साईं के भक्तों की संख्या लाखों-करोड़ों में हैं। इन भक्तों का आस्था भी बस यूंहीं नहीं बन गई है बल्कि साईं ने कई दफा खुद की अद्भुत शक्तियों को साबित किया है। साईं का शिरडी से शुरू हुआ आस्था का सफर अब पूरी दुनिया में फैल चुका है। ये आस्था ही है, जो साईं से जुड़े लोगों को एक बार जुडने के बाद फिर कभी अलग नहीं होने देती है। ये वो आस्था है, जो साईं की महिमा दिखाती ढेरों कहानियों पर विश्वास करने का सुकून देती है। इन्हीं कहानियों पर आपको भी एक नजर तो जरूर डालनी चाहिए ताकि साईं की महिमा के असल रूप से आप भी रूबरू हो सकें। उनकी महिमा से जुड़ी अनोखी और रोचक कहानियों को आइए जानें-
गेंहू पीसते साईं-
साईं के बारे में एक कहानी बहुत प्रसिद्ध है। इस कहानी में बताया जाता है कि साईं एक दिन सुबह गेंहू पीसने वाली चक्की ले आए और गेंहू पीसने लगे। आस-पास के लोग बहुत हैरान हो गए थे। उनको लगने लगा था कि भिक्षा मांगने वाले साईं अचानक से गेंहू क्यों पीसने लगे। तभी भीड़ से निकलीं चार महिलाएं ये काम खुद ही करने लगीं। फिर बने आटे के चार हिस्से किए और आपस में बांट कर अपने घर की ओर चल दीं। फिर साईं ने उन्हें रोक लिया। वो कहने लगे कि ये आटा लेकर गांव की मेड़ पर बिखेर दो। बाद में लोगों को पता चला कि गांव में हैजा फैला था और ये आटा उसी का इलाज था। गांव में सबकुछ ठीक हो गया। 
कुत्ते के रूप में साईं-
एक दफा साईं अपने भक्त के घर भोजन के लिए जाने वाले थे। लेकिन अपने असल रूप में वहां जाने से पहले साईं कुत्ते का रूप धर कर भक्त के घर चले गए। भक्त ने गुस्से चूल्हे से जलती लकड़ी से कुत्ते को मारा और भगा दिया। फिर साईं के आने में देरी हुई तो वो भक्त खुद साईं को लेने चला गया। उसने पूछा कि आप आए क्यों नहीं? तो साईं बोले, मैं तो आया था लेकिन तुमने जलती लकड़ी से डरा कर भगा दिया। भक्त उनकी महिमा देख घबरा गया और माफी मांगने लगा। मगर स्नेह से भरे साईं ने उसे तुरंत माफ भी कर दिया। 
संताख सुख भी-
साईं के बारे में एक कहानी और प्रसिद्ध है। इस कहानी में एक लक्ष्मी नाम की ऐसी महिला की बात कही जाती है, जिसको संतान सुख नहीं मिल पाया था। जब वो साईं से मिलने पहुंची तो उन्होंने उसे भभूत दी। साथ में ये भी कहा कि आधा खुद खाना और आधा अपने पति को दे देना। उसने ऐसा किया और गर्भवती भी हुई। लेकिन फिर कोई साईं का विरोधी उसका बुरा करने के मकसद से लक्ष्मी को गर्भपात की दवा देता है। लक्ष्मी की तबीयत बिगड़ने लगती है। एक बार फिर लक्ष्मी साईं के पास आकार मदद की गुहार लगाती है। इस बार भी साईं उसकी मदद करते हैं। एक बार फिर भभूत खाने को देते हैं और लक्ष्मी ठीक होकर सही समय पर स्वस्थ्य बच्चे को जन्म देती है।