Om Namah Shivay Mantra
Om Namah Shivay Mantra

Om Namah Shivay Mantra: शिव पुराण संहिता में कहा है कि सर्वज्ञ शिव ने संपूर्ण देहधारियों के सारे मनोरथों की सिद्धि के लिए इस ॐ नमः शिवाय मंत्र का प्रतिपादन किया है। यह आदि षड़क्षर मंत्र संपूर्ण विद्याओं का बीज है। जैसे वट बीज में महान वृक्ष छिपा हुआ हैए उसी प्रकार अत्यंत सूक्ष्म होने पर भी यह मंत्र महान अर्थ से परिपूर्ण है। यह पंचतत्वमक मंत्र है इसे शिव पंचक्षरी मंत्र कहते हैं। इस पंचक्षरी मंत्र के जप से ही मनुष्य संपूर्ण सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है। इस मंत्र के आदि में ॐ लगाकर ही सदा इसके जप करना चाहिए। भगवान शिव का निरंतर चिंतन करते हुए इस मंत्र का जाप करें। सदा सब पर अनुग्रह करने वाले भगवान शिव का बारंबार स्मरण करते हुए पूर्वाभिमुख होकर पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। भगवान शिव अपने भक्त की पूजा से प्रसन्न होते हैं। शिव भक्त जितना.जितना भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जप कर लेता है उतना ही उसके अंतकरण की शुद्धि होती जाती है एवं वह अपने अंतकरण में स्थित अव्यक्त आंतरिक अधिष्ठान के रूप में विराजमान भगवान शिव के समीप होता जाता है। उसके दरिद्रताए रोगए दुख एवं शत्रुजनित पीड़ा एवं कष्टों का अंत हो जाता है एवं उसे परम आनंद की प्राप्ति होती है।

ऊं नम: शिवाय मंत्र के जाप के फायदे

ॐ को ब्रह्माण्ड की आवाज माना गया है। इसके जाप से शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक शांति प्रदान होती है और निरंतर जाप से हमारी आत्मा सक्रिय हो जाती हैए जिससे शरीर में नई चेतना व ऊर्जा पैदा होती है। शरीर में मौजूद मृत कोशिकाएं भी पुनः जीवित हो जाती है। मन.मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

इस मंत्र के आध्यात्मिक फायदे

ये मंत्र अनजाने भय को दूर करता है। साहस और उत्साह भरता है। इस मंत्र के अभ्यास से मृत्यु के भय को भी जीता जा सकता है।

ये मंत्र मनुष्य को जीवन चक्र का रहस्य समझने में मदद करता है। मोक्ष प्राप्ति का साधन है। ॐ शब्द में त्रिदेवों का वास माना गया है।

सभी मंत्रों से पहले इस मंत्र का उच्चारण करने से सभी तरह की बाधाएं दूर होती है।

काम, क्रोध, घृणा, मोह, लोभ, भय, विषाद खत्म होता है।

मंत्र का जाप 

Do not offer these flowers to Lord Shiva
Om Namah Shivay Mantra

इस मंत्र के जाप से सभी मनोरथों की सिद्धि होती है। भोग और मोक्ष दोनों को देने वाला यह मंत्र जपने वाले के समस्त व्याधियों को भी शांत कर देता है। बाधाएं इस मंत्र का जाप करने वाले के पास भी नहीं आती तथा यमराज ने अपने दूतों को यह आदेश दिया हैं कि इस मंत्र के जाप करने वाले के पास कभी मत जाना। उसको मृत्यु नहीं मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मंत्र शिववाक्य है यही शिवज्ञान है। जिसके मन में यह मंत्र निरंतर रहता है वह शिवस्वरूप हो जाता है। भगवान शिव प्रत्येक मनुष्य के अंत करण में स्थित अव्यक्त आंतरिक अधिष्ठान तथा प्रकृति मनुष्य की सुव्यक्त आंतरिक अधिष्ठान है।

जाप कैसे करें

ॐ नम शिवाय वह मूल मंत्र है, जिसे कई सभ्यताओं में महामंत्र माना गया है। इस मंत्र का अभ्यास विभिन्न आयामों में किया जा सकता है। इन्हें पंचाक्षर कहा गया है। इसमें पांच मंत्र हैं। ये पंचाक्षर प्रकृति में मौजूद पांच तत्वों के प्रतीक हैं और शरीर के पांच मुख्य केंद्रों के भी प्रतीक हैं। इन पंचाक्षरों से इन पांच केंद्रों को जाग्रत किया जा सकता है। ये पूरे तंत्र के शुद्धीकरण के लिए बहुत शक्तिशाली माध्यम हैं।यह मंत्र के मौखिक या मानसिक रूप से दोहराया जाते समय मन में भगवान शिव की अनंत व सर्वव्यापक उपस्थिति पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। परंपरागत रूप से इसे रुद्राक्ष माला पर १०८ बार दोहराया जाता है। इसे जप योग कहा जाता है। इसे कोई भी गा या जप सकता है, परन्तु गुरु द्वारा मंत्र दीक्षा के बाद इस मंत्र का प्रभाव बढ़ जाता है। मंत्र दीक्षा के पहले गुरु आमतौर पर कुछ अवधि के लिए अध्ययन करता है। मंत्र दीक्षा अक्सर मंदिर अनुष्ठान जैसे कि पूजा, जप, हवन, ध्यान और विभूति लगाने का हिस्सा होता है। गुरुए मंत्र को शिष्य के दाहिने कान में बोलतें हैं और कब और कैसे दोहराने की विधि भी बताते हैं।

ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करने का समय

वेद पुराणों में इस चमत्कारी मंत्र का जप करने का कोई खास समय निर्धारित नहीं है। इस मंत्र को जब चाहे तब जप कर सकते हैं।

ॐ नमः शिवाय मंत्र जपने की विधि

इस मंत्र का जाम प्रत्येक दिन रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए।

ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार प्रत्येक दिन करना चाहिए।

जप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।

यदि आप किसी पवित्र नदी के किनारे शिव लिंग की स्थापना और पूजन के बाद जप करेंगे उसका फल सबसे उत्तम होगा। इसके अलावा आप किसी पर्वत या शांत वन में भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। साथ ही इस शारणाक्षर मंत्र का जाप शिवाय या घर में भी कर सकते हैं। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप हमेशा योग मुद्रा में बैठकर ही करना चाहिए।

ॐ नमः शिवायश् मंत्र का जाप करने का नियम

इस मंत्र को गुरू से प्राप्त करें। इस मंत्र जब ज्यादा असरदार और मंगलकारी बनता है। देवालय, तीर्थ या घर में शांत जगह पर बैठकर इस मंत्र का जाप करें। पंचाक्षरी मंत्र यानी नम शिवाय के आगे हमेशा ॐ लगाकर जप करें। किसी भी हिंदू माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी पहले दिन से कृष्ण पक्ष की चतुर्थदशी तक इस मंत्र का जाप करें। पंचाक्षरी मंत्र की अवधि में व्यक्ति खानपान, वाणी और इंद्रियों पर पूरा सयम रखें। गुरू पति और माता पिता के प्रति सेवाभाव और सम्मान मंत्र जप काल के दौरान न भूलें। हिंदू पंचांग के सावन और भाद्रपद माह में बहुत शुभ और मनोरथ की पूर्ति करने वाला माना गया है।

यह भी देखे-

ओम नमः शिवाय का जप करने से क्या होता है?

धर्मग्रंथों के अनुसार “ॐ नमः शिवाय” के जप से भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं एवं इस मंत्र के जप से आपके सभी दुःख, सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आप पर शिवजी की असीम कृपा बरसने लगती है। भगवान शिव का वार सोमवार माना जाता है।

ओम नमः शिवाय कितनी बार बोलना चाहिए?

परंपरागत रूप से इसे रुद्राक्ष की माला की एक माला पर गिनते हुए दिन में 108 बार दोहराया जाता है।

ॐ नमः शिवाय मंत्र सिद्धि कैसे करें?

ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार प्रत्येक दिन करना चाहिए। जप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। यदि आप किसी पवित्र नदी के किनारे शिव लिंग की स्थापना और पूजन के बाद जप करेंगे उसका फल सबसे उत्तम होगा। इसके अलावा आप किसी पर्वत या शांत वन में भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

ओम नमः शिवाय कौन सा मंत्र है?

ॐ नमः शिवाय (ISO 15919: Om Namaḥ Śivāya) सबसे लोकप्रिय हिन्दू मन्त्रों में से एक है और [ परमात्मा शिव ] का महत्वपूर्ण मन्त्र है। नमः शिवाय का अर्थ “भगवान शिव को नमस्कार” या “उस मंगलकारी को प्रणाम!” है। इसे शिव पञ्चाक्षर मन्त्र या पञ्चाक्षर मन्त्र भी कहा जाता है, जिसका अर्थ “पाँच-अक्षर” मन्त्र (ॐ को छोड़ कर) है।

रात को सोते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

-ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। -राम शिव हरे राम शिव राम राम शिव हरे. रात को सोने से पहले इन सबी मंत्रों का जाप आपके लिए लाभदायक हैं. अगर किसी को रात में नींद न आने की परेशानी है तो वे तो इन मंत्रों का जाप अवश्य करें.