Yamraj Story

Yamraj Story: इस सृष्टि में जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु होना सार्वभौमिक सत्य है। इस संसार में अपना उद्देश्य पूरा करने के बाद संसार के प्रत्येक जीव का शरीर पंचतत्वों में विलीन हो जाता है। धर्म ग्रंथों में यमराज को मृत्यु के देवता बताया गया है। सृष्टि पर मृत्यु होने पर मनुष्य की आत्मा को लेने यमराज के गण आते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि यमलोक के देवता यमराज व्यक्ति के प्राण हरने के लिए धरतीलोक पर आते हैं और मृत शरीर की आत्मा को अपने साथ यमलोक में ले जाते हैं। यमलोक में व्यक्ति के अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब करके उसे स्वर्ग या नरक में भेजा जाता है। इसीलिए यमराज को मृत्यु का देवता कहा जाता है। धर्मग्रंथों में उल्लेखित एक कथा के अनुसार एक बार स्वयं मृत्यु के देवता यमराज की भी मृत्यु हो गई थी। इससे सृष्टि में जन्म मरण के चक्र में असंतुलन आ गया। इसलिए मृत्यु के बाद यमराज जी को वापस प्राणदान मिला। आज इस लेख के द्वारा हम आपको यमराज जी की मृत्यु से जुड़ी रोचक कथा के बारे में बताएंगे।

कार्तिकेय ने किया यमराज का वध

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Death of Yamraj Story

पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, मार्कण्डेय पुराण में बताया गया है कि विश्वकर्मा जी की पुत्री संज्ञा और सूर्य देव के पुत्र के रूप में यमराज का जन्म हुआ। शिवपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, राजा श्वेत भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। इसीलिए राजा श्वेत ने अपना राज पाट त्याग कर ऋषि धर्म अपना लिया और भगवान शिव की तपस्या में लीन रहने लगे। कुछ वर्षों बाद के बाद यमराज अपने दूतों के साथ श्वेत ऋषि के प्राण लेने आए। शिव जी की तपस्या में लीन श्वेत ऋषि ने उस समय अपने प्राण त्यागने से मना कर दिया। यमराज ने श्वेत ऋषि से गुस्से में कहा कि उन्हें अपने प्राण त्यागने ही पड़ेगे तब शिव जी ने अपने पुत्र कार्तिकेय और अपने गण भैरव को श्वेत ऋषि की रक्षा के लिए भेजा। भैरव ने यमराज के सिर में डंडे से वार कर उन्हें वापस यमलोक भेज दिया। इससे क्रोधित होकर यमराज अपने भैंसे पर सवार होकर हाथ में अपना अस्त्र लिए फिर से श्वेत ऋषि के प्राण लेने आए। इस बार शिव जी के पुत्र कार्तिकेय ने अपनी शक्ति से यमराज का वध कर दिया।

शिव जी ने दिया यमराज को प्राणदान

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यमराज की मृत्यु से पूरी सृष्टि असंतुलित हो गई, तब सभी देवताओं ने भगवान शिव से यमराज को फिर से जीवित करने की प्रार्थना की। सूर्यदेव ने शिव जी की कठोर तपस्या करके अपने पुत्र यमराज को प्राणदान देने का वरदान मांगा। शिव जी ने नंदी से यमुना नदी का जल मंगवाया और यमराज के मृत शरीर पर उस जल से छींटे मारे, यमुना नदी के जल के स्पर्श से यमराज जी फिर से जीवित हो गए।

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