Tulsi Puja in Kartik Month 2025
Tulsi Puja in Kartik Month 2025

Overview:कार्तिक मास 2025: तुलसी पूजन से कैसे बदल सकती है आपकी किस्मत

कार्तिक मास 2025 में तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा भगवान विष्णु को प्रिय मानी जाती है और घर में सुख, समृद्धि व सकारात्मक ऊर्जा लाती है। इस मास में तुलसी पूजा की सही विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्रों का पालन करना अत्यंत लाभकारी होता है। नियमित पूजा से मानसिक शांति, आध्यात्मिक लाभ और पारिवारिक सौहार्द मिलता है।”

Tulsi Puja in Karthik Month 2025: कार्तिक मास हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने को भगवान विष्णु और श्रीहरी की विशेष भक्ति का समय माना जाता है। इस पावन काल में तुलसी पूजा का महत्व बहुत बढ़ जाता है क्योंकि तुलसी को विष्णु की प्रिय माना गया है । तुलसी हर घर के आँगन में सम्पन्नता, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक रक्षा लाने वाली देवी-ऋषि की तरह प्रतिष्ठित होती है।

2025 के कार्तिक मास की शुरुआत 8 अक्टूबर से होती है और यह 6–7 नवंबर तक चलेगा। इस अवधि में तुलसी पूजा, दीपदान, स्नान विधि, दान-पुण्य और व्रत आदि उपायों से मनुष्य अपने अंदर की अज्ञानता को दूर कर सकता है और ईश्वर की अनुकम्पा प्राप्त कर सकता है। तुलसी पूजा की विधि सरल है — सुबह स्नान, तुलसी को जल अर्पण, सिंदूर-चूड़े से श्रृंगार, धूप-दीप और मंत्र जाप।

इस लेख में हम जानेंगे — तुलसी पूजा करने का आध्यात्मिक महत्व, पूजा विधि, शुभ समय (मुहूर्त), अनुकूल मंत्र और पाठ, और पूजा में की जाने वाली सावधानियाँ व सुझाव। यदि आप कार्तिक मास का अधिकतम लाभ लेना चाहते हैं और अपने जीवन में आध्यात्मिक शुद्धि लाना चाहते हैं — तो इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

तुलसी पूजा का आध्यात्मिक महत्व

Tulsi is considered dear to Lord Vishnu, and offering prayers to it brings positive energy, spiritual strength, and harmony to the home.
Tulsi pooja during Kartik Maas

तुलसी केवल एक पौधा नहीं, बल्कि हिन्दू धर्म में विष्णु-श्रीहरि की सच्ची संगिनी के रूप में पूजी जाती है। पुराणों में विवरण है कि तुलसी में ब्रह्मा, विष्णु और शिव की शक्ति निवास करती है। कई धार्मिक कथाएँ बताती हैं कि जिस घर में तुलसी होती है, वहाँ लक्ष्मी और समृद्धि रहते हैं। तुलसी को पानी देने, फूल अर्पण करने और उसकी सेवा करने से पापों का नाश होता है। विशेष रूप से कार्तिक मास में तुलसी पूजा करने का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है क्योंकि यह मास भगवान विष्णु को प्रिय माना गया है।

तुलसी पूजा से मन को शांति मिलती है, आंतरिक ऊर्जा जाग्रत होती है और भक्ति की अनुभूति गहरी होती है। भक्तों का मानना है कि तुलसी अर्पित करने से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। इस कारण तुलसी पूजा को “भाग्य और सुख-समृद्धि का स्रोत” कहा जाता है।

कार्तिक मास में तुलसी पूजा की विधि

Devotees observe early morning rituals, bathe, offer water to the Tulsi plant, light lamps, and chant mantras to gain maximum spiritual benefits.
In Kartik Maas 2025, Tulsi worship holds special importance

कार्तिक मास में तुलसी पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह स्नान करना आवश्यक है। स्नान के बाद तुलसी के आसपास सफाई करें। इसके बाद तुलसी को जल अर्पण करें — साफ जल से हलके हाथों से ऊपर-नीचे डालें। फिर सिंदूर या चूड़ा से तुलसी को श्रृंगारित करें और लाल या पीले फूल अर्पण करें।

उसके बाद दीप या घी का दिया तुलसी के पास जलाएँ। शाम में भी इसी तरह पूजा करें। पूजा के दौरान मंत्र जाप करें — जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या तुलसी स्तोत्र पाठ। अंत में तुलसी की तीन परिक्रमा (प्रदक्षण) करें और प्रसाद अर्पण करें।

यदि संभव हो, तुलसी विवाह (तुलसी-विवाह) का आयोजन प्रबोधिनी एकादशी तथा पूर्णिमा के मध्य करें, जो पवित्रता और मंगल का प्रतीक माना जाता है। इस तरह विधिपूर्वक पूजा करने से वह भक्त को विशेष आध्यात्मिक लाभ प्रदान करती है।

शुभ मुहूर्त, युग और मंत्र

पूजा का समय (मुहूर्त) बहुत महत्वपूर्ण है। तुलसी पूजा के लिए ब्राह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पूर्व) आदर्श माना जाता है क्योंकि उस समय वातावरण अधिक पवित्र और शांत होता है। शाम के समय भी पूजा हो सकती है, विशेषकर सूर्यास्त के बाद दीप जलाकर। वहीँ प्रबोधिनी एकादशी और तुलसी विवाह के दिन तुलसी पूजा और विवाह विधियों का आयोजन किया जाता है।

मंत्रों में “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”, “ॐ नमो नारायणाय” या “श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी…” जाप विशेष शुभ माना जाता है। तुलसी स्तोत्र (जैसे तुलसी दासा) और विष्णु सहस्रनाम पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। पूजा के समय का चयन और मंत्र जाप की शुद्धता, भक्त को ईश्वर की कृपा अधिक प्राप्त होती है।

पूजा में सावधानियाँ और सुझाव

तुलसी पूजा करते समय कुछ सावधानियाँ अपनाना जरूरी है। पहले, तुलसी के आसपास गंदगी, कूड़ा आदि न हो— पूजा स्थल को स्वच्छ रखें। पौधे को हानि न पहुँचाएँ और उसकी जड़ों को नुकसान न करें।

उपवास या शुद्ध आहार (शाकाहार, पवित्र भोजन) रखें — इस मास में भोग में मांसाहार, लहसुन-प्याज आदि से परहेज करें। पूजा के दौरान मन को एकाग्र रखें।

“यदि तुलसी का पौधा सूख जाए, तो उसे गमले या आँगन में ही मिट्टी में दबा दें और नया पौधा लगा दें। तुलसी को हमेशा श्रद्धा और आदर से देखें। उसका सम्मान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और पूजा का फल भी पूर्ण रूप से मिलता है

आध्यात्मिक, मानसिक और पारिवारिक लाभ

तुलसी पूजा करने से सबसे पहले आध्यात्मिक शुद्धि मिलती है। भक्त के हृदय से दोष और निगेटिव एनर्जी दूर होती है और ईश्वर की उर्जा प्रवेश करती है। मन में शांति, संतुलन और स्पष्टता आती है।

मानसिक स्तर पर तुलसी के आसपास रहने से तनाव कम होता है, विचार शांत होते हैं और मन स्थिर बनता है। पारिवारिक जीवन में शांति, प्रेम और सौहार्द बढ़ता है। घर में सकारात्मक वातावरण बनता है और सद्भावना बढ़ती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी पूजा करने पर गृहस्थ जीवन में सुख, समृद्धि, रोगनाश और आर्थिक स्थिरता आती है। देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और आत्मिक मार्ग सुगम हो जाता है। यदि पूजा नियमित सरल व भक्ति-भाव से किया जाए, तो यह लाभ अधिक स्पष्ट रूप से दिखते हैं।

मेरा नाम वामिका है, और मैं पिछले पाँच वर्षों से हिंदी डिजिटल मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर सक्रिय हूं। विशेष रूप से महिला स्वास्थ्य, रिश्तों की जटिलताएं, बच्चों की परवरिश, और सामाजिक बदलाव जैसे विषयों पर लेखन का अनुभव है। मेरी लेखनी...