Chaitra Navratri Shubh Yog: चैत्र महीने के नवरात्रे कल से शुरू होने वाले हैं और सारे हिन्दू लोग इस त्यौहार को तैयारी में जोरों शोरों से लगे हुए हैं। पहले नवरात्रि के दिन ही हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत हो जाती है। 9 अप्रैल को नवरात्रि शुरू हो रहे हैं और नवरात्रों के साथ साथ ही इस दिन पिंगल नामक नव संवत्सर भी शुरू हो रहा है। इसके राजा मंगल होंगे और मंत्री शनि देव होंगे। इस बार पूरे 9 दिन के नवरात्रि मनाए जा रहे हैं और नवरात्रों के दौरान ग्रहण का भी सुंदर योग बन रहा है। इस बार माता रानी घोड़े पर सवार हो कर आएंगी और हाथी पर सवार हो कर जाएंगी। आइए जानते हैं इस दौरान कलश स्थापना और अन्य संयोगों का शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहेगा।
रेवती नक्षत्र के बारे में जान लें
9 अप्रैल से नवरात्रि शुरू होने जा रही हैं। दिन में 8 बज कर 8 मिनट तक रेवती नक्षत्र व्याप्त रहेगी और उसके बाद अश्विनी और आरंभ हो जायेगी। इस बार नवरात्रि की शुरुआत में ही भौमाश्विनी योग भी बन रहा है।
कलश स्थापना का मुहूर्त
जब तक दिन में वैधृति योग बना रहता है, तब तक कलश स्थापना नहीं की जा सकती है। यह योग दिन में 3 बज कर 18 मिनट तक व्याप्त रहेगा। अभिजीत मुहूर्त कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। यह मुहूर्त दिन में 11 बज कर 34 मिनट पर शुरू होगा और दिन में 12 बज कर 24 मिनिट तक रहेगा। इस समय के दौरान आप कलश स्थापना कर सकते हैं। दिन में 3 बजे से लेकर साढ़े 4 बजे तक राहु काल व्याप्त होगा। इसलिए इसके बाद कलश स्थापना का दूसरा मुहूर्त इसके बाद यानी साढ़े 4 बजे से लेकर शाम को 6 बज कर 14 मिनट तक रहेगा। यह मुहूर्त दिन में सबसे श्रेष्ठ मुर्हत बताया गया है।