Baanke Bihaari Mandir: वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर लाखों कृष्ण भक्तों के लिए भक्ति और आध्यात्मिकता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है I श्री कृष्ण को समर्पित अनेकों मंदिरों में से बांके बिहारी मंदिर का एक विशेष स्थान है I इस मंदिर की हिस्ट्री बहुत रिच है I यह हर दिन भक्तों से भरा रहता है I हर एक भक्त श्री कृष्ण के बाल अवतार की एक झलक पाने के लिए बेताब रहते हैं I
भगवान और भक्तों के बीच में एक पर्दा होता है जो हर कुछ मिनटों में खींचा जाता है I मंदिर के अंदर भगवान श्री कृष्ण सुंदर वस्त्र और आभूषणों से सजे हुए होते हैं I उनकी मनमोहक आंखें और उनकी खूबसूरत और मासूम बच्चों जैसी निगाहें भक्तों को पूरी तरह से मंत्र मुग्ध कर देती हैं I ऐसा देखा गया है कि जब भक्त उन्हें देखते हैं तो उनके दिलों में ऐसी भावना उमड़ने लगती है कि वह उनके सामने ही रो पड़ते हैं I
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लगातार पर्दे खींचे जाने का क्या है कारण

बांके बिहारी मंदिर में एक अलग और रहस्यमय रीति का पालन किया जाता है जो हमेशा भक्तों को आश्चर्यचकित करता है I हर थोड़ी देर में पुजारी लगातार पर्दे खोलते हैं और बंद करते रहते हैं I इसके साथ कई एक कहानी जुड़ी हुई हैं जिनके बारे में हम बात करेंगे I
भक्त भगवान कृष्ण को सम्मोहित कर लेते हैं

इस कहानी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के भक्त अपने गहन प्रेम और भक्ति से उन्हें सम्मोहित कर लेते हैं जिसके कारण भगवान को उनकी हर पुकार और भावना का जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ता है I इस सम्मोहन को तोड़ने के लिए पुजारी लगातार पर्दों को खोलते और बंद करते हैं I ऐसा भी माना जाता है कि कई बार भगवान कृष्ण लोगों की भक्ति से मंत्र मुक्त होकर अपनी इच्छा से उनके साथ चले गए और उनके साथ रहे I
बूढी औरत और भगवान कृष्ण का प्रेम

इस कहानी के अनुसार ऐसा माना जाता है की एक बूढी औरत ने अपनी भक्ति और प्रेम द्वारा छोटे से कृष्ण कन्हैया का दिल जीत लिया I वह हर दिन मंदिर जाया करती थी, फूल चढाती थी और प्रार्थना करती थी और श्री कृष्ण भगवान को अपने बेटे के रूप में पानी की इच्छा रखती थी I एक दिन भगवान कृष्ण ने उनके साथ जाने का फैसला किया और फिर उनकी दिव्य ऊर्जा मंदिर में महसूस नहीं की जा सकती थी I
राजकुमारी के मन में भगवान कृष्ण

एक अन्य कहानी उस राजकुमारी की है जो बांके बिहारी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के दर्शन से भावविभोर हो गई I उसकी आंखों से झर झर आंसू बहने लगे I लेकिन क्योंकि एक राजकुमारी होने के नाते उन्हें अपने राज्य की देखभाल करनी थी इसलिए उन्हें भगवान कृष्ण के बिना वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा I उसकी शुद्ध और प्रेम पूर्ण भावनाओं को देखकर श्री कृष्णा खुशी-खुशी उनके साथ चले गए I बाद में पुजारियों के कई अनुरोधों के बाद वह अपने अन्य भक्तों के लिए वापस आने के लिए तैयार हुए I
इन्हीं घटनाओं के बाद से पुजारी भक्तों और श्री कृष्ण भगवान के बीच परदे खींचते रहते हैं ताकि भक्तों की प्रेम और भक्ति उन्हें फिर से मंदिर परिसर छोड़कर जाने के लिए प्रेरित ना कर सके I
