Diwali 2023: सनातन धर्म में पांच दिवसीय त्योहार दिवाली का विशेष महत्व है। इस महत्वपूर्ण त्यौहार की शुरुआत धनतेरस के दिन से होती है। पंचांग के अनुसार इस बार दिवाली का त्यौहार 12 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। हर साल दिवाली पर लोग अपने घरों की साफ-सफाई, साज सजावट करते हैं। नए कपड़े पहन कर पटाखे फोड़ते हैं।
यह पांच दिवसीय दीपों का त्यौहार धनतेरस से शुरु होकर भाई दूज पर समाप्त होता है। दिवाली पर देशभर में अलग ही उत्साह नजर आता है। धनतेरस के दिन से ही दीये जलाने की परंपरा शुरू हो जाती है। दिवाली के इन पांच दिनों में लोग अपने घरों को दीयों से सजाकर जगमगा देते हैं। इस वजह से ही दिवाली को दीपों का त्योहार और रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता है।
दिवाली मनाने के पीछे की वजह
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आपने गौर किया होगा की दिवाली के त्योहार पर मिट्टी के दीये पूरे घर में लगाए जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर दिवाली पर मिट्टी के दिए क्यों लगाए जाते हैं, अगर नहीं तो आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे की दिवाली पर मिट्टी के दीये क्यों जलाए जाते हैं, तो चलिए जानते हैं।
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दिवाली के त्यौहार में दीयों को जलाने का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम जब 14 साल का वनवास कर अयोध्या वापस लौटे थे। भगवान श्री राम के वापस आने की खुशी और उनके स्वागत में पूरे अयोध्या को दीयों से सजाकर जगमगाया था। दीये जलाने के साथ ही अयोध्या वासियों ने मिठाइयां बनाकर, नए वस्त्र पहनकर भगवान श्री राम का स्वागत किया था। तब से ही इस दिन को दिवाली के रूप में मनाया जाता है, और तब से ही दीये जलाने की परंपरा शुरू हुई है।
दिवाली पर क्यों जलाए जाते हैं मिट्टी के दीये
मिट्टी के दीये जलाने के पीछे कई वजह है। पहली वजह यह है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह को मिट्टी और भूमि का कारक माना जाता है। सरसों के तेल का संबंध शनि ग्रह से होता है। यही वजह है की मिट्टी और सरसों के तेल के दीये जलाने की वजह से मंगल और शनि ग्रह दोनों ही मजबूत होते हैं। जिसकी वजह से यह शुभ फल देते हैं। अगर व्यक्ति का मंगल और शनि मजबूत होता है तो उसे धन, दौलत, सुख और दांपत्य जीवन में खुशियां ही खुशियां हासिल होती है।
मिट्टी के दीये जलाने का महत्व
ऐसा भी कहा जाता है की मिट्टी के दीये जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है। तनाव से भी मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है। मिट्टी का दिया, मिट्टी और पानी से मिलकर बनता है। इस लिए इसे जलाने से वातावरण में शुद्धि होती है।
पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु इन सभी पांचों तत्वों से मिलकर दीपक प्रकाशित होता है और वातावरण शुद्ध होता है। धनतेरस से लेकर भाई दूज तक दीपक जलाने से पांचों तत्व संतुलित होते हैं और इसका असर पूरे साल व्यक्ति के जीवन पर रहता है। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ पितरों के निमित्त भी दीपक जलाए जाते हैं। अमावस्या पर बुरी शक्तियों को कमजोर करने के लिए घर के कोने-कोने में दीपक जलाए जाते हैं।