुओं पर विजय और मानसिक शांति प्रदान करता है। साथ ही, यह विद्या, बुद्धि और स्मरण शक्ति को भी बढ़ाता है।