1. इस व्रत में कुछ लोगों के यहां सुबह सूरज निकलने से पहले सरगी खाने का रिवाज है तो कहीं नहीं है इसलिए अपने परंपरा के अनुसार ही व्रत रखना चाहिए। सरगी आपको व्रत के लिए दिनभर ऊर्जा देती है।
2. करवा चौथ में व्रत रखने वाली हर उम्र की सभी महिलाओं को पूरा श्रृंगार करना चाहिए। इस व्रत में महिलाओं को मेहंदी से लेकर सभी सोलह श्रृंगार करने चाहिए।
3. इस व्रत में मिट्टी के करवे लिए जाते हैं और उनसे ही चन्द्रमा को अर्ध्य देकर पूजा की जाती है। वहीं, इसके अलावा करवा चौथ माता की कथा सुनना भी बहुत जरूरी है इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
4. करवा चौथ की पूजा में भगवान शिव, गणेश, माता पार्वती और कार्तिकेय सहित नंदी जी की भी पूजा की जाती है। पूजा के बाद चंद्रमा को छलनी से देखते हुए पति को देखा जाता है।
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त-
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- 5:29 से 6:48 बजे
चंद्रोदय- 8:16 बजे
चतुर्थी तिथि आरंभ- 03:24 (4 नवंबर)
चतुर्थी तिथि समाप्त- 05:14 (5 नवंबर)
क्यों होती है चंद्रमा की पूजा-
मान्यता के अनुसार, इस व्रत को वह लड़कियां भी करती हैं, जिनकी शादी की उम्र हो चुकी है या शादी होने वाली है। करवा चौथ महज एक व्रत नहीं है, यह पति-पत्नी के पावन रिश्ते को अधिक मजबूत करने वाला पर्व भी है। चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है और इनकी पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और पति की आयु भी लंबी होती है।
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