Shankri Devi Mandir : माता आदिशक्ति भवानी की आराधना के नौ दिन का पर्व यानिकि चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। माता दुर्गा के इन नौ दिनों में भक्त देवी के विभिन्न स्वरूपनो की पूजा करते हैं। मान्यता है देवी मां को यदि नवरात्रि में प्रसन्न कर लिया जाए, तो जीवन की सभी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं। यश, रूप और विजय के लिए शक्ति की आराधना का विशेष महत्व है। यही कारण है कि माता आदिशक्ति के विशेष मंदिरों अर्थात प्रमुख शक्ति पीठों में माता के भक्तो की भारी भीड़ उमड़ती है।
देवी भगवती के इन सिद्ध पीठों की विशेष मान्यता है। नैना देवी, ज्वाला देवी, माया देवी, हिंगलाज देवी आदि की भांति ही माता दुर्गा का आलोक शंकरी देवी मंदिर भी उक्त शक्ति पीठों में से एक है। प्रयागराज में वैसे तो कुल तीन शक्ति पीठ स्थित हैं, लेकिन उन सभी में आलोक शंकरी देवी मंदिर की बात निराली है। यहां हर दिन भक्तों का भारी तांता लगा रहता है। नारियल, पान, चुनरी, भोग आदि के थाल लेकर भक्त माता के दर्शन की प्रतीक्षा में रहते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में इस मंदिर में भीड़ के सभी रिकॉर्ड टूट जाते हैं।
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51 शक्तिपीठों में से एक है, माता शंकरी देवी मंदिर इस नवरात्रि करें दर्शन: Shankri Devi Mandir

क्या है इस मंदिर की पौराणिक कथा
मंदिर से जुड़ी वैसे तो कई कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन सर्वाधिक विश्वसनीय कथा देवी भागवत पुराण से संबद्ध है। मान्यता है जब दक्ष प्रजापति ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया तब जानबूझकर भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। इस यज्ञ में अपने पिता का आमंत्रण न मिलने और भगवान शिव के मना करने के बावजूद भी देवी सती चली गई। यज्ञ में पहुंचकर उन्होंने देखा कि सभी देवताओं को उचित सम्मान के साथ आसनों पर विराजमान किया गया था, जबकि उनके पहुंचने पर न तो उनका सम्मान किया गया, अपितु दक्ष प्रजापति ने उनका खूब तिरस्कार किया। इससे रूष्ट होकर देवी सती ने यज्ञ कुंड में कूद कर स्वयं को अग्नि में विलीन कर लिया था। इसके बाद भगवान शिव माता सती के देह को लेकर तीनों लोकों में भ्रमण करने लगे। विरह की अग्नि में लिप्त भगवान शिव के कोप से चारों ओर हाहाकार मच गया। इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र का आह्वान कर देवी सती के देह को 51 भागों में विभक्त कर दिया था। ये 51 अंग देवी के 51 शक्ति पीठों में परिवर्तित हो गए। माता के हाथ का पंजा आलोक शंकरी देवी मंदिर में गिरा था, जहां आज भी माता दिव्य स्वरूप में विराजमान हैं।
पूर्ण होती है हर मनोकामना
किवदंतियों के अनुसार मां सती के दाहिने हाथ का पंजा यहां पर ही गिरा था। यहां पर एक कुंड भी स्थित है जिसके ऊपर एक पालना बना है। मान्यता है यहां दर्शन करने और आचमन करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
ऐसे करें दर्शन
अगर आप मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो नवरात्रि में सुबह 5ः00 बजे से रात्रि 9ः00 बजे तक खुलाता है। आप इस बीच मंदिर में जा सकते हैं। सिविल लाइन बस स्टैंड से यहां आने के लिए आपको चुंगी के लिए ऑटो पकड़ना होगा।
