Editorial Review: साधनापथ का यह अंक इस बार उस व्यक्तित्व पर केन्द्रित है, जिनकी वाणी ने लाखों लोगों के भीतर सवालों को जन्म दिया और फिर उन्हीं सवालों में छिपे उत्तर को खोजने की हिम्मत भी दी। हम चर्चा
कर रहे हैं रजनीश ओशो की। यह केवल एक नाम नहीं हैं बल्कि विचारों की वह चेतना हैं जो मन को झकझोरती है, शांत भी करती है और भीतर छिपे सत्य को देखने की दृष्टि भी देती है।
उनकी विशेषता यह थी कि वे सरल बात को भी इतनी गहराई से कह देते थे कि वह सीधी हृदय तक पहुंचती थी। उनका तर्क स्पष्ट था। भाषा सहज थी। और दृष्टि व्यापक थी। वे न किसी परंपरा के विरोध में खड़े थे, न अंधानुकरण के पक्ष में। वे बस चाहते थे कि हर व्यक्ति अपने भीतर उतरकर जीवन को उसकी सच्चाई के साथ समझे। आज की पीढ़ी, जो तेजी और तनाव से घिरी हुई है, उनके
विचारों में शांति, एक दिशा और नई ऊर्जा पाती है। इस विशेषांक में हमने ओशो के जीवन, उनके दर्शन और चिंतन की उन परतों को आपके सामने रखा है, जिन्होंने भारतीय आध्यात्मिकता को एक नई दृष्टि प्रदान की। साथ ही यह भी शामिल किया है कि देश के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व- गुलजार, मनोज मुंतजिर और अशोक चक्रधर- ओशो को किस रूप में याद करते हैं और उनके विचारों को कैसे महसूस करते हैं।
नई पीढ़ी पर ओशो के प्रभाव और अस्तित्व के प्रति उनकी व्याख्या को भी प्रमुख स्थान दिया गया है। इसके साथ ही सर्दियों के मौसम से जुड़ी चुनौतियों जैसे- सर्दी-खांसी, बच्चों की रोग-प्रतिरोधक
क्षमता, खानपान में जरूरी बदलाव और राजधानी में बढ़ता प्रदूषण जैसी समस्या पर भी उपयोगी लेख प्रस्तुत हैं। आशा है यह अंक आपको आनंदित करने के साथ जागरूक और उर्जावान भी बनाएगा।
धन्यवाद।
आपका…
नरेन्द्र कुमार वर्मा
nk@dpb.in
