Bangles Rules
Bangles Rules

Bangles Rules: हिंदू धर्म में रीति-रिवाजों का विशेष महत्व होता है। यहां हर पूजा-पाठ और रस्म किसी न किसी धार्मिक नियम से जुड़ी होती है। चूड़ियां भी ऐसी ही एक परंपरा का हिस्सा हैं, जिन्हें हर सुहागन महिला धारण करती है। ये न सिर्फ महिलाओं की खूबसूरती को बढ़ाती हैं, बल्कि सुहाग की निशानी के रूप में भी देखी जाती हैं। त्योहारों और विशेष अवसरों पर कई लोग चूड़ियां पहनते हैं, लेकिन कितनी चूड़ियां पहननी चाहिए, इस बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है। आइए जानते हैं इस बारे में-

क्यों जरूरी हैं चूडियां

शादी के बाद हर महिला को चूड़ियां पहने हुए देखा जाता है, क्योंकि यह उनके सोलह श्रृंगार का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। बिना चूड़ियों के उनका श्रृंगार अधूरा समझा जाता है। महिलाएं अपनी पसंद के अनुसार कांच, सोने या चांदी की चूड़ियां पहनती हैं।

कितनी होनी चाहिए चूड़ियां

सुहागन महिलाएं शादी के बाद चूड़ियां तो पहनती हैं, लेकिन कितनी चूड़ियां पहननी चाहिए, इस बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है। बता दें कि शादीशुदा महिलाओं को विवाह के बाद 21 चूड़ियां पहननी चाहिए। इसके अलावा, दोनों हाथों में दो सोने या चांदी की चूड़ियां भी धारण करनी चाहिए।

नई दुल्हन को चूड़ी

नवविवाहित महिलाओं को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 40 दिनों तक एक हाथ में सात से नौ चूड़ियां अवश्य पहननी चाहिए। शादी के बाद महिलाओं के लिए कांच की चूड़ियां पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का कार्य करती हैं। चूड़ियां सुहाग की प्रतीक होती हैं और इन्हें सौभाग्य के तौर पर देखा जाता है। इसी कारण यह महिलाओं के श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं।

कौन सी चूड़ियां न पहनें

अविवाहित महिलाएं किसी भी रंग की चूडियां पहन सकती हैं, लेकिन शादीशुदा महिलाओं को सफेद, काले और गहरे रंग की चूड़ियां पहनने से बचना चाहिए, क्योंकि इन्हें सुहागन महिलाओं के लिए अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि ये नकारात्मक ऊर्जा लाती हैं और इसका प्रभाव उनके पति पर भी पड़ सकता है। इसलिए, सुहागिन महिलाओं को इन रंगों की चूड़ियां पहनने से परहेज करना चाहिए।

कब पहनें चूड़ियां

चूड़ियों को बुध और चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है, जिनका संबंध वैवाहिक जीवन और सुंदरता से होता है। यह न केवल सौंदर्य बढ़ाती हैं, बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। यदि नई चूड़ियां पहनने के दिन की बात करें तो रविवार और शुक्रवार को इसे शुभ माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इन दिनों नई चूड़ियां पहनने से सुहाग बना रहता है। वहीं, ज्योतिष के अनुसार, मंगलवार और शनिवार को नई चूड़ियां खरीदने या पहनने से बचना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ संकेत ला सकता है। यदि किसी कारणवश इन दिनों नई चूड़ियां पहननी पड़ें, तो पहले उन्हें तुलसी माता को समर्पित करने के बाद धारण करना चाहिए।

चूडियां पहनने के लाभ

हिंदू रीति-रिवाजों में जिन चीजों को आवश्यक माना गया है, उनके पीछे अक्सर वैज्ञानिक कारण होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, चूड़ियां पहनने से महिलाओं में सांस और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। साथ ही, यह मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखने में मदद करती हैं। चूड़ियों और त्वचा के बीच होने वाला घर्षण एक ऊर्जा उत्पन्न करता है, जो शरीर में रक्त संचार को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसी कारण, चूड़ियां पहनने के बाद महिलाएं स्वयं को अधिक ऊर्जावान महसूस करती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन स्त्रियों द्वारा चूड़ियां पहनने से उनके पति की आयु लंबी होती है। वहीं, वास्तु शास्त्र में भी चूड़ियां पहनने के कई लाभ बताए गए हैं। कहा जाता है कि चूड़ियों की खनक से उत्पन्न ध्वनि घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलाती है, जिससे सुख-शांति बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि जिन घरों की महिलाएं नियमित रूप से चूड़ियां पहनती हैं, वहां कभी किसी चीज की कमी नहीं होती और घर की आर्थिक स्थिति भी मजबूत बनी रहती है।

मेरा नाम सुनेना है और मैं बीते पाँच वर्षों से हिंदी कंटेंट लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हूं। विशेष रूप से महिला स्वास्थ्य, मानसिक सेहत, पारिवारिक रिश्ते, बच्चों की परवरिश और सामाजिक चेतना से जुड़े विषयों पर काम किया है। वर्तमान में मैं...