बच्चे रिजेक्शन से ना डरें, इसके लिए आजमा कर देखें ये 4 टिप्स: Rejection Fear in Kids
Rejection Fear in Kids

बच्चा रिजेक्शन को देखेगा सकारात्मक नज़रिये से, करें इन टिप्स का इस्तेमाल

इसके लिए हमें बच्चों के साथ बैठ कर बात करनी चाहिए और उन्हें समझाना चाहिए की रिजेक्शन को किस तरह से लें। हमें बच्चों को समझाने के लिए बच्चों की तरह सोच कर उनसे बात करनी चाहिए।

Rejection Fear in Kids: जीवन में सुख दुख हार जीत लगा ही रहता है। हमारी नयी पीढ़ी इसे कैसे सम्हालती है, ये हमारी परवरिश पर निर्भर करता है। बचपन से ही हमें बच्चों को रिजेक्शन हैंडल करना सिखाना चाहिए। बच्चों के कोमल मन पर नकारात्मक चीज़ों का असर बहुत ख़राब होता है। इसके लिए हमें बच्चों के साथ बैठ कर बात करनी चाहिए और उन्हें समझाना चाहिए की रिजेक्शन को किस तरह से लें। हमें बच्चों को समझाने के लिए बच्चों की तरह सोच कर उनसे बात करनी चाहिए। इस तरह बच्चों को समझाएं की वो रिजेक्शन को भी सकारात्मक सोच के साथ अपना लें। एक बार अगर बच्चा ये सीख गया तो वो जीवन में फिर कभी रिजेक्शन से नहीं डरेगा।

आइये जानते हैं कैसे बच्चों को रिजेक्शन हैंडल करना सिखाएं।

Rejection Fear in Kids
Create positivity

बच्चों के मन में सकारात्मकता पनपने दें। उनके सामने किसी भी तरह की नकारात्मक बात ना करें। बच्चों को समझाएं हर गतिविधि में हिस्सा लेना जरुरी है पर उसमे उन्हें जीतना या पहले नंबर पर ही आना है ऐसा कोई वादा उनसे ना लें। वो जितना अच्छा कर सकते हैं करें और उस एक्टिविटी को पूरी तरह से एन्जॉय करें यही उनके लिए सबसे अच्छा है। इस तरह की बातों से बच्चों का मनोबल बढ़ता है और वो पूरे विश्वास के साथ हर चीज को अपना लेते हैं।

opportunity
Take rejection as an opportunity

बच्चे एग्जाम में कम नंबर आने पर निराश होने लगते हैं, उन्हें लगता है शायद उनमे कुछ कमी है, वो और बच्चों के जैसे नहीं हैं। ऐसा होने पर बच्चे से कहें उन्हें एक और मौका मिला है, और भी ज्यादा अच्छा कर दिखाने का। अगली बार तुम पहले से भी अच्छा करोगे, अब तो तुम्हारे पास बहुत सारा समय भी है। बच्चे इस तरह की बातों से समझ पाएंगे की ये रिजेक्शन तो उनके लिए एक और मौका ले कर आया है। अगर ये रिजेक्शन वो नहीं देखते तो कैसे पता लगता उनके अंदर तो बहुत सारा टैलेंट है जिस पर वो और काम कर सकते हैं।

Let's talk
Let’s talk

व्यस्त जीवनशैली के चलते अगर आप भी अपने बच्चों के साथ बैठ कर बात नहीं कर पा रहे हैं, तो थोड़ा सतर्क हो जाइये। किसी भी तरह आप या आपके पार्टनर थोड़ा समय निकाल कर बच्चों के साथ बैठे, उनसे बातें करें, उनके विचार जानें और अपने बारे में भी बताएं। रिजेक्शन किसी चीज का अंत नहीं बल्कि एक नयी शुरुआत है, इस तरह बच्चों को समझाएं, उन्हें ये भी बताएं आपने भी जीवन में कई बार रिजेक्शन का सामना हंसते हंसते करा है, अगर रिजेक्शन ना होता तो शायद आप उतना बेहतर नहीं कर पाते, इस तरह आप अपनी कमियों पर काम कर पाएंगे। बच्चों के साथ बातें करना बहुत जरुरी है, अपने बचपन के किस्से कहानिया भी उन्हें जरूर सुनाएं।

Stay positive
Stay positive

अगर आप भी अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करते हैं तो समझिये आपका बच्चा कभी आगे बढ़ ही नहीं पाएगा। उसके लिए माता पिता का दिया हुआ ये जीवन का सबसे पहला और ख़राब रिजेक्शन होगा। जितना हो सके बच्चे की खूबियों को निखारें और कमियों पर चुपके से काम करें, दूसरों से उनकी बुराई ना करें। अपने बच्चे की छोटी से छोटी जीत पर उसका मनोबल बढ़ाएं।

उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाली तरूणा ने 2020 में यूट्यूब चैनल के ज़रिए अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद इंडिया टीवी के लिए आर्टिकल्स लिखे और नीलेश मिश्रा की वेबसाइट पर कहानियाँ प्रकाशित हुईं। वर्तमान में देश की अग्रणी महिला पत्रिका...