चार धाम की यात्रा सबसे बड़ी यात्रा धार्मिक यात्रा में गिनी जाती है
इस यात्रा के दौरान के दौरान हिंदू धर्म से जुड़े गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ पर्यटक स्थलों पर भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
Char Dham Yatra: देश में होने वाली तमाम धार्मिक यात्राओं के लिहाज़ से देखा जाए तो चार धाम की यात्रा सबसे बड़ी यात्रा मानी जाती है और इसे हर साल लाखों लोग करते हैं। इस यात्रा के दौरान के दौरान हिंदू धर्म से जुड़े गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ पर्यटक स्थलों पर भक्तों की भारी भीड़ रहती है। ये यात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर जाती है, इसलिए यमुनोत्री से शुरू होकर बद्रीनाथ पर जाकर ख़त्म होती है। इन चार पवित्र जगहों पर जाकर लोग देव दर्शन करते हैं और अपने पूर्व के किए पापों से मुक्ति की कामना करते हैं।
यह यात्रा जैसे ही शुरू होती है, चारों तरफ़ सैलानियों की चहल पहल लगनी शुरू हो जाती है। यात्रा चूँकि उत्तराखंड के लिए होती है, इसलिए यहाँ हर जगह पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखने को मिलता है। इस यात्रा के लिए सरकारी की तरफ़ से पहले से तमाम तरह की तैयारियाँ की जाती हैं। लेकिन कुछ बातों का ध्यान हमें ख़ुद ही रखना होता है ताकि हमारी यात्रा सहज, सरल और आरामदाक हो सके।
यात्रा से पहले करना होता है रजिस्ट्रेशन

यात्रा के लिए अगर आपके मन में विचार बनता है, तो सबसे पहले आपको रजिस्ट्रेशन कराना होगा ताकि आपकी यात्रा के बारे में सरकार को ज़रूरी जानकारी मिल पाए। यात्रा करने वालों के लिए यह बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है, जिसके लिए देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल पर जाकर लॉगिन करना और माँगी गई जानकारी को उपलब्ध कराना होगा। जो लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी होते हैं, उनके लिए रजिस्ट्रेशन करवाना ज़रूरी नहीं होता है, यह केवल राज्य के बाहरी यात्रियों के लिए होता है।
सड़क मार्ग की चार धाम यात्रा

चारधाम यात्रा के लिए परिवहन की बात करें, तो यह हवाई मार्ग, ट्रेन और सड़क के रास्ते की जा सकती है लेकिन हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन दोनों ही इन तीर्थ स्थलों से काफ़ी दूरी पर स्थित हैं, जिसकी वजह से ना चाहते हुए भी सड़क मार्ग से यात्रा करना पड़ता है। इतना ज़रूर है कि चढ़ाई से बचने के लिए कुछ लोग खच्चर या आरामदायक यात्रा के लिए हैलीकॉप्टर की सेवा ले लेते हैं। इसलिए आप देश के किसी भी हिस्से से, किसी भी सुविधाजनक परिवहन के माध्यम से दिल्ली, हरिद्वार या देहरादून पहुंच जाएँ और इन जगहों से सड़क मार्ग के जरिए अपनी चारधाम यात्रा की शुरुआत करें।
हैलीकॉप्टर द्वारा चार धाम यात्रा

यदि आप हैलीकॉप्टर के ज़रिए अपनी चार धाम यात्रा करना चाहते हैं, तो यात्रा थोड़ी सुविधाजनक हो जाती है। साथ ही साथ यह जल्दी भी पूरी हो जाती है लेकिन यह थोड़ी महंगी पड़ती है। हैलीकॉप्टर द्वारा चार धाम यात्रा के लिए आपको सहस्त्रधारा हैलीपैड पर पहुंचना होगा। यह हैलीकॉप्टर सेवा देहरादून से शुरू होकर खरसाली तक की होती है, जो कि यमुनोत्री मंदिर से 6 किलोमीटर दूर है। यमुनोत्री यात्रा के बाद गंगोत्री धाम जाने के लिए हरसिल हैलीपैड जाना होगा, जहां से गंगोत्री मंदिर तक हेलीकॉप्टर की यात्रा की जा सकती हैं। इसी तरह बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के हैलीपैड भी मंदिर के पास ही स्थित हैं।
चार धाम पर जाने का बेस्ट समय

चार धाम की यात्रा पर जाने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको बता दूं कि यह यात्रा कब शुरू होगी, कब बंद यह पहले से निर्धारित होता है और इसी अवधि के भीतर यात्रा करनी होती है। यह यात्रा देश की सबसे बड़ी यात्रा में गिनी जाती है इसलिए जैसे ही मंदिर के कपाट खुलते हैं, लोग दर्शन के लिए टूट पड़ते हैं। शुरुआती एक महीने तक काफ़ी भीड़ रहती है, बाद के महीनों में यात्रा में थोड़ी सहूलियत रहती है।
मौसम के लिहाज़ से यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर के बीच का माना जाता है। इन महीनों में उत्तराखंड का मौसम बहुत ही सुहाना और आरामदायक होता है। मानसून के महीने में बारिश की वजह से लैंड स्लाइडिंग आदि का ख़तरा बढ़ जाता है, इसलिए इस दौरान यहां पर यात्रा करने से बचने की हिदायत दी जाती है। सर्दियों के मौसम में बर्फ के कारण केदारनाथ की मूर्तियां उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर और बद्रीनाथ की मूर्तियां जोशीमठ में रखी जाती हैं।
चार धाम यात्रा के दौरान ठहरने की सुविधा
चार धाम यात्रा के दौरान आपको कई जगहों पर रुकना होता है, ऐसे में ठहरने की सुविधा का बंदोवस्त आपको पहले से ही कर लेना चाहिए अन्यथा भारी भीड़ की वजह से आपको सभी जगहें भारी मिलेंगी और होटल मिल नहीं पाते हैं। आप चाहें तो अपना छोटा और हल्का कैम्पिंग टेंट रख लें।
यात्रा के दौरान अपने साथ ले जाएं ये जरूरी चीजें

दवाओं की किट: यह सभी धाम हिमालय के ऊँचे पहाड़ों पर स्थित हैं इसलिए यात्रा की तैयारी भी उसी के अनुसार होनी चाहिए। लम्बी यात्रा की थकान और मौसम की वजह से सर्दी, खांसी और बुखार जैसी बीमारियों का खतरा बहुत ज्यादा होता है। ऐसे में अपने साथ दवाओं की किट जरूर ले जाएं।
बैंड- एड्स और एंटीसेप्टिक मरहम: इस यात्रा में काफ़ी भागदौड़ शामिल होती है। कभी गाड़ी तो कभी पैदल चलना होता है। ऐसे में गिरने और चोट लगाने की संभावना भी रहती है। इसलिए यात्रा के दौरान बैंड- एड्स और एंटीसेप्टिक मरहम भी रख लेना चाहिए। ताकि ज़रूरत पड़ने पर आपको परेशान नहीं होना पड़े।
सनस्क्रीन और टोपी: बदलते मौसम और जगहों का सबसे ज़्यादा फ़र्क़ आपकी स्किन पर पड़ता है, ख़ासकर चेहरे पर। ऐसे में सनबर्न से बचने के लिए सनस्क्रीन और टोपी जैसी चीजें साथ लेकर जाना चाहिए। इससे आपको थोड़ी बहुत सहूलियत मिल जाती है और आपकी स्किन सुरक्षित रहती है।
विंडचीटर जैकेट, रेनकोट: इस दौरान मौसम की बहुत ही अजीबोग़रीब स्थिति रहती है। कभी तेज़ धूप तो कभी बारिश, और सर्द तो रहती ही रहती है। ऐसे में विंडचीटर जैकेट, रेनकोट ज़रूर लेकर जायें। बारिश से बचने के लिए छाता भी रख लें, यह मौक़े बेमौके आपके काम आएगा ही आएगा।
वाटरप्रूफ बैग और वाटर प्रूफ जूते: इस यात्रा में काफ़ी पैदल चलना पड़ता है जिसकी वजह से आपके सामान की सुरक्षा भी ज़रूरी हो जाती है। इसलिए अपना सामान वाटरप्रूफ बैग में रखें और वाटर प्रूफ जूते पहनकर यात्रा करें। यह दो चीज़ें आपको अपनी यात्रा के दौरान यदि आप रखेंगे तो सहूलियत रहेगी।
