कार्तिक महीने में ही तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है जिससे पुण्यफल की प्राप्ति होती है। तुलसी विवाह से घर में सुख-समृद्धि आती है इसलिए पूजा से पहले इसके नियमों को जानना बेहद ज़रूरी है। 
इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि कभी भी बिना नहाये तुलसी पत्र को न तोड़े ये अशुभ और तुलसी माता का अपमान माना जाता है। इसके साथ ही, कभी भी शाम को तुलसी के पत्तों को न तोड़े। वहीं, तुलसी को दांतों से चबाकर नहीं खाना चाहिए। 
पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी, रविवार व संक्रान्ति के दिन दोपहर दोनों संध्या कालों के बीच में और रात्रि में तुलसी नहीं तोड़ना चाहिए। किसी के जन्म के समय और मुत्यु के समय घर में सूतक लग जाते हैं, ऐसे में तुलसी को ग्रहण न करें। 
वैवाहिक जीवन के लिए और सुख-शांति- 
पारिवारिक और वैवाहिक जीवन के लिए तुलसी की पूजा सबसे उत्तम मानी जाती है और तुलसी के पौधे के रोपण व पूजन के लिए सबसे अच्छा महिना कार्तिक का होता है। कार्तिक मास में किसी भी दिन बेहतर होगा शुरुआत में ही तुलसी का पौधा ले आएं और घर में रोपण करें। अब नित्य सायंकाल इस पौधे के नीचे घी का या तिल के तेल का दीपक जलाएं। सुखद पारिवारिक जीवन और वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करें।
कार्तिक मास में लक्ष्मी और विष्णु की करें पूजा- 
कार्तिक मास में मां लक्ष्मी की कृपा के लिए दीपावली जैसा बड़ा पर्व मनाया जाता है। कार्तिक मास में रोज़ाना रात को भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की संयुक्त पूजा करें। गुलाबी या चमकदार वस्त्र धारण करके भगवान की उपासना कर उन्हें भोग चढ़ाएं।

यह भी पढ़ें

पौधों से सजाइए घर का ड्राइंग रूम