chandra grahan 2022 : मन और रचनात्मकता का प्रतीक-चंद्र ग्रह

चन्द्र यानी सोम, चन्द्रमा जो की नव ग्रहों में से एक है, चंद्र एक बहुत सुंदर व युवा ग्रह है। दस सफेद घोड़ों पर सवार होकर वह रात्रि में आकाश में भ्रमण के लिए निकलता है। चंद्र का विवाह राजा दक्ष की 27 पुत्रियों के साथ हुआ है जिसमें रोहिनी इनको अधिक प्रिय है, वैदिक साहित्य के अनुसार इन्होंने ब्रहस्पति पत्नी तारा के साथ अनैतिक संबंध रखे जिसके फलस्वरूप इनके पुत्र रूप में बुद्ध की उत्पत्ति हुई जिसके कारण न बुद्ध ने इनको पिता माना और ब्रहस्पति भी इनके विरुद्ध हो गये, एक बार इन्होंने जब गणेश जी का मजाक बनाया तो गणेश जी ने इनको काले और प्रकाश हीन होने का शाप दिया जिसके फलस्वरूप पूरे संसार में रात्रि में अंधकार छा गया परंतु चंद्र को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तब उन्होंने गणेश जी से माफी मांगी तब गणेश जी ने कहा कि आपके शरीर का एक भाग काला रहेगा और भादों की चतुर्थी को जो आपका दर्शन करेगा उसको एक साल के अंदर झूठा कलंक लगेगा परंतु यदि इस दिन आपको देखने के बाद अगर वो व्यक्ति आपको पत्थर मारेगा या थूकेगा तो आपको इस दिन देखने पर भी उसको कलंक नहीं लगेगा। चंद्र कोई ग्रह नहीं बल्कि धरती का उपग्रह माना गया है पृथ्वी के मुकाबले यह एक चौथाई अंश के बराबर है। पृथ्वी से इसकी दूरी 406860 किलोमीटर मानी गयी है। चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा 27 दिन में पूर्ण कर लेता है। इतने ही समय में ये अपनी धुरी पर भी चक्कर लगा लेता है। 15 दिन तक इसकी कलाएं क्षीण होती हैं जिसको कृष्ण पक्ष कहते हंै व 15 दिन तक इसकी कलाएं बढ़ती हैं जिसको शुक्ल पक्ष कहते हंै। चंद्रमा सूर्य से प्रकाश लेकर धरती को प्रकाशित करता है।

चन्द्र परिचय-

देवता-शिव गोत्र-अगि दिशा-वायव दिन-सोमवार वस्त्र-धोती पशु-घोड़ा अंग-दिल व बायां भाग पेशा-कुम्हार स्वभाव-शांत, शीतल वर्ण-श्वेत जाति-ब्राह्मïण भम्रण-एक राशि में सवा दो दिन नक्षत्र-रोहिणी, हस्त, श्रवण गुण-माता वृक्ष-पोस्त का हरा पौधा दूध वाला वाहन-हिस व दस श्वेत घोड़ों वाला रथ राशि-कर्क समग्रह-मंगल, गुरु, शुक्र, शनि शत्रु ग्रह-सूर्य, बुद्ध, राहु, केतु, शत्रु अन्य नाम-सोम, रजनीपति, राशि, कला, निधि, इंदू, शशांक, मंयक, सुधाकर आदि।

चांद से जुड़ी रोचक बातें

चांद पूरी पृथ्वी पर अकेला वो ग्रह है जो कि वैज्ञानिकों अनुसार आज से लगभग 500 करोड़ साल पूर्व थैया नामक उल्का धरती से टकराया था और इससे धरती का जो टुकड़ा टूटकर अलग हुआ वह ही चांद बना। उस वक्त धरती द्रव्य रूप में थी। चांद 27.3 दिनों में धरती का एक पूरा चक्कर लगाता है। जिसके परिणामनुसार धरती पर समुद्रों में अक्सर ज्वार भाटे आते हैं।

चांद से जुड़ी कुछ अन्य रोचक बातें

चांद धरती के आकार का कुल 27 प्रतिशत हिस्सा हैं।

चांद का कुल वजन 81 अरब टन है।

पूरे चांद में आधे चांद से 9 गुना ज्यादा चमक है।

अगर चांद गायब हो जाए तो धरती पर मात्र 6 घंटे का दिन होगा।

अगर आपका वजन धरती पर 70 किलो ग्राम है तो चांद पर वो 10 किलोग्राम ही होगा।

चांद का सिर्फ 60 प्रतिशत हिस्सा ही धरती से दिखता है।

चांद धरती के चारों ओर घूमते समय अपना सिर्फ एक हिस्सा ही धरती की तरफ रखता है। इसलिए चांद का दूसरा रूप आज तक धरती पर नहीं दिखाई दिया परंतु चांद के दूसरे हिस्से की तस्वीर ली जा सकती है।

चांद हर साल धरती से 4 सेंटीमीटर दूर जा रहा है।

सौर मंडल के 181 उपग्रहों में चांद का आकार 5वें नंबर पर है।

चांद का दिन का तापमान 180 डिग्री सेल्सियस व रात का -153 डिग्री सेल्सियस है।

चांद का क्षेत्रफल अफ्रीका के बराबर है व चांद पर पानी है।

जब चंद्रमा की महादशा हो

जब भी किसी ग्रह की महादशा शुरू होती है तो उस वक्त जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं जो जीवन के हर पक्ष को प्रभावित करते है। जीवन से जुड़े सारे सुख-दुख इसी महादशा का प्रभाव कहे जा सकते हैं। कुछ महादशा इंसान के बचपन में आती है, कुछ जवानी में तो, कुछ बुढ़ापे में आती है। महादशा एक समय सारणी होती है।

चंद्रमा की दशा 10 वर्ष की होती है। आइए जानें चन्द्रमा की महादशा अपनी समयअवधि में किस-किस तरह से आपको प्रभावित करती है।

चन्द्रमा में चन्द्रमा- चन्द्रमा की महादशा में चन्द्रमा की अन्तरदशा में यदि चन्द्रमा पूर्ण व खाली हो तो शुभ फल देता है इसमें जातक को मान सम्मान मिलता है। धनयोग पूर्ण होते हैं। कला में रुचि बढ़ती है व अशुभ होने पर अपमान व रोगों कीसंभावना प्रबल हो जाती है। व्यक्ति आलसी बन जाता है।
चन्द्रमा में मंगल- मंगल यदि शुभ हो तो जातक के उत्साह में वृद्धि होती है उसे धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। पत्नी व संतान सुख मिलता है परिजनों व मित्रों का सहयोग बढ़ता है, कार्यों में लाभ मिलता है परंतु यदि मंगल अशुभ हो तो शत्रु से पीड़ा, रक्त व पित्त विकारों में वृद्धि होती है।
चन्द्रमा में राहू- यदि राहु शुभ राशि कारक से युक्त हो तो जातक को अचानक धन लाभ होता है शत्रु शान्त रहते हैं। हर कार्य में सफलता मिलती है।
अशुभ राहु की स्थिति में पैतृक धन समाप्त हो जाता है हृदय भयग्रस्त हो जाता है शरीर रोगी हो जाता है।
चन्द्रमा में गुरु- गुरु की स्थिति अच्छी होने पर अच्छे गुरु की प्राप्ति होती है धर्म के कार्यों में रुचि बढ़ती है। परिवार व समाज में मान बढ़ता है। मित्र बनते हैं परंतु यदि गुरु अशुभ हो तो माता को पीड़ा व मामा से वियोग होता है।
चन्द्रमा में शनि- शनि शुभ हो तो तीर्थ यात्राओं का सुख मिलता है मन शांत रहता है परंतु शनि अगर अशुभ हो तो परिवार से विछोह, मन में अशान्ति, व्यसन वृद्धि, उदर, मस्तिष्क, नेत्र पीड़ा होती है। वात, पित्त, रोग में वृद्धि होती है।
चन्द्रमा में बुद्ध- बुद्ध अगर शुभ हो तो जातक को ज्ञान की प्राप्ति होती है घर में मंगल काम होते हैं। नौकरी में लाभ, वाहन की प्राप्ति होती है। बुद्ध अगर अशुभ हो तो धन हानि, चर्म रोग पीड़ा होती है।
चन्द्रमा में केतु- केतु अगर शुभ भाव में भी हो तो भी ज्यादा लाभकारी नहीं होता है इसके साथ ही अशुभ भाव में हो तो जातक के लिये अत्यधिक कवटकारी व कई बार मृत्यु का कारण भी बन जाता है। विषपान की लत लगी रहती है व दुर्घटना का प्रबल योग भी बन जाता है। इस समय काल में जातक का सुख खत्म व धन हास भी बना ही रहता है।
चन्द्रमा में शुक्र- शुक्र अगर शुभ भाव में हो तो जातक को धन, यश, सुख तीनों में ही वृद्धि होती है रोजगार में सफलता मिलती है। प्रकृति के प्रति लगाव बढ़ जाता है परंतु शुक्र अशुभ की स्थिति में जातक को जलोदर की बीमारी का भय रहता है जातक का चरित्र भी खराब हो जाता है।
चन्द्रमा में सूर्य-सूर्य यदि शुभ भाव में हो तो जातक को सर्वत्र विजय मिलती है, घर में अन्न भंडार सदैव भरे रहते हैं, राज्य से सम्मान की प्राप्ति होती है, सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है। यदि सूर्य अशुभ हो तो नकसीर फूटना व रक्त विकारों का भय बना रहता है। शरीर में वेदना बनी रहती है। इस तरह से चन्द्र की महादशा व उसके अनुसार महादशा के अन्तर्गत आने वाली अन्तरदशा के प्रभाव उपरोक्त विवरण के अनुसार ही पड़ते हंै महादशा के दौरान यद्यपि अन्तरदशा व अन्तरदशा के दौरान प्रत्यन्तरदशा भी आती है चूंकि अन्तरदशा कई सालों के लिए आती है अत: उसका प्रभाव मानव पर दिखाई देता है परंतु प्रत्यन्तरदशा कुछ दिनों या कुछ माहों के लिए ही आती है। इसलिए उसका प्रभाव या कुप्रभाव किसी भी इंसान पर इतना अधिक नहीं पड़ता है। परंतु महादशा के समय व्यक्ति को विशेष रूप से गृह अनुसार दान व जप करते रहना चाहिए इसके साथ ही महादशा के दौरान आने वाली अन्तरदशाओं में भी विशेष सावधानियों की जरूरत है बशर्ते आप किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से समय-समय पर संपर्क करते रहें और महादशाओं की जानकारी प्राप्त करते रहें।

जब चन्द्रमा खराब हो तो

सूर्य के बाद धरती पर सबसे अधिक प्रभाव चन्द्रमा का पड़ता है और पूर्णिमा के दिन चन्द्र का प्रभाव चाहे वो शुभ हो या अशुभ धरती पर रहने वाले हर जीव को झेलना ही पड़ता है। पूर्णिमा का चन्द्र मानव, पशु पक्षी सभी के जीवन में हलचल देता है सबसे ज्यादा समुद्र में ज्वार भाटे पूर्णिमा में ही आते हैं।

अब जानें कैसे होता है चन्द्र खराब- यदि किसी भी कुंडली में चंद्र अगर 4,6,8,12 भाव में हो तो वो खराब प्रभाव उत्पन्न करता है इसके साथ ही जब-
01. घर का वायव्य कोण दूषित होने पर चन्द्र दोषपूर्ण होता है।
02. घर में जल यदि गलत दिशा में रखा हो तो भी चन्द्र धीमा हो जाता है।
03. पूर्वजों का अपमान करने व श्राद्ध आदि नहीं करने पर चन्द्रमा दूषित हो जाता है।
04. माता का अपमान करने पर भी चन्द्रमा खराब हो जाता है।
05. गृह कलेश व पारिवारिक सदस्यों के लड़ने से भी चन्द्रखराब हो जाता है।
06. चंद्र के साथ राहु, केतु, शनि उसी भाव में होने से या इनकी दृष्टिï चन्द्र पर होने से भी चन्द्र खराब हो जाता है।

कैसे जाने खराब हो गया चन्द्रमा स्वयं

यदि माता का स्वास्थ्य निस्तर खराब रहे ता चन्द्र खराब है। खराब चन्द्र का संकेत माता की मृत्यु भी है।
01. दूध देने वाला जानवर मर जाये तो।
02. अगर घोड़ा पाल रखा हो अगर वो भी मर जाए तो।
03. घर में अगर कुआं हो और वो सूख जाए।
04. सूंघने समझने की क्षमता कम हो जाना।
05. मानसिक रोग हो जाना, मन में घबराहट, आमदनी का कम हो जाना, पानी की समस्याएं बढ़ जाती हैं, जीवन भयग्रस्त हो जाता है यदि ऐसा हो तो चन्द्र खराब माना जाता है।

चन्द्रदोष क्या है- ज्योतिष अनुसार जब चन्द्रमा के साथ राहु की युति हो तो चन्द्र दोष होता है इसी अवस्था को चन्द्र ग्रहण भी कहते हैं। इस अवस्था में चन्द्रमा दूषित हो जाता है और मन का कारक होने के कारण मन में विकार उत्पन्न करता है। साथ ही जब चन्द्रमा पर केतु की नजर हो तब भी चन्द्रमा खराब हो जाता है। चन्द्रमा यदि नीच राशि का हो या फिर नीच या अशुभ ग्रहों से ग्रसित हो तो भी चन्द्र होता है। जब सूर्य व चन्द्रसाथ हो तो भी चन्द्र दोष होता है। चन्द्र दोष चाहे किसी भी तरह बने ये जीवन को उथल-पुथल ही देता है जिसके चलते मानव का जीवन शंकाओं व कवरों से भर जाता है। चन्द्र की खराबी से दिल, पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है,

मिर्गी के व पागलपन के रोग भी इसकी खराबी से होते हंै फेफड़ों, मासिक धर्म पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है सर्दी जुकाम बना रहता है चन्द्र की खराबी से कई बार लोग आत्महत्या तक कर लेते है।

01. चन्द्रमा को अनुकूल करने के लिए माता के चरण छुएं।
02. शिवजी की पूजा करें, वृत्त रखें, शिवलिंग पर दूध चीनी चढ़ाएं।
03. पानी मिले दूध को सिरहाने रख कर सोएं व सुबह कीकर में डाल दें।
04. छोटी अंगुली में मोती धारण करें परंतु ज्योतिष को जन्म कुंडली दिखाकर।
05. सोमवार को दूध, दही, घी, चीनी, जनैऊ, सफेद वस्त्र, सफेद मिठाई दान करें।
06. चंद्र मंत्रों का जाप करें।
07. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
08. गणेश स्त्रोत, दुर्गा सप्तसदी, गौरी, काली, भैरव साधना करें। परंतु कोई भी साधना तभी फलीभूत होती है जबकि उसको विधिवत रूप से किया जाए।

साथ ही चन्द्रमा को शुभ करने के लिए श्वेत रंग के कपड़े पहने व काले व लाल रंग के कपड़ों से दूर रहे, चमेली, लिली, कमल, चंदन जैसे फूलों की सुगंध का प्रयोग करने से चन्द्रमा शुभ फल देता है।
भक्ति योग, भ्रामणी प्राणायाम, नियमित वज्रासन व नौकायन आसन करने से भी चंद्र सकारात्मक ऊर्जा देता है रोजाना 108 बार ओम का उच्चारण करने से ओम की शक्ति चन्द्र को शुद्ध करती है। घर का वास्तु दोष दूर करने से भी चन्द्र सही होता है। चन्द्रमा पश्चिम दिशा को ऊंचा रखने से भी चन्द्र शुद्ध होता है। पश्चिम दिशा में दिन ढलते ही गुलाबी बल्व जलाने से चन्द्र को बल मिलता है। घर के खराब नलकों को सही कराएं रिसते जल को रोकने से भी चन्द्र शुभ फल देता है। घर के मुख्य द्वार पर 8 कोनो वाला दर्पण कुछ ऐसे लगाएं की आने वाले को उसमें अपना चेहरा दिखे इससे भी चंद्र शुभ फल देता है।

चन्द्र रत्न मोती- अगर चन्द्र जातक के सही भाव में बैठा हो तो जातक चन्द्र का रत्न मोती धारण करके और भी लाभ उठा सकता है। सादगी का प्रतीक रत्न माना जाता है, मोती इसे मुक्ता, शीश रत्न और पर्ल के नाम से जाना जाता है। मोती सफेद, गुलाबी, पीले रंग का होता है, मोती समुद्र के भीतर स्थित घोंघे नामक कीट में पाया जाता है। कर्क राशि के जातकों के लिए मोती धारण करना लाभकारी होता है। चन्द्रमा जनित बिमारियों को सही करने में मोती धारण करना सही होता है। मोती धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, मानसिक शान्ति, अनिद्रा आदि पीड़ा शान्त होती है, गर्भाशय संबंधी रोगों, नेत्र रोगों हृदय रोगों में भी मोती धारण करने से लाभ होता है मोती धारण करते वक्त ध्यान रखें की दिन सोमवार ही हो चन्द्रमा का मंत्र करते हुए मोती शुद्ध करे व धारण करे चांदी की अंगूठी या लाकेट में मोती न धारण करने की स्थिति में जातक मूनस्टोन, सफेद मूंगा या ओपल भी धारण कर सकता है। जिस जातक के 4,6,8,12 भाव में चन्द्र हो तो वो जातक कभी भी मोती ना धारण करें। अन्यथा लाभ की जगह हानि होगी।

मोती को धारण करने से पूर्व किसी ज्योतिषाचार्य की सलाह अवश्य लें तभी मोती धारण करें।
चन्द्र के मंत्र व उनसे लाभ
चन्द्र शान्ति व चंद्र रूप से मजबूत करने में दान के अलावा जाप का भी विशेष महत्त्व है। बशर्ते जाप सही मंत्र से व सही समय पर किये जाएं।

  1. ऊं सोम सोमाय नम:- ये मंत्र न केवल जातक के चंद्र को शुद्ध करता है बल्कि जातक की खूबसूरती को बढ़ाता है। इस मंत्र की प्रतिदिन एक माला करने से जातक के चेहरे पर सौंदर्य की आभा आती है।
  2. चंद्र गायत्री मंत्र- गायत्री मंत्र सभी मंत्रों में सर्वोत्तम माना जाता है चंद्र गायत्री मंत्र मानसिक शान्ति के साथ ही
    ऊं अत्रिपुत्राय विघमहे सागरोद्रवाय धीमहि
    तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्ï
  3. चन्द्र ध्यान मंत्र- चन्द्र ध्यान मंत्र की अपनी अलग ही शक्ति होती है योग साधना करते वक्त अगर पूरी शुद्धता व सही उच्चारण के साथ इस मंत्र का जाप किया जाए तो इसके प्रभाव स्वरूप इंसान में अद्ïभुत शक्ति, मानसिक बल व आकर्षण पैदा करता है।
    श्रेतांबर: श्रेतविभूषणश्र श्रेतधुतिर्दण्डधरो द्विबाहु:
    चन्द्रोमृतात्मा वरद: किरीटी मयि प्रसादं विदधातु देव:
  4. चन्द्र तांत्रिक मंत्र- तांत्रिक पूजा करने वाले लोग अधिकतर चन्द्र तांत्रिक मंत्र का प्रयोग करते हैं।
    इस मंत्र का जाप आधी रात में करने से न केवल अशुभ चन्द्र को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है बल्कि बुद्धिमता का भी संचार होता है।
    ऊं श्रीं श्रीं श्रौं स: चन्द्राय नम:
    ऐं क्लीं सोमाय नम:
    सार रूप में इतना अवश्य कह सकते हैं कि चन्द्र ग्रह मन का कारक माना जाता है। भगवान शिव ने चन्द्र को मस्तक पर धारण किया है इसलिए अपने चन्द्रमा को शुद्ध व शुभ रखें और लाभ उठाएं।

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