Dronagiri Village
Dronagiri Village

Overview: क्यों नाराज हुए द्रोणागिरी के लोग?

उत्तराखंड के चमोली जिले का द्रोणागिरी गांव अपनी अनोखी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। यहां हनुमान जी की पूजा नहीं होती क्योंकि मान्यता है कि उन्होंने संजीवनी बूटी बिना ग्राम देवी की अनुमति के ले ली थी। हालांकि, यहां भगवान राम की पूजा धूमधाम से होती है और हर साल द्रोणागिरी पर्वत उत्सव मनाया जाता है।

Dronagiri Village: भारत को धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं की भूमि कहा जाता है। यहां हर जगह देवी-देवताओं के मंदिर, पूजा-पाठ और अनोखी मान्यताएं देखने को मिलती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि किसी गांव में हनुमान जी की पूजा ही नहीं होती? जी हां, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित द्रोणागिरी गांव ऐसा ही एक स्थान है, जहां लोग न केवल हनुमान जी की पूजा करने से बचते हैं बल्कि उनका नाम लेना भी पसंद नहीं करते। आखिर क्यों? आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा।

देवभूमि उत्तराखंड और द्रोणागिरी का महत्व

उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। यहां चार धाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) स्थित हैं, जिनका दर्शन करने हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। यहां की हर घाटी और हर पर्वत से कोई न कोई धार्मिक कथा जुड़ी हुई है। इन्हीं में से एक है चमोली जिले का द्रोणागिरी गांव, जो पौराणिक घटनाओं के कारण खास पहचान रखता है।

रामायण से जुड़ा द्रोणागिरी पर्वत का किस्सा

रामायण काल में जब रावण के पुत्र मेघनाद ने लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, तो लक्ष्मण मूर्छित हो गए। राम जी शोक में डूब गए और तभी विभीषण ने सलाह दी कि लक्ष्मण का उपचार सुसैन वैद्य कर सकते हैं। वैद्य ने कहा कि उन्हें जीवित करने के लिए संजीवनी बूटी चाहिए, जो द्रोणागिरी पर्वत पर मिलती है।

हनुमान जी बिना देर किए द्रोणागिरी पर्वत की ओर निकल पड़े। लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें यह पहचानने में कठिनाई हुई कि संजीवनी बूटी कौन-सी है। ऐसे में उन्होंने संजीवनी खोजने के बजाय पूरा का पूरा पर्वत ही उठा लिया और लंका ले गए।

क्यों नाराज हुए द्रोणागिरी के लोग?

द्रोणागिरी गांव के लोगों का मानना है कि हनुमान जी ने गांव की ग्राम देवी की अनुमति लिए बिना पर्वत का एक हिस्सा उठा लिया। यह गांव और देवता का अपमान माना गया। तभी से गांव वालों ने हनुमान जी से अपने सारे रिश्ते तोड़ लिए। यहां के लोग पीढ़ियों से न तो हनुमान जी का नाम लेते हैं और न ही उनकी पूजा करते हैं।

भगवान राम की पूजा होती है पूरे भक्ति भाव से

हालांकि, यह भी सच है कि द्रोणागिरी गांव के लोग भगवान राम को पूरी श्रद्धा से पूजते हैं। खासकर रामनवमी के अवसर पर यहां बड़े आयोजन होते हैं, लेकिन इस उत्सव में भी हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती।

जून में मनाया जाता है द्रोणागिरी उत्सव

हर साल जून माह में यहां द्रोणागिरी पर्वत उत्सव का आयोजन होता है। इस समय स्थानीय लोग पर्वत की पूजा करते हैं और दूर-दराज से श्रद्धालु इसमें शामिल होने आते हैं। यहां के लोग द्रोणागिरी पर्वत को देवता मानते हैं और उसकी विशेष पूजा करते हैं।

द्रोणागिरी कैसे पहुंचे?

अगर आप द्रोणागिरी गांव जाना चाहते हैं तो सबसे पहले ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून पहुंचें। वहां से बस या टैक्सी लेकर जोशीमठ पहुंच सकते हैं। इसके बाद आपको जुम्मा गांव तक गाड़ी लेनी होगी। जुम्मा से लगभग 8 किलोमीटर का ट्रैकिंग मार्ग है, जिसे तय करने के बाद आप द्रोणागिरी गांव पहुंचेंगे।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...