दिवाली के पावन अवसर पर हम सभी की यही कोशिश होती है कि पूजा व अन्य प्रकार की तैयारियों में किसी प्रकार की कमी न होने पाएं ऐसे में वास्तुशास्त्र के कुछ नियम हमारे लिए बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं।
यूं तो हम सभी दिवाली पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं, क्योंकि यह त्योहार जितनी पवित्रता के साथ मनाया जाएगा मां लक्ष्मी हम पर अपनी उतनी ही अधिक कृपा बरसाएंगी।
दीपावली पर्व केवल पर्व ही नहीं इसके साथ ज्योतिष एवं वास्तु का समावेश भी है। वास्तुशास्त्र में चार दिशाएं होती है। तथा स्वास्तिक चारों दिशाओं का बोध कराता है। पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर। चारों दिशाओं के देव पूर्व के इन्द्र, दक्षिण के यम, पश्चिम के वरुण, उत्तर के कुबेर। सुख, शान्ति व समृद्धि के लिए जरूरी है चारों दिशाओं की सफाई, सजावट व पूजना जिसका सही अवसर है दिवाली।
दीपावली की सफाई पर सबकी विदाई हो जाती है। मकानों, दुकानों में रंग-रोशन कराने से सकारात्मक ऊर्जाओं का आगमन हो जाता है। जहां गंदगी, कबाड़ भरा रहता है वहां लक्ष्मी का आगमन नहीं होता। यह पर्व गंदगी और कबाड़ को घर से निकालने के लिए आता है।
वास्तु का मुख्य नियम नकारात्मक ऊर्जाओं के मार्ग को बन्द करना एवं सकारात्मक ऊर्जाओं के आगमन का मार्ग खोलना। सकारात्मक ऊर्जाओं को बुलाने में दीपावली महापर्व सहायक का काम करता है। तीन दिन तक दीये जलते हैं पूजा की जाती है मंत्रों का उच्चारण होता है। घंटे-घंटियां बजायी जाती है। अगरबत्तियां, धूप जलायी जाती है। कपूर से आरती की जाती है। उपरोक्त सभी क्रियाओं से निकलने वाली ऊर्जाएं भूखण्ड, आवास, दुकान इत्यादि में नकारात्मक ऊर्जाओं का शमन करने में सहायक हो जाती है। खुशी एवं उल्लास का माहौल देखने को मिलता है। स्वास्तिक का अपना एक अस्तित्व है। बगैर स्वास्तिक बनाये पूजा आरम्भ नहीं की जाती।
वास्तु के निम्न उपायों द्वारा आप न केवल लक्ष्मी जी को प्रसन्न कर सकते हैं बल्कि जीवन में सुख समृद्धि भी पा सकते हैं।
- घर में किसी भी प्रकार का टूटा-फूटा या खराब सामान न रखें। दिवाली के लिए जिस दिन भी सफाई करना प्रारम्भ करें सर्व प्रथम इस प्रकार के कूड़े-करकट को ठिकाने लगा दें।
- जब घर में पोछा लगाएं तो ध्यान रखें कि पानी में थोड़ा सा नमक अवश्य मिला दें तथा तिजोरी, अलमारी तथा अन्य फर्निचर्स को भी नमक मिले पानी से ही पोछ कर साफ करें।
- घर को जितना हो सके उतना खुला तथा प्रकाशमान रखें तथा यदि सम्भव हो तो घर के प्रत्येक कमरे को अवश्य रंगवाएं।
- सफाई से संबंधित इन तैयारियों के बाद में धूपबत्ती, कपूर या अगरबत्ती अवश्य जलाएं।
- घर के अंदर की सफाई करने के बाद इस बात का भी धन रखें कि घर के बाहर तथा छत पर किसी भी प्रकार का कूड़ा एकत्रित न हो।
- मुख्य द्वार पर स्वास्तिक अस्थ मंगला का चिन्ह अवश्य लगाएं, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा घर के अंदर नहीं आती। इसके साथ ही मुख्य द्वार पर मां लक्ष्मी के पद चिन्ह इस प्रकार चिपकाएं जेसे वो घर के अंदर आ रही हों। यह सारे चिन्ह बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं।
- घर के मुख्य द्वार के पास जो भी खाली जगह हो वहां पर समुद्री नमक से रंगोली बनाएं तथा इसे मिट्टी के दिए से सजाएं।
- घर के मुख्य द्वार पर सजावट हेतु गेंदे के फूल तथा आम के पत्तों से बने तोरण का प्रयोग करें। यह बहुत शुभ होता है।
- दिवाली में प्रयोग किए जा रहे मिट्टïी के दीयों में सरसों के तेल या घी का प्रयोग करना शुभ होता है। पूरे घर में यदि घी के दीए जलाना सम्भव न हो तो पूरे घर में सरसो के तेल का दीया जलाएं तथा कम से कम पांच दीए घी के अवश्य जलाएं।
- घर तथा मुख्य द्वार की सजावट के साथ-साथ घर के बाउंड्री वॉल पर दीए जलाना न भूलें।
वास्तु सुझाव
इन कार्यों के साथ-साथ आप धन-सम्पदा की बरकत के लिए वास्तु के उपायों को भी आप आजमा सकते हैं। क्या करें?
- अगर आप इलेक्ट्रॉनिक लाइटिंग का प्रयोग करने वाले हैं तो अलग-अलग दिशा हेतु अलग रंगों के लाइट्ïस का प्रयोग करें।
जैसे- दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में है तो लाल और नीले दोनों रंगो का प्रयोग करें। दक्षिण-पूर्व के लिए लाल।
उत्तर या उत्तर-पूर्व के लिए लाल और पीले तथा दक्षिण-पूर्व दिशा में लाल लाइटिंग का प्रयोग करें। - दक्षिण-पूर्व दिशा में ताजे पानी से भरे बाउल को सौ के नोट पर रखें। इससे व्यापार में वृद्धि होती है।
- पश्चिम दिशा में गुल्लक रखें तथा दिवाली वाले दिन उसमें पैसे अवश्य डालें।
- सजावट के लिए मिट्टïी से बने फ्लावर पॉट में पीले फूल रख कर सजाएं तथा उसे दक्षिण-पश्चिम में सजाएं।
- घर के मुख्य द्वार के पास, पूजा घर तथा अगर घर में तुलसी का पौधा है तो उसके आस-पास रंगोली अवश्य बनाएं।
- रंगोली में लाल तथा पीले रंग का प्रयोग करना शुभ होता है।
- आज-कल दिवाली के दिन एक-दूसरे को तरह-तरह के उपहार देने का चलन काफी आम हो चुका है ऐसे में कुछ वस्तुएं ऐसी हैं जिनको अगर उपहार के रूप में दिया जाए तो बहुत शुभ होता है। जैसे-वास्तु पेंटिंग्स, मिठाई, सोना-चांदी, ड्राई फ्रूट्ïस स्टोन, क्रिस्टल तथा पानी को प्रदर्शित करती पेंटिंग्स इत्यादि।
फ्रूट्ïस स्टोन, क्रिस्टल तथा पानी को प्रदर्शित करती पेंटिंग्स इत्यादि। क्या न करें?
- दिवाली के दिन जितना हो सके बुरे कामों से दूर रहें चाहे वो किसी का दिल दुखाना हो या किसी की निंदा-चुंगली करना।
- घर की सजावट के लिए कभी बाजार से ऐसी रंगोली न खरीदें जिस पर लक्ष्मी जी या गणेश जी की प्रतिमा बनी हो। इसी तरह इस बात का भी ध्यान रखें कि फर्श पर कभी भी ओम या स्वास्तिक जैसे शुभ चिन्ह न बनाएं।
- किसी को दिवाली का उपहार देने से पहले इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि किसी को चाकू सेट, पटाखे, नकारात्मक तस्वीरें या किसी प्रकार का एंटीक पीस न दें।
वास्तु आनुसार करें लक्ष्मी पूजन
लक्ष्मी पूजन करते समय वास्तु के निम्नलिखित विधियों तथा उपायों का ध्यान रखने से पूजन अधिक फलदायी होता है- - उत्तर दिशा धन व सम्पत्ति की दिशा होती है। इस कारण से पूजा के लिए इस दिशा का चुनाव करें तथा भगवान लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियों को पूजा घर में उत्तर-पूर्व में रखें।
- इस बात का भी ध्यान रखें कि भगवान की मूर्तियों का मुख दरवाजे की ठीक सामने न हो।
- पूजा स्थल की सफाई व स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
- पूजाघर के पूर्व या उत्तर दिशा में पानी से भरे कलश की स्थापना करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
- शुद्ध देशी घी का दीपक या फिर कपूर अथवा अगरबत्ती जला कर पूजा का प्रारम्भ करें।
- पूजा के दौरान भगवान गणेश सर्वप्रथम पूजे जाने के अधिकारी होते हैं। तथा उनके बाद नवग्रह फिर मां लक्ष्मी जी का आवाहन प्रारम्भ करें।
पूजन की विधि - माता लक्ष्मी की मूर्ति को दूध, दही, घी, गंगाजल तथा शहद से पंचामृत बनाकर उससे स्नान कराएं और उसके बाद उसे गंगाजल से पुन: स्नान करा कर एक साफ कपड़े से पोछ लें फिर मां की मूर्ति की स्थापना कर लें।
- मां लक्ष्मी की मूर्ति को तिलक लगाएं तथा श्रृंगार की सामाग्री तथा वस्त्र चढ़ाएं।
- मां के समक्ष धूप व दीप दिखाते हुए उनकी कथा वाचें फिर भोग लगाकर दक्षिणा दें तथा उसके बाद आरती करें।
- अंत में पुन: मां को पुष्प अर्पण करने का विधान है तथा इसके बाद पूरी श्रद्धा से मां से प्रार्थना करें।
