Kushmanda Devi: सनातन धर्म में नवरात्रि का महापर्व भक्ति व शक्ति का सबसे महत्वपूर्ण काल माना गया है। चैत्र नवरात्रि में नौ दिन तक मां भगवती के विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना करने का विधान है। चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित होता है। इस दिन देवी कूष्मांडा की विशेष रूप से पूजा आराधना की जाती है।
मान्यता है कि जो भी भक्त देवी कूष्मांडा की सच्ची श्रद्धा से उपासना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है। पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि देवी कूष्मांडा, मां दुर्गा का ही स्वरूप है। इनकी भक्ति से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। तो चलिए जानते हैं मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप का महत्व क्या है और नवरात्रि में इनकी पूजा का शास्त्रों में क्या विधान है।
Kushmanda Devi: मां कूष्मांडा के स्वरूप का महत्व

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, जब सृष्टि में अंधकार छाया हुआ था, तब देवी कूष्मांडा ने अपने ईशत हास्य के माध्यम से ब्रह्मांड की सरंचना की। इस कारण मां कूष्मांडा को सृष्टि की आदिस्वरूपा भी कहा जाता है। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इस वजह से उन्हें अष्टभुजा भी कहते हैं। मां कूष्मांडा के आठ भुजाओं में कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृत पूर्ण कलश, चक्र तथा गदा रहता है। इसके अलावा मां देवी के आठवें हाथ में सिद्धियों व निधियों की जप माला हैं। मान्यता है कि मां कुष्मांडा कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है, जिसको संस्कृत में कूष्मांडा कहा जाता है। कहते हैं कि मां कूष्मांडा की पूजा से समस्त रोगों का निवारण होता है और आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है।
मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि में मां कूष्मांडा देवी की आराधना का विशेष महत्व है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के स्वरूप कूष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। शास्त्रों के अनुसार कूष्मांडा देवी की पूजा से ग्रहों के राजा सूर्य से उत्पन्न दोष दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि व शांति बनी रहती है। इसके साथ ही व्यापार, दांपत्य, धन और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि मां कूष्मांडा की सच्ची श्रद्धा से पूजा करने पर आरोग्य व संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां कूष्मांडा का मंत्र का उच्चारण

धार्मिक शास्त्रों में मां कूष्मांडा के प्रभावी व चमत्कारी मंत्रों के बारे में उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की उपासना के दौरान इन मंत्रों का जाप करना बेहद शुभ व उत्तम होता है। मान्यता है कि इन मंत्रों के जाप से सभी रोगों का निवारण होता है और आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है। इन मंत्रों के जाप से सुख-समृद्धि व उन्नति का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मां कूष्मांडा भक्तों की सभी मुराद पूरी करती है।
मां कुष्मांडा के मंत्र
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्य्स्त्राहि नो देवि कूष्माण्डेति मनोस्तुते।।
मां कुष्मांडा का बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:
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